देहरादून: प्रदेश के उद्यान, कृषि, कृषि विपणन, कृषि प्रसस्करण, कृषि शिक्षा, फलोद्योग एवं रेशम विकास मंत्री सुबोध उनियाल ने विधान सभा स्थित अपने कक्ष में कुटकी (जड़ी-बूटी) उत्पादन विषयक बैठक की। बैठक में जिसमें जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान के निदेशक डाॅ0 जेसी कैम, वैज्ञानिक डीएस0बिष्ट, उपमहाप्रबन्धक मण्डी अनिल सैनी तथा बीसीपी कैंसर रिसर्च फाउण्डेशन के संस्थापक वैद्य बालेन्दु प्रकाश ने प्रतिभाग किया। बैठक में उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी के नाम पर अटल सामुदायिक कुट्की(जड़ी-बूटी) उत्पादन किसान योजना का पायलट प्रोजैक्ट टिहरी जनपद के भिलंगना ब्लाॅक से 26 जुलाई, 2017 से आरम्भ करने के निर्देश दिये। पायलट योजना में भिलंगना ब्लाॅक के ग्राम-पिन्सवाड़, मेड-मारवाड़ी, गंगी-गुटटू, धमातोली, लौणी, धारगांव, हडियाल मल्ला के लगभग 200 किसानों को पौध उपलब्ध करायी जायेंगी। योजना में लगभग 46 लाख कुटकी पौधे वितरित कर क्लस्टर विकसित किया जायेगा। चयनित प्रत्येक कृषक को 15 नाली भूमि में 300 किलोग्राम कुट्की प्रत्येक फसल मंे प्राप्त होगी, जिसमें कृषक को लगभग 40 हजार रू0 प्रति फसल तथा पौध विक्रय से अतिरिक्त आमदनी मिलेगी। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा प्रबन्ध निदेशक मण्डी को तुरन्त 23 लाख रू0 तथा उद्यान विभाग को 23 लाख रू0 जड़ी-बूटी शोध संस्थान को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये। एक रूपया प्रति पौधा की दर से संस्थान द्वारा काश्तकारों से क्रय कर चयनित किसानों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जायेगा। कृषि मंत्री ने योजना के मजदूरी अंश का भाग मनरेगा से जोड़कर प्रस्ताव बनाने के निर्देश शोध संस्थान के निदेशक को दिये। उन्होंने प्लांट टिशू कल्चर तकनीकि का इस्तेमाल कर कुट्की उत्पादन बढ़ाने से सम्बन्धित प्रस्ताव राष्ट्रीय किसान विकास योजना को भेजने के निर्देश दिये।
बैठक में तय हुआ कि लगभग 2 वर्ष में तैयार होने वाली कुट्की को बीसीपी कैंसर रिसर्च फाउण्डेशन क्लस्टर में जाकर खरीदेगा, जिसका शीर्ष एमओयू जड़ी-बूटी शोध संस्थान एवं बीसीपी कैंसर रिसर्च फाउण्डेशन के मध्य होगा। वैज्ञानिक डाॅ0 बिष्ट ने बताया, कि उनके संस्थान द्वारा चयनित गांव के किसानों को पौध उपलब्ध कराने के साथ-साथ तकनीकि जानकारी भी उपलब्ध कराई जायेगी। उन्होंने बताया कि क्लस्टर अवस्थित गांव के कृषकों द्वारा कुट्की कृषिकरण को लेकर स्वीकारोक्ति भी भी गई है।
कृषि मंत्री का कहना था कि यहां पर जड़ी-बूटी का वातावरण होने के बावजूद भी उत्पादन काफी कम है। उन्होंने कुटकी उत्पादन के रोपण का समय जुलाई माह बताते हुए रोपण का कार्य रणनीति के तहत निर्धारित तिथि 26 जुलाई से आरम्भ करने के निर्देश दिये।