राष्ट्रपति ने बेंगलूरू में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रूपमें हिस्सा जिसमें मेट्रो चरण-1 परियोजना कर्नाटक के लोगों को समर्पित की गई।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मूल रूप में गार्डन सिटी के नाम से विख्यात, बेंगलूरू ने अपने को धीरे-धीरे भारत की सिलिकन घाटी में रूपांतरित कर लिया। वैश्विक रैंकिंग के अनुसार इसे दुनिया के सर्वाधिक गतिशील शहर, यहां तक कि सिलिकन वैली से भी अधिक गतिशील शहर का दर्जा मिला है। उन्होंने कहा कि मुझे कर्नाटक राज्य के लोगों को मट्रो चरण-1 परियोजना सौंपते हुए अत्यन्त हर्ष अनुभव हो रहा है।
उन्होंने बताया कि पहली मेट्रोपोलिटन रेलवे सेवा 1863 में लंदन में शुरू हुई थी। इस दृष्टि से देखें तो भारत में मेट्रो सेवा को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में अपनाने में अनेक दशकों का विलम्ब हुआ है। 20वीं सदी के प्रारंभ में लगभग समूचे यूरोप, उत्तर अमरीका और दक्षिण अमरीका के सभी बड़े शहरों में मेट्रो का जाल फैल चुका था। हमारे यहां प्रथम मेट्रो नेटवर्क 1984 में कोलकाता प्रारंभ हुआ, लेकिन उसके बाद वर्ष 2000 में दिल्ली में मेट्रो सेवा प्रारंभ होने के बाद भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘नम्मा मेट्रो के पहले चरण में वर्ष 2008 में 42.3 कि.मी. लम्बी रेल परियोजना का निर्माण कार्य शुरू किया गया था और अतीत में विभिन्न चरणों में 31 कि.मी. लाइन पर मेट्रो सेवा प्रारंभ की गई। आज अंतिम चरण में 11.3 कि.मी. लाइन पर मेट्रो सेवा के खुल जाने के साथ ही यह परियोजना पूर्ण हो गयी है। इस परियोजना में मुख्य भागीदारी कर्नाटक सरकार, भारत सरकार, जापान इंटरनेशनल काऑपरेशन एजेंसी और फ्रांस की एजेंसे फ्रैंकाइसे द डिवेलप्मेंट की रही है। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि नम्मा मेट्रों के दूसरे चरण का निर्माण कार्य भी जारी है, जिससे इस नेटवर्क में 72 कि.मी. लाइन और जुड़ जायेगी।
राष्ट्रपति ने बेंगलूरू मेट्रो रेल परियोजना की टीम को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी। उन्होंने शहरी विकास मंत्रालय, कर्नाटक की जनता और राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की और जापान सरकार तथा फ्रांस सरकार की वित्तीय सहायता के लिए आभार व्यक्त किया।