नई दिल्ली: मुझे आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। मैं राष्ट्रपति भवन में आपका स्वागत करता हूं और भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुने जाने पर बधाई देता हूं।
स्वतंत्रता के समय, हमारे प्रथम गृह मंत्री, सरदार वल्लभभाई पटेल ने अनुभव किया कि जब तक एक योग्य और कुशल अखिल भारतीय सिविल सेवा नहीं होगी तब तक भारत संगठित और सुशासित नहीं हो सकता। आवश्यक नौकरी सुरक्षा होने और राजनीतिक कार्यपालिका को निष्पक्ष सलाह देने के लिए इस सिविल सेवा की आवश्यकता थी।
अखिल भारतीय सेवाओं ने देश के विकास और अर्थव्यवस्था की प्रगति में एक अहम भूमिका निभाई है। इसके बावजूद, हमें अपनी युवा आबादी और समाज के गरीब और पिछड़े तबकों की उम्मीदों पर ध्यान देना होगा।
हमारी शासन प्रणालियों और नौकरशाही व्यवस्था की गुणवत्ता के बारे में अकसर किए जाने वाले जायज प्रश्नों को हम अनदेखा नहीं कर सकते।
कई बार ये धारणाएं वास्तविकता से उलट हो सकती हैं। परंतु इन धारणाओं का होना जरूरी है।
एक धारणा यह भी है कि कुछ अधिकारी बाद में किसी न किसी राजनीतिक व्यवस्था या व्यक्ति के साथ जुड़ जाते हैं। आपको इससे बचना होगा।
आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत के लोगों को, जिनकी सेवा करने का दायित्व आपको सौंपा गया है, यह भरोसा दिलाना है कि सिविल सेवक निष्पक्ष, ईमानदार, कुशल और योग्य होते हैं।
जन सेवक के रूप में आपका व्यक्तिगत आचरण अनुकरणीय होना चाहिए। आपके कार्य संबंधी आचरण में ईमानदारी और निष्ठा, विनम्रता और भारत और हमारे समाज की अनेकता के प्रति संवेदनशीलता का होना बहुत जरूरी है।
आपको अपने आप से यह प्रश्न पूछना चाहिएः आप वास्तव में किसके लिए कार्य करते हैं? इसका सीधा सा उत्तर होगा कि आप भारत के लोगों के लिए कार्य करते हैं।
परंतु ऐसे लोग भी हैं जिन्हें सरकार की जरूरत है और दूसरों से ज्यादा आपके सहयोग और सेवा की जरूरत है। ये हमारे वे देशवासीहैं जो आर्थिक रूप से कमजोर, सामाजिक रूप से पिछड़े हुए और राजनीतिक रूप से शक्तिहीन हैं। और उनमें महिलाएं भी शामिल हैं जिनके साथ महिला होने के कारण भेदभावपूर्ण बरताव किया जाता है। आपको इन वर्गों की ओर विशेष ध्यान देना होगा।
यहां गांधी जी के इस सूत्र को ध्यान में रखना उपयोगी होगा, ‘‘जब भी शंका हो… ऐसे सबसे गरीब और सबसे कमजोर व्यक्ति का चेहरा याद करें जिसे आपने देखा हो और खुद से ये सवाल करें कि आप जिस कदम को उठाने का विचार कर रहे हैं, उससे उसे कितना फायदा होगा।’’
यह सूत्र आपके लिए मार्गदर्शक होना चाहिए।
सिविल सेवाओं को राजनीतिक शासन की विशाल प्रणाली के दायरे में कार्य करना होगा। लोकतंत्र में नेताओं को जनता की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करने और सरकार का एजेंडा तैयार करने के लिए चुना जाता है। सिविल सेवकों को नीति को तैयार करने और उसे अमल में लाने के लिए राजनीतिक कार्यपालिका की मदद करनी होती है।
उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकारी नीतियां कानून और संविधान की भावना के अनुरूप तैयार की जाएं। सिविल सेवकों में उस राजनीतिक कार्यपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष सलाह देने का साहस होना चाहिए, जिसकी वे मदद करते हैं।
इसके लिए अधिकारियों को न केवल अपने कामकाज में बल्कि अपने संगठनों में कार्यकुशलता को बढ़ावा देना चाहिए। उन्हें अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाने और अपने अधीन काम करने वाले लोगों की क्षमता को बढ़ाने का पूरा प्रयास करना चाहिए।
आप अपने करियर के नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, इसलिए प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम एक अहम पड़ाव है। भारत के शासन और प्रशासन में अब आप जो बड़ी भूमिका निभाएंगे, उसके लिए रवैये को बदलने, कौशल को निखारने और नजरिए का विस्तार करने की जरूरत है।
जाति, समुदाय और क्षेत्रीय पहचान से ऊपर उठने के लिए और अधिक प्रतिबद्धता का होना जरूरी है। आप जिले या राज्य, मंत्रालय या विभाग कहीं भी काम करें, आप राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पाठ्यक्रम का लक्ष्य एक अखिल भारतीय दृष्टिकोण प्रदान करना है। राज्य और केंद्र सरकार के अगले स्तर पर, जिन बातों के जरिए कामकाज की जानकारी और दायित्व की भावना पैदा करने के लिए इसे बनाया गया है, वे हैंः
० प्रशासक के तौर पर प्रभावी तरीके से काम करने के लिए अनेक क्षेत्रों का ज्ञान और कौशल प्रदान करना।
० राष्ट्र निर्माण की संस्थाओं के विकास में भारतीय प्रशासनिक सेवा की भूमिका समझने के लिए सही प्रवृत्ति और दृष्टिकोण पैदा करना; और
० मेल-जोल की भावना पैदा करना और देश के दूसरे भागों के अपने समकक्षों के साथ जुड़ना।
मुझे विश्वास है कि पाठ्यक्रम अपने उद्देश्यों को पूरा करने और शासन में जो महत्वपूर्ण भूमिका आप निभाएंगे, उससे जुड़े कौशल को बढ़ाने में सफल रहा है।
मैं भारतीय प्रशासनिक सेवा में और हमारे राष्ट्र और हमारे देशवासियों की सेवा में एक लंबे और संतुष्टिपूर्ण करियर के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं।