देहरादून: सहकारिता विभाग क्लस्टर आधारित ऋण नीति अपनाए। सब्जी, फल, दूध, मशरूम, एरोमैटिक प्लांट्स आदि के लिए गांवो के क्लस्टर विकसित किये जाएं। सचिवालय में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सहकारिता विभाग की समीक्षा करते हुए प्रदेश की सभी 759 प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के कम्प्यूटीकरण के निर्देश दिए। इसके साथ ही सभी जिला सहकारी बैंको को सीबीएस प्रणाली के अन्तर्गत आपस में जोड़ने के लिए भी आवश्यक कदम उठाने जाएं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने विभागीय अधिकारियों से जानकारी मांगी कि अभी तक उनके द्वारा दिए गए ऋणों से किसानों ने क्या लाभ उठाया है। उन्होने कहा कि सहकारिता विभाग का मुख्य लक्ष्य ऋण एवं तकनीकी सलाह के माध्यम से किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का होना चाहिए। इस दिशा में जिला सहकारी बैंको की भूमिका महत्वपूर्ण है।
सचिव सहकारिता श्री आर.मीनाक्षी सुन्दरम द्वारा बताया गया कि प्रदेश में 10 जिला सहकारी बैंक, 05 केन्द्रीय उपभोक्ता भण्डार, 07 जिला सहकारी संघ, 83 जिला सहकारी विकास संघ लि0 सहित कुल 115 केन्द्रीय सहकारी संस्थाए है। इसी प्रकार 759 प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) सहित 3054 प्राथमिक सहकारी समितियां है। उन्होने बताया कि वर्ष 2017-18 में अब तक 5135 लाख का अल्पकालिन ऋण व 55 लाख के मध्यकालिन ऋण के साथ ही 1230 मीट्रिक टन उर्वरक वितरित किया गया है। इसी अवधि में 6015 लाख रूपए के सहकारी ऋण की वसूली की गई है। सहकारी सहभागिता योजना में प्रदेश के कृषको को ब्याज राहत स्वरूप 862.31 लाख की धनराशि आवंटित की गई है। सहकारी बैंको द्वारा अपने 68 एटीएम स्थापित किए गये है व 1,20,000 कृषको को रूपे डेबिट कार्ड वितरित किए गये है।