नई दिल्ली: श्री राम विलास पासवान, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खादय एंव सार्वजनिक वितरण मंत्री ने कहा है कि उद्योग एवं व्यापार के सतत विकास के लिए सही पैमाइश एक शक्तिशाली साधन है और यह देश की सामाजिक प्रगति में भी योगदान देता है। गलत या अशुद्ध पैमाइश से अविश्वास पैदा होता है और यह अकसर सुरक्षा बाधा का स्रोत है। अत: मात्रात्मक आश्वासन की संस्कृति का संवर्धन–उपभोक्ता संरक्षण तथा आंतरिक व्यापार का प्राथमिक मुद्दा है। श्री राम विलास पासवान ने यह बात आज नई दिल्ली में आयोजित राज्यों के सचिवों और विधिक मापविज्ञान नियंत्रकों की केंद्र सरकार के साथ राष्ट्रीय परामर्शी बैठक के उद्घाटन के असवर पर कही। इस बैठक का आयोजन केंद्रीय उपभोक्ता मामले के विभाग द्वारा किया गया था।
श्री पासवान ने इस अवसर पर कहा कि एक विधायी ढांचा होना चाहिए, हालांकि उसकी प्रभावकारिता उसके यथोचित कार्यान्वयन पर निर्भर करती है। आज भी आम उपभोक्ता अपने दैनिक जीवन में प्रयोग में आने वाले बी.पी. मीटर्स और भार तोलक मशीन जैसे कुछेक महत्वपूर्ण उपकरणों में मौजूद अशुद्धियों से पीडि़त है। कभी-कभी पेट्रोल पम्पों और कृषि मंडियों में प्रयोग किए जाने वाले धर्मकांटों की सत्यता पर भी संदेह किया जाता है। कुछेक विनिर्माता आज भी पैकबंद वस्तु नियमों के उपबंधों की अवहेलना करते हैं। राज्यों के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए श्री पासवान ने उपभोक्ता मामले विभाग और राज्यों को सुझाव दिया कि वे प्रणाली में उपभोक्ताओं के विश्वास को बेहतर बनाने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए और अनुचित व्यौहारों में लिप्त या बाजार में अवमानक उत्पादों को भेजने वाले विनिर्माताओं के दिमाग में डर पैदा करने के लिए एकजुट होकर कार्य करें। श्री पासवान ने विधिक मापविज्ञान को मजबूत बनाने के लिए पिछले दो वर्षों के दौरान मंत्रालय द्वारा अग्रसक्रिय रूप से उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों का भी उल्लेख किया। हाल ही में की गई कुछ पहलें, अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक प्रभार लेने, दोहरे अधिकतम खुदरा मूल्य की घोषणा करने के विरुद्ध कार्रवाई करने पर केन्द्रित हैं और हम पैकबंद वस्तुएं नियम में भी कुछ बदलाव करने के बारे में विचार कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, श्री सी.आर. चौधरी भी उपस्थित रहे और प्रतिभागियों को सम्बोधित किया। श्री सी.आर. चौधरी ने कहा कि बाट एवं माप का विषय आम आदमी के लिए महत्वपूर्ण है। बाट एवं माप का गैर-सत्यापन और नियमों के गैर-प्रवर्तन से (i) उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष हानि; (ii) नागरिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का गंभीर जोखिम; और (iii) राजकोष को राजस्व का काफी नुकसान हो सकता है। अत: एक पारदर्शी एवं प्रभावी विधिक मापविज्ञान प्रणाली से व्यापार, उद्योग तथा उपभोक्ताओं में विश्वास जागृत होता है और व्यवसाय करने हेतु सामंजस्यपूर्ण वातावरण तैयार होता है। श्री चौधरी ने कहा कि भारत सरकार, कई राज्यों द्वारा किए गए प्रयासों से और अग्रानीत नूतनताओं की प्रशंसा करती है।
प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव, श्री हेम पाण्डे ने उल्लेख किया कि ये पहली बार है जब विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर इतनी बड़ी परामर्शी बैठक का आयोजन किया जा रहा है और इससे अधिक उचित समय और कोई नहीं हो सकता जब केंद्र और राज्य अनुचित व्यापार प्रथाओं और कानून के उल्लंघनों के संबंध में गहन समन्वय में कार्य कर रहे हैं। श्री पाण्डे ने उल्लेख किया कि विधिक मापविज्ञान अधिनियम, 2009 और अधिनियम तथा नियमों के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए राज्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि वे सत्यापन और मुहरांकन करते हैं, लाइसेंस जारी करते हैं और प्रवर्तन संबंधी गतिविधियां चलाते हैं। श्री पाण्डे ने विभिन्न राज्यों द्वारा उठाए गए अग्रसक्रिय कदमों का भी उल्लेख किया और यह सुझाव दिया कि तेजी से परिवर्तित हो रहे व्यापार और वाणिज्य परिदृश्य में इसकी निरंतर पुनरीक्षा और संशोधन किया जाना आवश्यक है। उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव ने परामर्श दिया कि पूर्व में पैक किए गए उत्पादों, पैकेजों के रूपों और आकारों के संबंध में विधिक प्रथाओं संबंधी नई तकनीकों का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।
बैठक में विधिक, प्रशासनिक, प्रचालन चुनौतियों से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई और भविष्य में एक अधिक समन्वित और केंद्रित कार्यनीति पर सहमति बनी।
बेहतर उपभोक्ता संरक्षण के लिए, राज्यों के विधिक माप-विज्ञान प्रवर्तन को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:
- सभी सातों क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशालाओं और भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान, रांची में विधिक माप विज्ञान मानकों के विभिन्न मापदंडों को दर्शाने वाले संग्रहालयों की स्थापना की जाएगी। फरीदाबाद स्थित क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशाला में विधिक माप विज्ञान के सम्बन्ध में राष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय की स्थापना की जाएगी।
- व्यापारियों द्वारा बाट एवं माप में अपनाई जा रही अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।
- सभी राज्यों संघ शासित क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों से ग्राम पंचायत स्तर पर बाट एवं माप मानक उपकरण उपलब्ध कराने के लिए कहा जाएगा ताकि सन्देह की स्थिति में उपभोक्ता उनके द्वारा खरीदी गई वस्तुओं के तोल और माप की जांच के लिए ग्राम पंचायत सुविधाओं का लाभ उठा सके।.
- केन्द्र सरकार से वित्त-पोषण के लिए, राज्यों द्वारा मोबाईल वैनों और प्रयोगशालाओं के प्रस्ताव, समुचित औचित्य सहित एकीकृत रूप से भेजे जा सकते हैं।
- प्रति वर्ष मनाए जाने वाले राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के अवसर पर विधिक माप विज्ञान का बेहतर प्रवर्तन करने वाले तीन राज्यों को पुरस्कृत किया जाएगा।
- प्रचार के लिए उपलब्ध निधियों को विधिक माप विज्ञान के सम्बन्ध में उपभोक्ता जागरूकता का सृजन करने के लिए भी चिह्नित किया जाएगा।
- जागो ग्राहक जागो कार्यक्रम में विशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्रों में विधिक माप विज्ञान के सम्बन्ध में उपभोक्ता जागरूकता और मोबाईल वैन सुविधा को लोकप्रिय बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
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