नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने आज नार्वे के कृषि मंत्री माननीय श्री जॉन जॉर्ज डेल के साथ मुलाकात की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत और नार्वे के संबंध काफी गहरे रहे हैं और हमारा प्रयास रहेगा कि भविष्य में भी हमारे संबंध मजबूत बने रहे। उन्होंने कहा कि भारत और नार्वे के बीच मत्स्य पालन में द्वीपक्षीय सहयोग आगे बढ़ा है और इस क्षेत्र में संबंधों को आगे बढ़ाने के पर्याप्त अवसर मौजूद हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि दोनों ही देश जलवायु अनुकूल मत्स्य तकनीकों को विकसित करने संबंधी प्रक्रिया में सहयोग करने के साथ कम दोहित मत्स्य क्षेत्रों का दोहन करने संबंधी प्रोद्योगिकी का पता लगाने तथा ऐसी प्रोद्योगिकी विकसित करने के साथ भारत और नार्वे जरूरत पड़ने पर एक दूसरे को समुद्री उत्पादों के निर्यात में वृद्धि करने के लिए एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नार्वे, भारत में दूध के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए डेयरी के क्षेत्र में सहयोग करने पर विचार कर सकता है।
कृषि मंत्री ने नार्वेयन इंस्टीट्यूट ऑफ बायो-इकोनामी रिसर्च (एनआईबीआइओ) कृषि मंत्रालय द्वारा भारत के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडू में क्लाइमावाटर, क्लाइमाराइस और क्लाइमाएडेप्ट पर किए जा रहे अनुसंधान कार्य की सराहना की। क्लाइमाएडेप्ट में कृषि एवं जल क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन पर जोर दिया जाता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नार्वे इन अनुसंधान कार्यों को भारत के अन्य राज्यों में भी करने पर विचार कर सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में कृषिगत जिंसों के नार्वे के साथ किए गए भारतीय व्यापार में 17.65 मिलियन अमेरीकी डॉलर का निर्यात शामिल है, जो अगले वर्ष बढ़कर 25.57 अमेरीकी मिलियन डॉलर हो गया। वर्ष 2015-16 में 2.48 मिलियन अमेरीकी डालर का आयात किया गया लेकिन दोनों देश अब अब इस द्विपक्षीय व्यापार में और अधिक वृद्धि कर सकते हैं।
भारत ने ग्लोबल क्रॉप डाइवर्सिटी ट्रस्ट् में वर्ष 2006 में हस्ताक्षर किया है ताकि वैश्विक खाद्य सुरक्षा तथा सतत कृषि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए खाद्य और कृषि के वास्ते पौध अनुवांशिक संसाधनों के दीर्घकालिक संरक्षण एवं उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। भारत सरकार ने दोहराव से बचने के लिए वर्ष 2014 में स्वाल्बर्ड ग्लोबल सीड वाल्टर में पीजन पी (अरहर) की 25 किस्में जमा कराई है। अब भारत सरकार फरवरी, 2017 के दौरान सोरगम की 100 किस्में तथा धान (पैडी) की 100 किस्में जमा करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने समान विचार धारा वाले देशों के बीच न केवल अपने व्यापार और निवेश संभावनाओं को बढ़ाने बल्कि विगत कई वर्षों से अर्जित जानकारी को अपने मित्र देशों के साथ साझा करने पर विशेष जोर दिया है। कृषि मंत्री ने आशा जताई कि नार्वे के कृषि मंत्री श्री जॉन जॉर्ज डेल का भारत दौरा कृषि में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक बनाने और मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
इसके बाद कृषि मंत्री ने कृषि भवन में राष्ट्रीय बीज निगम के खाद्य बिक्री केन्द्र का उद्घाटन किया। भारत सरकार की आम आदमी तक उचित दरों पर खाद्य सामग्री पहुँचाने की मुहिम को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय बीज निगम ने अपने अमान्य बीजों के मूल्य संवर्द्धन के बाद चावल, आटा, बेसन, दालें, सरसों का तेल, दलिया, ओट इत्यादि बनाने का कार्य शुरू किया है और इसके लिए निगम ने कृषि भवन में खाद्य बिक्री केन्द्र खोला है । यह गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री उपभोक्ताओं को बाजार दरों से कम दरों पर निगम के ”फार्म सोना” ब्रांड के अंतर्गत उपलब्ध करवाई जायेगी । इससे न केवल निगम की आमदनी बढ़ेगी बल्कि अमान्य बीजों का सदुपयोग भी होगा तथा साथ ही खाद्य पदार्थ निगम के फार्मों से सीधे उपभोक्ता की रसोई तक पहुँचेगा ।
कृषि मंत्री ने इसके बाद जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि भवन में जैविक जलपान गृह (आर्गेनिक कैंटीन) का उद्घाटन किया। इस जैविक जलपान गृह में खाने की सामग्री जैविक उत्पादों द्वारा तैयार की जाएगी। यह जैविक जलपान गृह सिक्किम के सिम्फेड के सौजन्य से खोला गया है।