देहरादून: मंडुवा, चैलाय, रामदाना, फाफर व झिंगोरा की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जैविक पारम्परिक कृषि प्रोत्साहन योजना तैयार की जाए। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गुरूवार को बीजापुर हाउस में कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए राज्य में पारम्परिक जैविक खेती को बढ़ावा देने के उपायों पर विचार विमर्श किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडुवा, चैलाय, रामदाना, फाफर व झिंगोरा के उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग जल्द से जल्द मानक तय कर ले। मंडुवा उत्पादकों को बोए गए क्षेत्र के आधार पर जबकि चैलाय, रामदाना, फाफर व झिंगोरा के उत्पादकों को उत्पादन के आधार पर प्रोत्साहन की योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मंडुवा, झिंगोरा, चैलाय आदि पारम्परिक कृषि उत्पादों की बाजार में बहुत मांग है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए पारम्परिक जैविक कृषि को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। इसके लिए पारम्परिक कृषि प्रोत्साहन योजना तैयार कर इसे मूर्त रूप दिया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देशित किया कि जिन बिस्किट, नमकीन व अन्य उत्पादों में प्रदेश में उगाए गए जैविक मंडुवा, चैलाय, रामदाना, फाफर व झिंगोरा का अधिक प्रयोग किया जाता है, उनमें वेट (ट।ज्) में छूट दी जाए। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों के बाहर रहने से उनकी कृषि भूमि बिना बोए ही रह जाती है। ऐसी कृषि भूमि का उपयोग हो सके, इसके लिए पर्वतीय संविदा खेती योजना प्रारम्भ की जाए। इससे बंजर पड़ी भूमि का उपयोग हो सकेगा और राज्य का कृषिगत उत्पादन भी बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव कृषि को निर्देशित किया कि विगत में फसल खराब होने से प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया की लगातार माॅनिटरिंग करें। उन्होंने कहा कि अभी तक केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में किसी तरह के संकेत नहीं दिए गए हैं। परंतु राज्य सरकार अपने संसाधनों से किसानों की जितनी सहायता कर सकती है, वह किया जाए। किसानों को अपनी अगली फसल बोने के लिए हरसम्भव सहयोग किया जाए।
बैठक में मुख्य सचिव एन रविशंकर, अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा, प्रमुख सचिव कृषि एस रामास्वामी , औद्योगिक सलाहकार रणजीत रावत सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।