देहरादून: प्रदेश के वन एवं वन्य जीव, पर्यावरण मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत ने 127 आई0एन0एफ0 बटालियन (टी0ए0) ईको टास्क फोर्स मुख्यालय का भ्रमण किया तथा मुख्यालय परिसर में अंजीर के पौधे का रोपण किया।
इस अवसर पर ईको टास्क फोर्स के जवानों/वन विभाग के प्रशिक्षुओं को सम्बोधित करते हुए डाॅ0 हरक सिंह रावत ने कहा कि उनका सौभाग्य है, कि उन्हें ईको टास्क फोर्स के साथ काम करने का अवसर मिला है। सुदूर पहाड़ी अंचलों गोपेश्वर के माणा, मलारी तथा मसूरी आदि स्थलों में ईको टास्क फोर्स द्वारा वृक्षारोपण क्षेत्र में किये गये बेहतरीन कार्य की प्रशंसा करते हुए डाॅ0 रावत ने कहा कि फोर्स ने कई क्षेत्रों को हरा-भरा बनाने में सक्रिय योगदान किया है। उन्होंने फोर्स द्वारा विभिन्न स्थलों में किए गए वानिकी कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन प्रयासों से देवभूमि उत्तराखण्ड में पर्यटन व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा। उनका मानना था, कि पर्यटक नैसर्गिंक सौन्दर्य का अवलोकन करने ही पहाड़ों में आते हैं। मसूरी सहित अन्य हरे-भरे स्थलों की खूबसूरती बढ़ाने में ईको टास्क फोर्स का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। डाॅ0 रावत ने मुख्य परियोजना प्रबन्धक जायका एवं एम0डी0 ईको टूरिज्म अनूप मलिक को निर्देश दिये, कि इन परियोजनाओं से ईको टास्क फोर्स को धनराशि जारी की जाय। उन्होंने सैनिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनका सेना से लगाव रहा है, क्योंकि वे विश्वविद्यालय में स्वयं सैन्य विज्ञान के शिक्षक तथा पूर्व में सैनिक कल्याण मंत्री रहे हैं। उन्होंने कहा, कि ईको टास्क फोर्स द्वारा जहाँ सेवानिवृत्त सैनिकों को रोजगार देकर हरित अभियान को चलाया जा रहा है, वहीं सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों को अपने परिवार के दायित्वों को निभाने में मदद मिल रही है, तथा अप्रत्यक्ष रूप से पर्यटन व्यवसाय को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। ज्ञातव्य है, कि 35 से 55 वर्ष तक के रिटायर्ड सैनिकों को ही फोर्स में नियुक्ति दी जाती है। डाॅ0 रावत ने ईको टास्क फोर्स में कार्यरत लगभग 1000 से0नि0 सैनिकों को पुनः रोजगार दिए जाने के कार्य की भी प्रशंसा की तथा निकट भविष्य में राज्य सरकार की ओर से ईको टास्क फोर्स के भवन हेतु भूमि दिलाने तथा मानव संसाधन बढ़ाने में हर सम्भव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि फोर्स द्वारा अपने गठन से अब तक 35 वर्ष की अवधि में लगभग एक करोड़ पचपन लाख पौधों का रोपण कर प्रशंसनीय कार्य किया गया है, जिसके लिए उपक्रम वे साधुवाद की पात्र हैं। उनका कहना था, कि ईको टास्क फोर्स की गढ़वाल एवं कुमायू में तैनात 2-2 बटालियनों ने दुर्गम पहाड़ियांे में पौध रोपण कर भूस्खलन तथा पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाई है।
डाॅ0 रावत ने कहा सरकार द्वारा 88 किलो मीटर लम्बी कण्डी मार्ग (लालढांग-कोटद्वार-कालागढ़-रामनगर) को ग्रीन रोड के रूप में विकसित करने की परियोजना है। इस सड़क के बनने से कोटद्वार-रामनगर की दूरी तय करने में लगभग 3 घण्टे समय कम हो जाने से जहाँ जनता को सस्ता यातायात सुलभ होगा, वहीं वायु प्रदूषण भी कम होगा। उन्होंने कहा इससे कुमायू मण्डल के निवासियों को राजधानी पहुचने में समय व धन कम लगेगा। डाॅ0 रावत ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुपालन में कण्डी रोड़ को ग्रीन रोड के रूप में निर्मित किये जाने की परियोजना है, जिससे ईको टूरिज्म गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा परियोजना की नोडल एजेंसी उत्तराखण्ड ईको टूरिज्म कार्पोरेशन होगी जो एन0जी0टी0 के निर्देशों के अनुरूप परियोजना का निर्माण कराने की उत्तरदायी होगी। उन्होंने कहा कि लगभग 22 किमी0 सड़क आरक्षित कार्बेट टाइगर रिजर्व पार्क से गुजरेगी, जिसमें वन्य जीवों की सुरक्षा का ध्यान रखा जायेगा तथा एलिवेटेट सड़क एवं इकोबेस तकनीकि का इस्तेमाल कर सड़क निर्माण किया जायेगा।
इससे पूर्व वन मंत्री द्वारा ईको टास्क फोर्स की स्थापना से अब तक किये गये कार्यों का स्लाइड शो के माध्यम से अवलोकन किया। उन्होंने प्रस्तुतीकरण के दौरान ईको टास्क फोर्स के कमाण्डिंग आॅफिसर कर्नल एच0आर0एस0 राणा से अपेक्षा की, कि आगामी पौधा रोपण में व्यवसायिक प्रजाति के पौधों यथा अखरोड़, चिलगोजा को क्लस्टर के आधार पर रोपित किया जाय, ताकि इसका व्यवसायिक लाभ ग्रामीणों को मिल सके तथा विपणन आसानी से हो सके। उन्होंने बिलो (willow) प्रजाति के वृक्षों के अधिकाधिक रोपण की कार्य योजना बनाने की अपेक्षा की। ज्ञातव्य है कि इस प्रजाति के वृक्षों की लकड़ी का उपयोग कुर्सी, गुड़िया, पेपर रस्सी, क्रिकेट के बैट निर्माण में किया जा सकेगा।