मुंबई: बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के दो निर्दलीय कॉर्पोरटर ने शुक्रवार को शिवसेना का दामन थाम दिया। इसके साथ ही शिवसेना का आंकड़ा अब 84 सीटों से बढ़कर 86 हो गया है। दूसरी ओर BMC चुनावों के पहले से ही हालांकि किसी के साथ गठबंधन न करने की बात कहने वाले उद्धव ठाकरे के सुर थोड़े नरम पड़े हैं। गठबंधन की बात पूछने पर उद्धव ने कहा कि अभी कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। फिलहाल में जीत का जश्न मनाने में मशगूल हूं। वहीं खंडित जनादेश पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि मुंबई नगर निगम पर नियंत्रण के लिए उनकर पार्टी और शिवसेना के पास हाथ मिलाने के अलावा और ‘कोई विकल्प’ नहीं है।
गडकरी ने कहा, ‘अब स्थिति ऐसी है कि दोनों पार्टियों के लिए साथ आने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।’ गडकरी ने कहा कि इस बारे में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे लेंगे. दोनों परिपक्व हैं और मैं आश्वस्त हूं कि वे सही निर्णय लेंगे। गडकरी ने कहा जब दोनों पक्ष सामने बैठेंगे तब बीएमसी को लेकर एक साथ आने पर चर्चा की जा सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी जता दिया कि शिवसेना को इसके ऐवज में बीजेपी के खिलाफ अपना आक्रामक रुख त्यागना होगा।
शिवसेना में शामिल हुए दो निर्दलीय
विक्रोली से नव नवनिर्वाचित पार्षद स्नेहल मोरे और डिंडोशी के पार्षद तुलसीराम शिंदे शिवसेना में शामिल हो गए। दोनों पार्षदों के शिवसेना का दामन थामने के बाद ठाकरे ने कहा कि उन्होंने बीएमसी पर शासन के लिए अब तक किसी पार्टी के साथ गठबंधन पर विचार नहीं किया है, लेकिन ये साफ किया कि मेयर का पद सेना के पास ही रहेगा।
इन चुनावों में बीजेपी शिवसेना को कड़ी टक्कर देते हुए दूसरे स्थान पर रही जबकि राज्य की दूसरी नगर पालिकाओं और स्थानीय निकायों में उसका प्रदर्शन शानदार रहा। भाजपा ने 10 में से आठ नगर निगमों पर कब्जा जमा लिया।
शिवसेना और भाजपा की मदद नहीं करेगी कांग्रेस
कांग्रेस ने आज कहा कि वो ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जिससे बीजेपी या शिवसेना को देश की सबसे अमीर महानगर पालिका पर कब्जा करने की कोशिश में मदद मिले। कांग्रेस ने मुंबई में निकाय चुनावों के दौरान 227 में से सिर्फ 31 सीटें जीत अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम ने कहा, हम अपने वैचारिक रूख को कमजोर नहीं होने देंगे। लोगों ने हमें हराया है और विपक्ष में बैठने का आदेश दिया है। हम उनके फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन मतदाताओं ने, एक दूसरे से बेहद कड़वाहट भरी जंग लड़ने वाले, भगवा दलों को भी सत्ता की चाभी नहीं सौंपी है। कांग्रेस इन दोनों दलों की मदद नहीं करेगी, लेकिन उनके बीच जारी जंग और बढ़ते मतभेद को देखना पसंद करेगी।
बीएससी के परिणाम गुरुवार को घोषित हुये थे, जिसमें शिवसेना को 84, जबकि बीजेपी को 82 सीटें मिली थीं। कांग्रेस केवल 31 सीटें जीतकर तीसरे नंबर पर रही, जबकि एनसीपी और राज ठाकरे की मनसे को क्रमश: नौ और सात सीटें हासिल हुई।
साभार लाइव हिन्दुस्तान