लखनऊ: टीबी खतरनाक व जानलेवा है परन्तु लाइलाज नहीं है। क्षय रोग यानी टी0बी0 भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की सरकारों के लिए चिंता का विषय है। भारत विश्व के सभी देशों में टी0बी0 के मरीजों के मामले में पहले स्थान पर होने के कारण सबसे अधिक खतरे की स्थिति में बना हुआ है। यह जानकारी ‘पार्टनरशिप फाॅर टीबी केयर एण्ड कन्ट्रोल’ (पीटीसीसी) के तत्वावधान में टीबी एडवोकेट्स द्वारा आयोजित ‘इन्टरएक्शन विद पोलिटिकल लीडर्स’ कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने दिया। इसमें भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद, माक्र्सवादी कम्चुनिष्ट पार्टी, निषाद राज पार्टी सहित प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ राजनेताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ स्थित होटल गोमती में किया गया।
किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं यूपी टास्कफोर्स के अध्यक्ष डा0 सूर्यकांत ने बताया कि टीबी का इलाज केवल एलोपैथिक में है तथा उसका एक निर्धारित समय 6-8 माह का कोर्स होता है, जिसके अनवरत पूरा करने पर ही यह ठीक हो सकता है अन्यथा यह लाइलाज की अवस्था में आ जाता है। उन्होने बताया कि मरीज की उचित देखभाल, पौष्टिक आहार एवं स्वच्छ हवा से दवा का असर तेजी से होता है।
पीटीसीसी के उत्तर प्रदेश प्रमुख डा0 एस.के. श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में करीब 5 लाख व्यक्ति टीबी की बीमारी के चलते हर साल मर जाते हैं यानि कि प्रत्येक 3 मिनट में 2 टी0बी0 मरीजों की मौत हो जाती है। इन मौतों का कारण समय से टी0 बी0 के लक्षणों की पहचान और इलाज न शुरू हो पाना है। जिसके चलते फेफड़े के टी0बी0 से ग्रसित एक मरीज एक साल में 15-20 नए टी0 बी0 मरीजों को तैयार कर देता है।
पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अक्ष्यक्ष, पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ बसपा नेता पारस नाथ मौर्य ने कहा कि टीबी के प्रति जागरूकता से इस पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। उन्होने कहा कि संबंधित सभी पक्षों को इसकी जिम्मेदारी इमानदारी से लेनी होगी।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व विधायक अरशद खान ने कहा कि हम इस मसले को गरीबों तक अपने संगठन के माध्यम से पंहुचायेंगे। जो भी सहयोग बन पडे़गा उसे किया जाएगा।
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश महासचिव अनिल दूबे ने कहा कि लोगों को यह बात गंभीरता से बतानी होगी कि इलाज संभव है तथा इसमें लापरवाही करना खतरनाक होगा। उन्होने अपने संगठन में भी लोगों को इसके प्रति जागरूक करने पर बल दिया।
भारतीय जनता पार्टी की महिला मण्डल अध्यक्ष सुषमा मौर्य ने कहा कि यह गरीबों की बीमारी है तथा इसका इलाज मुफ्त में उपलब्ध है। इसके लिए राजनीतिक सहयोग भी उपलब्ध कराया जाएगा। भाजपा के पार्षद साकेत शर्मा ने कहा कि पार्टी की तरफ से टीबी नियंत्रण पर जोर दिया जा रहा है तथा हम इसके लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे।
कांग्रेस पार्टी के कार्यकारिणी सदस्य बीडी शुक्ला ने कहा कि टीबी की रोकथाम के लिए दलगत भावनाओं से उपर उठकर काम करने की आवश्यकता है तथा हम इसके लिए सभी स्तरों पर उचित सहयोग देते रहेंगे।
निषाद राज पार्टी की प्रदेश महासचिव रितु खरे ने कहा कि टीबी के बारे में लोगों में कई भ्रान्तियां हैं तथा अधिकतर लोग इसे बहुत हल्के में लेते हैं जिससे इसका उचित समय तक इलाज नहीं किया जाता है। परिणामस्वरूप यह लाइलाज हो जाता है। यह गंभीर मामला है।
माक्र्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी के कामरेड पीएन राय ने कहा कि इस तरह से टीबी के प्रति जागरूकता लाना एक सराहनीय प्रयास है। उन्होने कहा कि इस बीमारी से बचाव हेतु पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना भी एक आवश्यक कदम है।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता चन्द्रशेखर पाण्डेय ने जिज्ञासा प्रकट की कि यह हैरानी का विषय है कि कई बार सुनने में आता है कि दवायें असर नहीं कर रही हैं तो क्या इसमें भी मिलावट समझा जाये। इस पर जवाब देते हुये टीबी विशेषज्ञ डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि इलाज के दौरान लगातार दवा का प्रयोग ने करने पर यह दवा असर नहीं करती तथा बार-बार बीच में दवा लेना बन्द कर देने पर कोई भी दवा असर नहीं करती, जिससे यह जानलेवा हो जाती है। ये दवायें विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाणित होती है।
पीटीसीसी, नई दिल्ली की कोआर्डिनेटर संचिता राउत ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के बड़ी संख्या में प्रतिभाग करने पर यूपी इकाई को बधाई दी तथा आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम में कोआर्डिनेटर एवं टीबी एडवोकेट वी. वैभव शर्मा, आरिफ हसन, जगत बहादुर सिंह, धनंजय शुक्ला, वन्दना मिश्रा, पीटीसीसी, नई दिल्ली की कोआर्डिनेटर संचिता राउत, एसआईआर के आरएन ओझा, आरके बाजपेयी, प्रगति श्रीवास्तव, पत्रकार मनोज तिवारी, आसिफ हसन, सामाजिक विशेषज्ञ दीपक मिश्रा, आदि सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के अन्य प्रतिनिधि नेता प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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