नई दिल्ली: सड़क दुर्घटनाओं की सूचना के लिए प्रारूप की समीक्षा के संबंध में सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति की अध्यक्षता यातायात अनुसंधान शाखा की वरिष्ठ सलाहकार ने की। समिति में आईआईटी दिल्ली और आईआईटी खड़गपुर और डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों सहित राज्यों के पुलिस और यातायात विभाग तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। समिति ने अपने सुझाव सौंप दिए थे, जिन्हें सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय ने स्वीकर कर लिया है।
आज यहां मीडिया से बातचीत करते हुए यातायात अनुसंधान शाखा की वरिष्ठ सलाहकार और समिति की अध्यक्ष श्रीमती कीर्ति सक्सेना ने बताया कि दुर्घटना स्थल से पर्याप्त आंकड़े और सूचना न प्राप्त होने के कारण पुलिस थानों में प्राथमिकी सही तौर पर दर्ज नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं की सूचना संबंधी मौजूदा प्रारूप की खामियों का जायजा लेने के लिए कई बार बैठक की गई। विभिन्न राज्यों और देश के अन्य स्थानों पर दुर्घटनाओं की सूचना के तरीकों का अध्ययन करने के बाद मंत्रालय को नया प्रारूप बनाने का सुझाव दिया गया। इसमें पुलिस की प्रमुख भूमिका होगी।
समिति सदस्य आईआईटी दिल्ली की प्रो. गीतम तिवारी ने नए प्रारूप का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में सूचना पुलिस थानों में की जाती हैं और राज्य सरकारें केंद्र को रिपोर्ट भेजती हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नया प्रारूप खामियों को दूर करने में सफल होगा।
समिति सदस्य आईआईटी खड़गपुर की प्रो. सुदेष्णा मित्रा ने कहा कि दुर्घटना स्थल की रिकॉर्डिंग की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि जीपीएस से दुर्घटना स्थल पर सड़क की बनावट को समझने में आसानी होगी।
व्यापक चर्चा के बाद समिति ने एक एकीकृत दुर्घटना रिकॉर्डें प्रारूप तैयार किया है। जिसे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस लागू करेगी। दुर्घटना रिकॉर्डें प्रारूप में पांच खंड हैं, जिसमें दुर्घटना स्थल, सड़क की हालत और दुघटना में लिप्त वाहन का विवरण और दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों का ब्यौरा शामिल है। पहले खंड में दुर्घटना स्थल, वाहनों की किस्म आदि; दूसरे खंड में सड़क की हालत, टूट-फूट आदि; तीसरे खंड में वाहनों का विवरण; चौथे खंड में वाहन चालकों द्वारा यातायात नियमों की कथित अवहेलना और पांचवें खंड में वाहन चालकों के अलावा अन्य व्यक्तियों का विवरण दर्ज किया जाएगा।
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