हरिद्वार: गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने शांतिकुंज में उत्तराखण्ड का पहला प्राकृतिक जल शोधक संयंत्र का पूजन कर शुभारंभ किया। इस संयंत्र की क्षमता प्रति घंटे पचास हजार लीटर पानी स्वच्छ करने की है।
इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या ने कहा कि हरिद्वार के पानी में आयरन व सिल्ट की मात्रा अधिक रहती है जिससे कई तरह की बीमारियाँ होने का भय रहता है। इससे निजात पाने के लिए शांतिकुंज ने प्राकृतिक जल शोधक संयंत्र का निर्माण कराया है जो कई मायनों में फायदेमंद है। कहा कि इस संयंत्र द्वारा पानी में घुले हुए आयरन, सिल्ट एवं पानी के रंग को साफ किया जाता है। संस्था की अधिष्ठात्री शैल दीदी ने कहा कि यह संयंत्र पूरी तरह प्राकृतिक है जिससे पानी के सभी तत्व मौजूद रहते हैं।
विभाग के इंजीनियर श्री जयसिंह यादव ने बताया कि संयंत्र में पानी के आयरन व सिल्ट को एरिएटर के द्वारा हवा व धूप से ज्यादा से ज्यादा संपर्क कराकर उसके आयरन तत्व को कम किया जाता है। फिर फिटकरी और ब्लिचिंग को मिलाकर इसमें घुले हुए सिल्ट को फ्लोकुलेटर के द्वारा फ्लोक्स बनाकर आगे क्लियरिफायर के द्वारा शोधन किया जाता है। इसके पश्चात प्राकृतिक पद्धति से आयरन व सिल्ट को कम करने के लिए विशेष रूप से तैयार किये गये फिल्टर से उसे छाना जाता है, जिसमें पानी को बालू, रेत, बजरी, ग्रेवल, पेवल, बोल्डर की कुल दस परतों के रेपिट ग्रेविटी फिल्टर के माध्यम से छानकर पानी को टंकी में एकत्र किया जाता है, फिर सप्लाई किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस संयंत्र की क्षमता प्रति घंटे पचास हजार लीटर पानी स्वच्छ करने की है।