लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लेते हुए निर्देश दिए हंै कि किसानों से गेहूं क्रय में गुणवत्ता के आधार पर कोई कटौती न की जाए। उन्होंने कहा कि गेहूं खरीद पर भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गयी कटौती पर आने वाले व्यय की भरपाई राज्य सरकार द्वारा की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि फरवरी माह के अन्तिम सप्ताह से निरन्तर बेमौसम वर्षा एवं ओलावृष्टि के कारण गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। ऐसे में किसानों को राहत पहुंचाने के मकसद से प्रदेश सरकार ने यह फैसला लिया है।
गौरतलब है कि बेमौसम बारिश में किसानों की फसल को हुए नुकसान को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार से गेहूं खरीफ के लिए गुणवत्ता मानकों को शिथिल करने का अनुरोध किया गया था। इस सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा 32.63 रु0 प्रति कुन्टल की कटौती करते हुए खरीद की अनुमति 16 अप्रैल, 2015 को दी गयी। प्रदेश सरकार द्वारा केन्द्र सरकार से इस कटौती को वापस लेने का अनुरोध किया गया, जिस पर पुनः विचार करते हुए 20 अप्रैल, 2015 को 10.88 रुपए प्रति कुन्टल कटौती के आधार पर शिथिलीकृत मानक पर क्रय की अनुमति भारत सरकार द्वारा दी गयी है। प्रदेश के किसानों के हितों के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने यह तय किया कि गेहूं खरीद में कोई कटौती नहीं की जाएगी। किसानों को गेहूं का निर्धारित समर्थन मूल्य दिया जाएगा और भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गयी 10 रुपए 88 पैसे प्रति कुन्तल कटौती की भरपाई राज्य सरकार करेगी।
मुख्यमंत्री अपनी जर्मनी यात्रा से वापस आने के बाद आज यहां अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में किसानों को राहत पहुंचाने के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। गेहूं की सरकारी खरीद की समीक्षा के दौरान श्री यादव ने कहा कि किसानों से क्रय केन्द्र पर गेहूं की उतराई एवं छनाई का व्यय नहीं लिया जायेगा। इसकी प्रतिपूर्ति मण्डी परिषद द्वारा स्वीकृत दरों पर की जायेगी। उन्होंने निर्देश दिए कि किसानों का गेहूं उनके द्वार से भी क्रय किया जाए, जिससे किसानों को ढुलाई का खर्च न देना पड़े। उन्होंने कहा कि रबी विपणन वर्ष 2015-16 में मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत किसानों से गेहूं की खरीद में तेजी लाते हुए पूरी पारदर्शिता बरती जाए।
फसल बीमा की योजनाओं के तहत प्रभावित किसानों को दिए गए मुआवजे की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने पाया कि रबी 2014-15 में आंशिक क्षतिपूर्ति की स्थिति बेहद असंतोषजनक है। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे भारत सरकार को बीमा कम्पनियांे की शिथिल कार्य प्रणाली के बारे में अवगत कराते हुए मुआवजे के भुगतान को गति प्रदान कराएं। बैठक में अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को यह जानकारी दी गयी कि 13 जनपदों- आजमगढ़, कन्नौज, पीलीभीत, वाराणसी, खीरी, कानपुर, बांदा, इटावा, चित्रकूट, उन्नाव, कानपुर देहात, बरेली तथा बुलन्दशहर में 10,172 किसानों को 2.9 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति वितरित की गयी।
श्री यादव ने निर्देश दिए कि वितरित की गयी आंशिक क्षतिपूर्ति क्षति के अनुरूप नहीं होने के कारण बीमा कम्पनी के अधिकारियों को फसलों के नुकसान का पुनः आंकलन कराते हुए तात्कालिक सहायता के रूप में आंशिक क्षतिपूर्ति को प्राथमिकता के आधार पर वितरित किया जाए। उन्होंने कहा कि रबी 2014-15 में प्रदेश में बेमौसम बारिश तथा अतिवृष्टि/ओलावृष्टि हुई है, किन्तु बीमा कम्पनियों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में फसलों की क्षति के आंकलन का सर्वेक्षण कार्य अभी तक पूर्ण नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री ने इस स्थिति पर असंतोष व्यक्त करते हुए समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि जनपद स्तर पर क्षति का आंकलन करने हेतु एक कमेटी गठित की जाए। यह कमेटी प्रभावित क्षेत्रों में प्राथमिकता पर क्षति के आंकलन की समीक्षा करते हुए बीमा कम्पनी द्वारा 7 दिन के अन्दर बीमित कृषकों को क्षतिपूर्ति का भुगतान सुनिश्चित कराए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि ओलावृष्टि की स्थिति में किसानों द्वारा बीमा कम्पनी को 48 घण्टे के अन्दर सूचना दिए जाने की अवधि को एक सप्ताह तक बढ़ाए जाने हेतु भारत सरकार को पत्र भेजा जाए। उन्होंने कहा कि किसानों को योजना के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी नहीं होने के कारण ओलावृष्टि की स्थिति में बीमा कम्पनी को 48 घण्टे के अन्दर सूचित करना सम्भव नहीं हो पाता। उन्होंने निर्देश दिए कि किसानों को योजना के सम्बन्ध में सारी जानकारी और इससे सम्बन्धित कागजात सरल हिन्दी भाषा में उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही बीमा कम्पनियों द्वारा योजना का प्रचार-प्रसार किसानों के बीच प्रभावी रूप से किया जाए ताकि अधिक से अधिक किसाना योजना में भागीदारी करते हुए योजना से लाभान्वित हो सकें।