नई दिल्ली: राष्ट्रीय रेल संग्रहालय ऑडिटोरियम, चाणक्य पुरी, नई दिल्ली में ‘डिजिटल इंडिया के लिए आईआर-वन आईसीटीसी (वन इंफोर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टैक्नोलॉजी) बिल्डिंग डिजिटल रेलवे की थीम पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन का उद्घाटन केन्द्रीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने किया। इस अवसर पर रेल राज्य मंत्री श्री राजेन गोहेन भी मुख्य रूप से उपस्थित थे। सम्मेलन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए.के. मित्तल, रेलवे बोर्ड के सदस्य श्री प्रदीप कुमार के साथ रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य, भारतीय रेल के अधिकारी गण और नेस्कॉम के प्रतिनिधि तथा आईटी उद्योग के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा, ‘यह बेहद दिलचस्प कार्यक्रम है। पिछले कई वर्षों से आईटी क्षेत्र में भारी वृद्धि देखी गई है। आईटी क्षेत्र में बहुत अधिक अवसर हैं। आईटी उद्योग चारों और व्यापार के रूप में फैल रहा है। यह उद्योग व्यापार के लिए अगले दरवाजे की तलाश नहीं करता है। आईटी उद्योग ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और भारत में बहुत अधिक संभावनाएं मौजूद है।
भारतीय रेलवे व्यापक अवसर प्रदान करता है। भारतीय रेल का मतलब केवल संचालन से ही नहीं है। भारतीय रेलवे में चिकित्सा, शिक्षा, समाज, पर्यावरण जैसे विभिन्न क्षेत्रों की अन्य बहुत सी गतिविधियां शामिल हैं। बजट भाषण में यह घोषणा की गई थी, कि भारतीय रेलवे को डिजिटलीकरण के लिए एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह पता लगाया गया है कि भारतीय रेल नेस्कॉम के माध्यम से किस तरह से आईटी उद्योग के साथ भागीदारी कर सकती है। इस उद्यम के माध्यम से विक्रेता और रेलवे दोनों को बराबर फायदा होना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा। यदि रेलवे दो बिलियन डॉलर का निवेश कर छह बिलियन डॉलर की बचत कर सकता है, तो यह महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। डिजिटल प्लेटफॉर्म के दो मॉडल उपलब्ध हैं। पहला – केपेक्स प्लेटफॉर्म तथा दूसरा- ओपेक्स मॉडल है। छह बिलियन डॉलर के आंकड़े में गैर-किराया राजस्व शामिल नहीं है। गैर-किराया राजस्व लाभकारी हो सकता है, क्योंकि इससे रेलवे के राजस्व में भारी बढ़ोतरी हो सकती है।’