देहरादून: वन व वन्यजीवों के संरक्षण में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। लोगों तक यह संदेश जाना चाहिए कि वन संरक्षण की गतिविधियां स्थानीय निवासियों के हित में ही है। सचिवालय में उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वन सरंक्षण से जुड़े हमारे तंत्र को वनों के आसपास रह रही आबादी के प्रति भी संवेदनशील रूख अपनाना होगा।
स्थानीय लोगों को साथ लेकर ही मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सकता है। हिंसक वन्यजीवों के हमले से मृत्यु पर मुआवजे को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रूपए करने के साथ ही घायल का मुआवजा भी दोगुना कर दिया जाए। संरक्षित वन क्षेत्रों के चारों ओर इको सेंसीटीव जोन को राज्य की केबिनेट की मंजूरी के बाद ही अंतिम रूप दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जंगलों व जंगलों के आसपास रह रहे लोगों तक जनसुविधाएं कैसे उपलब्ध करवाई जा सकती है, इसकी कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए। वनों को प्रदेश की आर्थिकी व लोगों के जीविकोपार्जन का साधन बनाना होगा। स्थानीय युवाओं को नेचर गाईड के तौर पर प्रशिक्षित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों में बाढ़ से आए पानी से जंगलों को भी नुकसान होता है। इसलिए हिमाचल व छŸाीसगढ़ की भांति ही यहां भी नदियों को वन क्षेत्र से बाहर रखा जाना चाहिए। ताकि यहां नदियों को अपने प्राकृतिक प्रवाह में रखते हुए नदियों के किनारों की सुरक्षा व प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सके। स्नो लैपर्ड के साथ ही कस्तूरी मृग व मोनाल के संरक्षण के लिए कार्ययोजना बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों से बाहर अनेक गांवों का पुनर्वास किया जाना है। इसके लिए एक माह में अध्ययन कर लिया जाए कि पुनर्वास के लिए हमारे पास कितनी भूमि उपलब्ध है और इसके लिए लैंड बैंक भी बनाया जाए। जो गांव पुनर्वास के लिए तैयार हैं उनका पुनर्वास का काम प्राथमिकता से किया जाए। इनमें तैडि़या, चुकम, सुंदरखाल शामिल हैं। कीडा़ जड़ी के संबंध में कुछ विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि कीड़ाजड़ी की निकासी से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है, परंतु इसमें बाहरी तत्वों के हस्तक्षेप को प्रभावी तरीके से रोका जाए। टाईगर रिजर्व में एसटीएफ का गठन शीघ्र करने, कार्बेट टाईगर रिजर्व में कोटद्वार की ओर से प्रारम्भ किए जा रहे मार्ग पर स्थानीय सहभागिता से पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने, चीला-मोतीचूर कोरीडोर में आने वाले खाण्ड गांव का पुनर्वास जल्द करने, लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग को वन विभाग के माध्यम से बनवाने का भी निर्णय किया गया। कालागढ़ टाईगर रिजर्व के अंतर्गत वन भूमि पर स्थित सिंचाई विभाग कालोनी कालागढ़ के विस्थापन के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अनुपालना के संबंध में तय किया गया कि मा0सर्वोच्च न्यायालय को राज्य के सीमित विŸाीय संसाधनों की स्थिति से अवगत कराते हुए आवश्यक धनराशि केंद्र सरकार से उपलब्ध करवाने के लिए अनुरोध किया जाए। कार्बेट रिजर्व पार्क के लिए श्री बृजेंद्र सिंह को 3 वर्षों के लिए व श्री राजीव मेहता को राजाजी पार्क के लिए 1 वर्ष के लिए अवैतनिक वन्यजीव प्रतिपालक बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया। राजाजी नेशनल पार्क में गौहरी रैंज के अंतर्गत चैरासी कुटिया क्षेत्र को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किए जाने, कार्बेट टाईगर रिजर्व की दक्षिणी सीमा में टाईगर सफारी की स्थापना किए जाने, राजाजी पार्क के तहत 132 केवी डबल सर्किट विद्युत लाईन के टावर की ऊंचाई बढ़ाए जाने, राजाजी नेशनल पार्क की चीला रेंज में हाथी सफारी पार्क आरम्भ किए जाने की सहमति भी बोर्ड द्वारा दी गई।
बोर्ड की बैठक में श्री बृजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन व सातताल, नैनीताल में बटर फ्लाई गार्डन को भी मंजूरी दी गई। इसके अतिरिक्त संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत व संरक्षित क्षेत्रों के 10 किमी परिधि में आने वाले वन भूमि हस्तांतरण के अनेक प्रकरणों को भी मंजूरी दी गई। इनमें राजाजी नेशनल पार्क से होकर हरिद्वार-देहरादून रेलवे लाईन का विद्युतीकरण, रोशनाबाद मे हरिद्वार विकास प्राधिकरण की इन्द्रलोक आवासीय योजना भाग-2 को अनापत्ती, मंसूरी वन्य जीव विहार के अन्तगर्त नया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्वीकृति, विनोग वन्यजीव विहार के अन्र्तगत केमल बैक जोन व कम्पनी गार्डन जोन मे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लंाट, जनपद चमोली के अन्तर्गत हापला-गुडम-नौली मोटर मार्ग का विस्तार, फांटा ब्यूंग 76 मेगावाट जलविद्युत परियोजना, लातातपोवन जल विद्युत परियोजना, तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना, भ्यूंडार जल विद्युत परियोजना, खीरो गंगा लघु जल विद्युत परियोजना, सिंगोली-भटवाडी जल विद्युत परियोजना के लिए वन भूमि हंस्तांतरण को स्वीकृति दी गई। इसके अतिरिक्त गंगोत्री मे हेलीपेड स्थापना सहित अनेक सामरिक महत्व के कार्याे के लिए भी वन भूमि हस्तांतरण की स्वीकृति दी गई। कुछ स्थनों पर उप खनिज चुगान की अनुमति राज्य वन्य जीव बोर्ड द्वारा दी गई।
बैठक में वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, विधायक ललित फर्सवाण, मालचन्द, मुख्य सचिव एन.रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, एस राजू, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक डीवीएस खाती, प्रमुख सचिव वन डा. रणवीर सिंह, प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, बोर्ड के सदस्य बृजेन्द्र सिंह, पीटर स्मेटाचेक, अनूप शाह, राजीव मेहता सहित अन्य सरकारी व गैर सरकारी सदस्य उपस्थित थे।
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