चेचक वायरल संक्रमण तथा अत्यधिक संक्रामक बीमारी है। यह बीमारी वेरिसला-जोस्टर वायरस (वीज़ेडवी) के कारण होती है। चेचक मुख्यत: दस साल से कम उम्र के बच्चों में पाये जाने वाला रोग है, लेकिन साथ ही साथ यह वयस्कों को भी प्रभावित करता हैं। यह बीमारी वयस्कों में गंभीर हो सकती है। इस बीमारी के कारण त्वचा पर भिन्न- भिन्न तरह की फुंसी जैसे कि “प्ल्युमार्फिक दानों” के अलावा खुजली, थकान और बुखार होता है।
लक्षण:-
इसमें शामिल है:
- शरीर पर सबसे पहले दाने दिखाई देते है। उसके बाद यह दाने चेहरे, हाथों और पैरों पर फ़ैल जाते है।
- खुजली।
- अचानक बुख़ार होना, जो कि कम से मध्यम हो सकता है।
- पीठ में दर्द।
- सिरदर्द।
- भूख में कमी।
- बीमार महसूस करना (अस्वस्थता)।
करण:-
चेचक (संक्रामक बीमारी) संक्रमित व्यक्ति से असंक्रमित व्यक्ति में फैलता है। इस रोग का वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है। यह बीमारी चेचक के दानों से निकलने वाले वायरस कणों को छूने से भी फैल सकती है।
आमतौर पर इस बीमारी के संपर्क में आने के बाद संक्रमित व्यक्ति में लक्षण प्रकट होने में दस से इक्कीस दिन का समय लक्षण प्रकट होने में लगता है। इस अवधि को ऊष्मायन अवधि कहा जाता है।
निदान:- चेचक का निदान क्लासिकल लक्षणों के साथ किया जा सकता है। हालाँकि, बीमारी की प्रयोगशाला स्वीकृति के लिए त्वचा के दानों का सूक्ष्म परीक्षण किया जाता है।
प्रबन्धन:- चेचक के दौरान होने वाली खुजली से राहत पाने के लिए कैलेमाइन लोशन का उपयोग किया जाता है। छालों को खरोंचकर होने वाले संक्रमण से बचने के लिए नाखूनों को छोटा काटा जाना चाहिए।
- दर्द से राहत दिलाने में दर्द की दवाइयाँ जैसे कि पैरासिटामोल और इबुप्रोफेन सहायता करती है।
- एंटीवायरल दवाएं केवल चिकित्सक द्वारा निर्धारित या गंभीर स्थितियों में दी जा सकती है।
- रोगी को अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
रोकथाम:- चेचक को रोकने का सबसे सुरक्षित उपाय टीकाकरण है। यह टीका तेरह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दिया जाना चाहिए। पहली ख़ुराक बारह से पंद्रह माह के दौरान दी जाती है। दूसरी ख़ुराक चार से छह वर्ष की उम्र में दी जाती है।
भारतीय बाल चिकित्सा संघ (आईएपी) द्वारा वैक्सीन की सिफारिश की जाती है। हालांकि, यह सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण प्रणाली में उपलब्ध नहीं है।