लखनऊ: सूबे की सपा सरकार के शासनकाल में यूपी के सूचना आयुक्त के पद का आवेदन कर सूचना आयुक्त बनने की चाह में मामले को हाई कोर्ट ले जाने वाले यूपी कैडर के IPS अधिकारी और मुख्यालय नियम एवं ग्रन्थ उत्तर प्रदेश के कार्यालय में पुलिस महानिरीक्षक के पद पर कार्यरत अमिताभ ठाकुर में आरटीआई एक्ट के ज्ञान और समझ की कमी का गंभीर आरोप लगा है l लखनऊ के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता इं. संजय शर्मा ने अपने आरटीआई प्रकरण का निस्तारण करने के लिए अमिताभ ठाकुर द्वारा जारी किये गए एक पत्र के आधार अमिताभ पर यह आरोप लगाया है l समझा जा सकता है कि सूबे के पुलिस महकमे ने लिए नियमों को बनाने से सम्बंधित कार्यालय के आला अधिकारी पर और उस अधिकारी पर जो अपने आप को आरटीआई कार्यकर्ता कहता हो और जिसने उच्च न्यायालय तक में अपने सूचना आयुक्त बनने का दावा ठोंक रखा हो, में आरटीआई एक्ट के ज्ञान और समझ की कमी का आरोप कितना गंभीर आरोप है l
दरअसल संजय ने बीते 15 अप्रैल को मुख्यालय नियम एवं ग्रन्थ उत्तर प्रदेश के कार्यालय में एक आरटीआई दायर करके कुछ सूचना माँगी थीं l संजय के इस पत्र को अमिताभ ठाकुर ने 10 दिन बाद डीजीपी कार्यालय के जन सूचना अधिकारी को अंतरित किया है l अमिताभ के कार्यालय ने यह पत्र जारी होने के 9 दिन बाद बीते 4 मई को जारी किया गया है l संजय बताते हैं कि आरटीआई एक्ट की धारा 6(3) में विधिक प्राविधान है कि आरटीआई आवेदन का अंतरण हर हाल में 5 दिन में हो जाना चाहिए पर अमिताभ ने यह अंतरण 5 दिन के स्थान पर 9 दिन बाद किया है और अंतरण का पत्र 18 दिन बाद जारी किया है l
अमिताभ द्वारा आरटीआई एक्ट का पालन न करना वास्तव में कुछ बड़े सबाल भी खड़ा कर रहा है l जहाँ एक तरफ अमिताभ ठाकुर और इनकी पत्नी नूतन ठाकुर आरटीआई एक्टिविस्ट होने का दम भरते हैं और आरटीआई एक्ट के आधार पर लोगों को कटघरे में खड़ा करते रहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ अमिताभ आरटीआई एक्ट के इस साधारण प्राविधान का भी अनुपालन नहीं कर पाए हैं l संजय ने बताया कि वे मुख्य सूचना आयुक्त को पत्र लिखकर अमिताभ के खिलाफ शिकायत दर्ज करा रहे हैं और अमिताभ ठाकुर को आरटीआई एक्ट की मुकम्मल ट्रेनिंग देने की व्यवस्था कराने की भी मांग कर रहे हैं l