नई दिल्ली: आरएसएस अगले कुछ महीनों में देशभर में 120 कामधेनु नगर बनाना चाहता है। उसका मानना है कि इससे हिंदू परंपरा में पवित्र माने जाने वाले पशुओं का सम्मान होगा और उनके साथ लोगों का रिश्ता मजबूत होगा। संघ को उम्मीद है कि इससे अपराध में कमी आएगी और अपराधियों को सुधारा जा सकेगा। कामधेनु नगर दरअसल गोशालाएं होंगी, जिन्हें रेजिडेंशल कॉलोनियों के पास बनाया जाएगा।
संघ से जुड़े अखिल भारतीय गो सेवा के अध्यक्ष शंकर लाल ने कहा, ‘गायों की रक्षा तभी की जा सकती है, जब वे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन जाएं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी बातचीत रेजिडेंशल सोसायटीज से हो रही है, जो अपनी जमीन गोशालाओं के लिए देने को तैयार हैं। इन गोशालाओं से कॉलोनियों को दूध, दवाएं और गोबर गैस मिलेगी। बदले में कॉलोनियां इन गोशालाओं की देखभाल में मदद करेंगी।’
संघ ने वेस्ट बंगाल, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में 100 से ज्यादा जगहें चिह्नित की हैं। लाल ने कहा, ‘इन गोशालाओं में विशुद्ध भारतीय नस्ल की गायें रखी जाएंगी।’ उन्होंने कहा, ‘अपराध मुक्त भारत के लिए जरूरी है कि हमारे बच्चे भारतीय गायों का ही दूध पीये क्योंकि इससे वे सात्विक बनेंगे। जर्सी गायों और भैंस का दूध पीने से दिमाग में बुरे विचार आते हैं और लोग अपराधी बन जाते हैं।’
संघ की इस साल बड़े आवासीय स्कूलों में 80 गोकुल गुरुकुल खोलने की योजना भी है। लाल ने कहा, ‘बच्चे अगर पशुओं के साथ भी रहें तो इसमें बुराई क्या है। बानकेड़ी और ग्वालियर में हमारे ऐसे स्कूल पहले से हैं।’
यह सब गायों की रक्षा से जुड़े संघ के 18 सूत्री अजेंडा का हिस्सा है। इसके तहत गोधन पर आधारित खेती को बढ़ावा देने, जेलों में गोशालाएं बनाने, स्कूली बच्चों को स्कॉलरशिप देने के लिए गायों के बारे में परीक्षा कराने, गो विज्ञान के अध्ययन के लिए एक विश्वविद्यालय खोलने, हर राज्य में एक गाय अभयारण्य खोलने और मंदिरों में हर सप्ताह गो कथा कराने की बातें हैं।
संघ के प्रचारक अभिनव शर्मा ने कहा कि राजस्थान में हाल में स्कूली बच्चों के लिए गो ज्ञान परीक्षा हुई थी और हम ऐसा दूसरे राज्यों में भी करना चाहते हैं। जेलों में गोशालाओं के बारे में लाल ने कहा, ‘गायों की सेवा करने से कैदियों के व्यवहार में बदलाव आएगा। मध्य प्रदेश में इसमें सफलता मिली है।’
संघ ने फिनायल, ब्यूटी प्रॉडक्ट्स, मच्छर भगाने वाले उत्पादों सहित 104 चीजों की लिस्ट बनाई है, जिसे उससे जुड़े तमाम एनजीओ ने तैयार किया है। संघ की योजना ऐसा ट्रैक्टर बनाने की भी है, जिसे बैलों से खींचा जा सकेगा। इस तरह किसानों को पशु आधारित खेती की व्यवस्था की ओर लौटाया जा सकेगा।