19 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

‘आस्ट्रेलिया से तीन प्रस्तर प्रतिमाओं की भारत वापसी’ संबंधी प्रदर्शनी राष्ट्रीय संग्रहालय में आरंभ

‘आस्ट्रेलिया से तीन प्रस्तर प्रतिमाओं की भारत वापसी’ संबंधी प्रदर्शनी राष्ट्रीय संग्रहालय में आरंभ
देश-विदेशमनोरंजन

नई दिल्ली: ‘आस्ट्रेलिया से तीन प्रस्तर प्रतिमाओं की भारत वापसी’ संबंधी प्रदर्शनी नई दिल्ली के जनपथ में स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में आरंभ हो गई है। इसका आयोजन आस्ट्रेलिया से तीन प्रस्तर प्रतिमाओं की सुरक्षित वापसी के संदर्भ में किया जा रहा है, जिनमें आसीन बुद्ध, बुद्ध के उपासक और देवी प्रत्यांगिरा की मूर्तियां शामिल हैं। इन प्रतिमाओं को नेशनल गैलरी ऑफ आस्ट्रेलिया ने 2007 में नैन्सी वाइनर, न्यूयॉर्क और 2005 में आर्ट ऑफ दी पास्ट, न्यूयॉर्क से खरीदी थीं।

संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने कल (23.05.2017) प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। उन्होंने आस्ट्रेलिया के केनबरा में स्थिति नेशनल गैलरी ऑफ आस्ट्रेलिया में आयोजित एक विशेष समारोह में हिस्सा लिया था, जिसमें सीनेटर मित्च फीफील्ड ने औपचारिक रूप से भारत से चुराई गई और तस्करी द्वारा बाहर भेजी जाने वाली इन तीन प्राचीन कलाकृतियों को उन्हें सौंपा था; इन कलाकृतियों को बाद में नेशनल गैलरी ऑफ आस्ट्रेलिया ने खरीद लिया था।

इसके पहले सितंबर, 2014 में जब आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री भारत आए थे, तो उस समय भी आस्ट्रेलिया की सरकार ने ‘नृत्य करते शिव’ प्रतिमा वापस की थी।

यह प्रदर्शनी इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका आयोजन देश से चुराई जाने वाली तीन दुर्लभ प्रतिमाओं की वापसी के उपलक्ष्य में किया जा रहा है।

1.  बुद्ध के उपासकों की प्रतिमा : (सातवाहन, पहली शताब्दी बीसीई से दूसरी शताब्दी सीई, आन्ध्र प्रदेश, दक्षिण भारत, चूना पत्थर, आकार : 96.5x106.7x12.7 सेमी.)। इस प्रस्तर कला में एक स्तूप है (संभवतः ड्रम स्लेब) जो चूना पत्थर का बना है। इस पैनल में कुछ बौद्ध प्रतीकों की उपासना दिखाई गई है, जो संभवतः चक्रस्तंभ या बोधिवृक्ष है, लेकिन ऊपर का हिस्सा टूट जाने के कारण स्पष्ट नहीं है। यह एक सिंहासन पर रखा हुआ है, जिसके नीचे बुद्ध-पद नजर आ रहे हैं। मध्य में उपासक जोड़े दोनों तरफ बने हैं, जो खड़े हुए हैं। दोनों तरफ पुरुष उपासक हैं और उनके पीछे स्त्री उपासकों की प्रतिमाएं हैं। उनके हाथों में फूल या फूलों के हार बनाए गए हैं। इस मूर्ति को चन्द्रवरम (जिला प्रकाशम), आन्ध्र प्रदेश में बौधस्तूप की 1970 के दशक में खुदाई के दौरान निकाला गया था।

2.  विशाल आभामंडल सहित आसीन बुद्ध : (कुषाण, दूसरी शताब्दी सीई, महोली, मथुरा, उत्तर प्रदेश, चित्तीदार लाल बलुई पत्थर, आकार : 129.5x101.5x30.5 सेमी.)। इस मूर्ति में बुद्ध पद्मासन में बैठे हैं। इसमें बुद्ध को एकांशिक संघति (एक कंधे पर दुप्पट्टा जो कई तहों में है) धारण किये हुए दिखाया गया है। कपड़े को पारदर्शी दिखाया गया है और उसके बीच से नाभिस्थल स्पष्ट दिखता है। मूर्ति का दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है तथा बायां हाथ जंघा पर रखा है। विशाल आभामंडल तराश कर बनाया गया है। इसमें हस्ती नख कमर के ऊपर स्थित है। बुद्ध को उर्ण, प्रलंब कर्ण (लटका हुआ कान का निचला हिस्सा), उष्णिशा और उनके मुख पर ध्यान की आभा दिख रही है।

3.  खड़ी मुद्रा में प्रत्यांगिरा : (चोल, 13वीं शताब्दी सीई, तमिलनाडु, दक्षिण भारत, सलेटी रंग का ग्रेनाइट पत्थर, आकार : 125.1x55.9x30.5 सेमी.)। संरक्षण के अपने सर्वोच्च कर्तव्य को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह के रूप में अवतार लिया था, जिसमें उन्होंने मानव शरीर और शेर के मुख का रूप धारण किया था। उन्होंने दैत्य सम्राट हिरण्यकश्यपु का वध किया था, जो पाप का प्रतीक था। इस मूर्ति में तांत्रिक उपास्य को दिखाया गया है जो भगवान नरसिंह का स्त्री पक्ष है। इसे नरसिंही के रूप में भी जाना जाता है। इनका साधनामाला के लिए भी आह्वान किया जाता है। यह देवी प्रालंबपदित मुद्रा में खड़ी हैं। उनका मुख गरजते हुए क्रुद्ध शेर के रूप में है और शरीर स्त्री का है। उनके सिर से ज्वाला निकल रही है। उनके दांये हाथ में त्रिशूल और डमरू  है। यह प्रत्यांगिरा की मूर्ति है, जिसे शैव मत के अनुसार भैरवी का रूप माना जाता है। चोरी होने से पहले इस मूर्ति की उपासना चेन्नई के निकट स्थित वृद्धाचलम मंदिर में की जाती थी।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More