ऊर्जा, कोयला, नवीन और अक्षय ऊर्जा एवं खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने आज ऊर्जा संरक्षण इमारत नियमावली 2017 (ईसीबीसी 2017) का शुभारंभ किया। ईसीबीसी 2017 में निर्धारित मानकों के आधार पर ही देशभर में नई व्यावसायिक इमारतों के निर्माण किया जाएगा। ईसीबीसी को ऊर्जा मंत्रालय और ऊर्जा क्षमता ब्यूरो (बीईई) ने तैयार किया है।
ईसीबीसी का नवीन संस्करण वर्तमान के साथ-साथ भविष्योन्मुखी इमारत प्रौद्योगिकी विकास पर केन्द्रित है। इसके अतिरिक्त यह इमारत ऊर्जा उपभोग को कम करने और न्यून कार्बन उत्सर्जन को प्रोत्साहित करता है। ईसीबीसी 2017
अप्रतिरोधी डिजाइन रणनीतियों को शामिल करके, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को इमारतों के डिजाइन में शामिल करने के लिए बिल्डरों, डिजाइनरों और निर्माताओं के लिए मानक एवं पैमाने निर्धारित करती हैं। यह नियमावली निवासियों के सुविधानुसार और जीवनचक्र मूल्य प्रभावकारिता की वरीयता के अनुसार व्यावसायिक इमारतों को ऊर्जा तटस्थ बनाने के लिए ऊर्जा संरक्षण के परिवर्धन को लक्षित करती है।
अपने संबोधन में श्री गोयल ने कहा, “मैं आज भारत के भविष्य के लिए ईसीबीसी नियमावली 2017 को भारत के युवा बच्चों को समर्पित करना चाहता हूँ। हम सभी का कर्तव्य हैं कि हम संसाधनों का प्रभावी रूप से उपयोग करें, सरकार की ऐसी विकासात्मक और भविष्यमुखी योजनाओं के कार्यान्वयन को कर्मठता से सुनिश्चित करें, साथ ही हम यह सुनिश्चित करें कि हम अपनी भावी पीढ़ियों को हमें प्राप्त दुनिया से एक बेहतर दुनिया प्रदान करें”।
ऊर्जा सचिव श्री प्रदीप कुमार पुजारी ने कहा कि ईसीबीसी 2017 नई इमारतों के लिए स्पष्ट निर्देश और मानदंड प्रदान करती हैं : “नई नियमावली देश की इमारत प्रौद्योगिकी, बाजार के परिवर्तनों और ऊर्जा मांग परिदृश्य में वर्तमान और भविष्योन्मुखी विकास को दर्शाती हैं। भारतीय इमारतों के मानदंडों को विश्व की सर्वाधिक सक्षम इमारतों में शामिल करती हैं”।
किसी इमारत को ईसीबीसी अनुवर्त मानने के लिए इसमें कम से कम 25 प्रतिशत ऊर्जा संरक्षण को प्रदर्शित करना आवश्यक हैं। ऊर्जा क्षमता प्रदर्शन में अतिरिक्त सुधारों से नई इमारतें ईसीबीसी प्लस या ईसीबीसी सुपर जैसा उच्च स्तर प्राप्त कर लेंगी। जिसमें क्रमश: 35 प्रतिशत और 50 प्रतिशत का ऊर्जा संरक्षण होगा।
देशभर में नई व्यावसायिक इमारतों के निर्माण में ईसीबीसी 2017 को अपनाने से आकलन है कि वर्ष 2030 तक ऊर्जा उपयोग में 50 प्रतिशत की कमी को हासिल किया जा सकता है। इससे वर्ष 2030 तक लगभग 30 करोड़ इकाइयों की ऊर्जा सरंक्षण होगा और एक वर्ष की मांग में 15 जीडब्लयू से ज्यादा की कमी आयेगी। यह 35,000 करोड़ रूपये के खर्च की बचत और कार्बन डाइऑक्साइड में 25 करोड़ टन की कमी आयेगी।
बीईई ने स्वच्छ ऊर्जा विकास के लिए भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय साझेदारी- तकनीकी सहयोग कार्यक्रम (पीएसीई-डीटीए) परिनियोजन के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय विकास की अमेरिकी ऐजन्सी (यूएसएआईडी) के तकनीकी सहयोग ईसीबीसी 2017 को तैयार किया है।