नई दिल्ली: महात्मा गांधी की छवी खराब करने वाले लोगों सुप्रीम कोर्ट ने नसीहत देते हुए कहा कि कोई अपने राष्ट्रपिता का अपमान कैसे कर सकता है। महात्मा गांधी पर लिखी एक कविता को लेकर उपजे विवाद की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सम्मान करना किसी एक का नहीं, बल्कि हर भारतीय की जिम्मेदारी है।
हमारे देश के सिर्फ एक ही राष्ट्रपिता है और हम उनका अपमान कैसे कर सकते है। मामले की सुनवाई के दौरान गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलात्मक स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्रपिता को कहे गए अपशब्दों को सही नहीं ठहराया जा सकता है। अदालत ने कहा कि गांधी को उच्च स्थान प्रप्त है। जज दीपक मिश्रा और प्रफुल्ल सी पंत की बेंच ने कहा कि विचारों की आजादी और शब्दों की आजादी में काफी अंतर है। विचारों की आजादी के नाम पर आप किसी के मुंह से कोई बात कहलवाकर सनसनी नहीं फैला सकते हैं। कोर्ट ने कहा, अगर किसी ने महारानी विक्टोरिया के मुंह से ये शब्द कहलवाए होते तो ब्रिटिश कैसे रिऎक्ट करते।
भाषा की आजादी से कोई समस्या नहीं है, बल्कि इसके नाम पर गांधी को कुछ कहने से है। बेंच ने इस मामले में सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के कर्मचारी और ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयीज असोसिएशन की बुलेटिन मैगजीन के संपादक देवीदास रामचंद्र तुलजापुरकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ चल रहे मुकदमे को निरस्त करने की मांग की थी।
उन्होंने 1994 में मराठी कवि वसंत दत्ताराय गुज्जर की गांधी माला भेटला होता (मैं गांधी से मिला) नाम की कविता छापी थी। इसमें गांधी पर अपशब्द लिखने का आरोप है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी अपील ठुकरा दी थी।
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