देहरादून: प्रदेश के संसदीय कार्य, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री प्रकाश पन्त ने विधान सभा के कार्यालय में अधिकारियों के साथ गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग की समीक्षा की।
सर्वप्रथम सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, उत्तराखण्ड शासन विनोद शर्मा द्वारा विभाग की ओर से माननीय मंत्री जी को विभागीय मंत्री बनने पर उनका अभिनन्दन करते हुए बैठक में उपस्थित सभी अधिकारियों से मंत्री जी का परिचय कराया। दोनों विभागों के ढंाचागत् संरचना से भी अवगत कराया गया।
गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री श्री पन्त ने गन्ने के खेती के क्षेत्रफल में हो रहे ह्रास पर चिन्ता व्यक्त करते हुए गन्ना उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत किस्म के बीजों का रोपण करा कर गन्ने का उत्पादन बढ़ाने तथा चीनी परता में बढोतरी के निर्देश दिये। सचिव श्री शर्मा द्वारा अवगत कराया गया कि पेराई सत्र 2015-16 में गन्ने का कुल क्षेत्रफल 93066 हैक्टेयर था, जो पेराई सत्र 2016-17 में घटकर 80821 हैक्टेयर रह गया है। गन्ना क्षेत्रफल में ह्रास होने के उपरान्त भी उन्नत किस्म के बीज की रोपाई कराकर गन्ने की पैदावार व चीनी परता में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके फलस्वरूप राज्य में स्थित चीनी मिलों द्वारा गत् वर्ष की अपेक्षा अधिक गन्ने की पेराई की गयी है।
सचिव गन्ना श्री विनोद शर्मा ने अवगत कराया कि राज्य की चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2016-17 में दिनांक 21 मार्च, 2017 तक कुल 307.72 लाख कुन्टल गन्ना पेराई की गयी तथा कुल देय गन्ना मूल्य भुगतान रु0 946.11 करोड़ के सापेक्ष रु0 512.12 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है एवं रु0 434.00 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान किया जाना शेष है। सहकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों की ओर पेराई सत्र 2015-16 का रु0 44.54 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान किया जाना अभी शेष है। उन्होंने अवगत कराया कि राज्य में कुल 08 चीनी मिलें संचालित हैं जिसमें सहकारी क्षेत्र में 03 सार्वजनिक क्षेत्र में 02 तथा निजी क्षेत्र की 03 चीनी मिलें स्थापित है। सचिव श्री शर्मा ने मंत्री जी को अवगत कराया कि सहकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों को संचालित किये जाने हेतु देहरादून में उत्तराखण्ड सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0 का मुख्यालय स्थापित है तथा विभाग के अन्य कार्यों हेतु काशीपुर में गन्ना आयुक्त का कार्यालय स्थापित है।
कैबिनेट मंत्री द्वारा गन्ना मूल्य भुगतान न हो पाने के कारणों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी चाही गयी। सचिव द्वारा इस सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि इसका मुख्य कारण चीनी उत्पादन में आ रही प्रति बोरा लागत के सापेक्ष चीनी बिक्री से प्राप्त मूल्य कम प्राप्त होना है। यह भी बताया गया कि केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना मूल्य के सापेक्ष राज्य सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना मूल्य रु0 77.00 प्रति कुन्टल अधिक होना भी इसका एक मुख्य कारण है।
सचिव, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि चीनी मिल बाजपुर में 22 मेगावाॅट एवं चीनी मिल नादेही में 16 मेगावाॅट की सह-विद्युत परियोजना की स्थापना यू0जे0वी0एन0 के सहयोग से की जा रही है। इस सम्बन्ध मे चीनी मिल एवं यू0जे0वी0एन0 के मध्य अनुबन्ध भी स्थापित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त यह भी अवगत कराया गया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बाजपुर आसवनी में शून्य उत्प्रवाह संयंत्र स्थापित न होने के कारण आसवनी को बन्द कर दिये जाने के आदेश दिये गये है तथा उक्त संयंत्र एवं आसवनी के आधुनिकीकरण हेतु डी0पी0आर0 तैयार करा ली गयी है जिसके अनुसार रु0 52.00 करोड़ व्यय आना सम्भावित है। इस सम्बन्ध में एन0सी0डी0सी0 से ऋण लिये जाने हेतु शासकीय गारण्टी की आवश्यकता है। शासन द्वारा चीनी मिल गदरपुर को बन्द कर दिये जाने का निर्णय लिये जाने के फलस्वरूप मिल में तैनात कार्मिकों को अन्यत्र समायोजित/स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान की जा चुकी है तथा मिल की परिसम्पत्तियों, यथा प्लान्ट मशीनरी, भवन एवं 111 एकड़ भूमि आदि की बिक्री के सम्बन्ध में शासन स्तर पर निर्णय लिया जाना अपेक्षित है जिससे प्राप्त आय से मिल की देनदारियों का भुगतान किया जा सकेगा।
माननीय मंत्री जी द्वारा चीनी मिलों की ऋणात्मक स्थिति के मुख्य कारणों तथा इन्हें लाभ की स्थिति में लाये जाने हेतु प्रभावी सुधारात्मक कदम उठाये जाने के सम्बन्ध में सुस्पष्ट टिप्पणी उनके समक्ष प्रस्तुत किये जाने के निर्देश दिये गये। बैठक में गन्ना एवं चीनी आयुक्त आनन्द श्रीवास्तव, अपर सचिव गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग प्रदीप सिंह रावत, उप गन्ना एवं चीनी आयुक्त चंद्र सिंह इमलाल, महाप्रबन्धक, उत्तराखण्ड सहकारी चीनी मिल्स संघ लि0श्री ए0के0 भट्टाचार्य एवं श्री हरिमोहन उपाध्याय प्रभारी सहायक गन्ना आयुक्त उपस्थित थे।