नई दिल्ली: केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि भीषण गर्मी के चलते देश के किसी भी भाग में सूखे एवं पेजयल की समस्या उत्पन्न होती है तो उससे निपटने के लिए उनका मंत्रालय पूरी तरह तैयार है। सुश्री भारती ने आज नई दिल्ली में कहा कि हाल ही में उनके मंत्रालय ने 15 राज्यों के उच्च अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से आने वाले स्थितियों का आंकलन किया और उससे निपटने के लिए मंत्रालय तैयार है। उन्होंने बताया कि मराठावाडा, बुंदेलखंड एवं अन्य सूखा आशंकित क्षेत्रों के जल स्रोतों के रखरखाव, संरक्षण एवं उन्हें पुनर्जीवित करने के साथ सिंचाई योजनाओं के लिए उनके मंत्रालय ने 300 करोड रूपए आवंटित हैं। इस पर जल्द ही काम शुरू होगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि झारखंड में उत्तरी कोयल नदी पर करीब 40 वर्षों से अधूरे पड़े बांधों के निर्माण का कार्य भी जल्द पूरा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि यदि ये बांध समय पर बन जाते तो झारखंड के एक बडे भू भाग को सिंचाई के लिए जल की समस्या से नहीं जूझना पड़ता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने इस कार्य को प्राथमिकता से पूरा करने को कहा है और केंद्र सरकार ने इसके लिए 1600 करोड रूपए की योजना तैयार की है जिस पर जल्द ही काम शुरू किया जायेगा।
असम में ब्रह्मपुत्र नदी के मांजुली द्वीप का जिक्र करते हुए मंत्री जी ने कहा कि द्वीप में होने वाले कटाव को रोकने के लिए पर्याप्त अनुसंधान एवं विचार विमर्श के बाद वहां जल्द कार्य शुरू किया जाएगा। इस परियोजना के लिए सरकार ने 230 करोड़ रूपये आवंटित कर दिए हैं इसमें से 166 करोड़ रूपये 27 किलोमीटर लंबे तटबंध को मजबूत करने के लिए खर्च किए जाएंगे। चालू वित्त वर्ष में इस पर 100 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे तथा परियोजना को तीन साल में पूरा कर लिया जाएगा। इस परियोजना में तट के कटाव को रोकने के लिए पारंपरिक उपायों के साथ-साथ जन सहयोग भी लिया जाएगा।
सुश्री भारती ने कहा कि विगत कुछ समय से पहाड़ी इलाकों के पारंपरिक जल स्त्रोतों को प्राकृतिक आपदाओं एवं जलवायु परिवर्तन से नुकसान पहुंचा है। इससे पहाड़ों में रहने वाले लोग पेयजल की समस्या एवं अन्य कारणों से पठारी क्षेत्रों की ओर पलायन करने लगे हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने केंद्रीय भूजल बोर्ड को निर्देशित किया है कि हिमालय की जलधाराओं एवं झरनों को पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत परियोजना तैयार करें। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत उत्तर पूर्व के राज्यों को शामिल कर जल्द कार्य प्रारंभ किया जायेगा।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में बांधों का डिजाइन इस प्रकार तैयार किया जाएगा कि नदी का बहाव पूरी तरह बंद न हो और बारह मास नदियां बहती रहे। उन्होंने कहा कि बांध परियोजनाओं के साथ पर्यावरण को बचाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जल के बिना पर्यावरण का संरक्षण संभव नहीं है।
पडोसी देशों के साथ संबंध में जल की भूमिका महत्वपूर्ण
सुश्री भारती ने कहा कि नेपाल और बांग्लादेश के साथ संबंधों में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा, ‘भारत और नेपाल के साथ हमारे संबंध नदियों के प्रवाह जैसे हैं। नदियों का पानी हमेशा मीठा होता है और देानों देशों के साथ हमारे संबंध भी मधुर ही होंगे और इसमें जल की भूमिका अहम होगी।’ पंचेश्वर बांध परियोजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर तेजी से कार्य चल रहा है। इस परियोजना से 5600 मैगावाट प्रतिवर्ष विघुत उत्पादन होगा। साथ ही, प्रोजेक्ट को इस तरह डिजाइन किया जायेगा कि वह पर्यटकों को भी आकर्षित कर सके।
एआईबीपी प्रोजेक्ट की होगी ऑनलाइन निगरानी
सुश्री भारती ने इससे पूर्व प्रधानमंत्री कषि सिंचाई योजना तथा एआईबीपी परियोजनाओं की ऑनलाइन निगरानी प्रणाली को लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह निगरानी प्रणाली इसमें और मदद करेगी। उन्होंने कहा कि एआईबीपी की 99 में से 23 परियोजनाओं को इस वर्ष जून तक पूरा कर लिया जाएगा।