देहरादून: पांच दिवसीय टाॅपर्स कान्क्लेव का राजभवन में शुभारम्भ हुआ। राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल, मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, भारत रत्न प्रोफेसर सीएनआर राव व उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर, काॅन्क्लेव का विधिवत शुभारम्भ किया। राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल की पहल पर वर्ष 2015 से राजभवन में प्रतिवर्ष टाॅपर्स काॅन्क्लेव आयोजित किया जा रहा है। इस बार के कान्क्लेव को विशेष इसलिए कहा जा सकता है कि विश्वविद्यालयों के टाॅपर्स व कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे शिक्षाविदों व अन्य गणमान्यों को विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक भारत रत्न प्रोफेसर सीएनआर राव का व्याख्यान सुनने को मिला।
8 अगस्त से 12 अगस्त तक होने वाले टाॅपर्स कान्क्लेव के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय, राज्य व देश के सामाजिक व आर्थिक विकास के पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाने के लिए आगे आएं। अध्यापन, कक्षाओं तक ही सीमित नहीं रहे। इसका लाभ देश व समाज को मिले। भारत सरकार ने नए भारत के निर्माण के लिए स्वच्छ भारत, आदर्श ग्राम, डिजीटल इंडिया, मेक इन इंडिया व स्किल इंडिया जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रारम्भ किए हैं। हमारे विश्वविद्यालयों को इन राष्ट्रीय कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभानी चाहिए। विश्वविद्यालय, कुछ गांवों को गोद भी ले सकते हैं।
राज्यपाल ने कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे छात्र-छात्राओं से कहा कि लोभ, वासना व क्रोध हमारे सबसे बड़े दुश्मन होते हैं। इन तीनों से बचकर ही जीवन में तरक्की हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अच्छी पुस्तकें पढ़ने की आदत विकसित करें और सकारात्मक सोच के साथ देश व समाज के लिए योगदान करने का प्रयास करें।
राज्यपाल ने कहा कि किसी भी देश की तरक्की, वहां की शिक्षा के स्तर पर निर्भर करती है। युवाओं को वर्तमान समय के अनुसार क्वालिटी एजुकेशन मिलनी ही चाहिए। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि टाॅपर्स काॅन्क्लेव से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी, प्रतिभागी छात्र-छात्राओं में विचार सृजनात्मकता बढ़ेगी, विभिन्न विषयों को समझने की क्षमता व कम्यूनिकेशन स्किल बढ़ेगी। सबसे बढ़कर उनमें देश व समाज के प्रति एक विजन विकसित होगा।
राज्यपाल ने कान्क्लेव के अतिथि वक्ता प्रोफेसर सीएनआर राव की उपस्थिति को गर्व का क्षण बताते हुए कहा कि भारत रत्न प्रोफेसर राव, रसायन शास्त्र के विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं। इन्हें विश्व के 77 विश्वविद्यालयों से मानद डाॅक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है। उनकी 50 से अधिक पुस्तकें व 1650 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। प्रोफेसर राव राॅयल सोसयटी, लंदन, नेशनल एकेडमी आॅफ साईंस, यूएसए, रशियन एकेडमी आॅफ साईंसेज, फ्रेंच एकेडमी आॅफ साईंसेज, जापान एकेडमी सहित विश्व की जानी मानी साईंस एकेडमी के सम्मानित सदस्य हैं। प्रोफेसर राव को मारलो मेडल आॅफ फेरेडे सोसायटी, भटनागर पुरस्कार, पद्मश्री, राॅयल सोसायटी आॅफ केमिस्ट्री (लंदन) मेडल, पद्म विभूषण, राॅयल सोसायटी आॅफ केमिस्ट्री लंदन की मानद फेलोशिप, आईंस्टिन गोल्ड मेडल आॅफ यूनेस्को, सेनटेनरी मेडल आॅफ द राॅयल सोसायटी आॅफ केमिस्ट्री लंदन सहित अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। प्रोफेसर राव को वर्ष 2014 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के चेयरमेन के साथ ही इंडियन नेशनल साईंस एकेडमी, इंडियन एकेडमी आॅफ साईंसेज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
गौरतलब है कि राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल जब अपने छात्र जीवन में वर्ष 1968 में पीएचडी कर रहे थे तो उन्हें प्रोफेसर राव के सम्पर्क में आने का मौका मिला। पंजाब विश्वविद्यालय में वे जब अपने रिसर्च पेपर ‘‘प्रोटोनेशन आॅफ कन्सन्ट्रेटेड एसिड इन हाईली एसिडिक सुपर एसिड मिडियम’’ (Protonation of concentrated acids in highly acidic super acid medium) प्रस्तुत कर रहे थे तो प्रोफेसर राव केमिस्ट्री डिपार्टमेंट, पंजाब विश्वविद्यालय के सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे थे।
भारत रत्न प्रोफेसर सीएनआर राव ने प्रेरणादायक भाषण देते हुए कहा कि भारत को विज्ञान के क्षेत्र में चीन व दक्षिण कोरिया जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। आज वही देश दुनिया में राज कर सकता है जो कि विज्ञान में सर्वश्रेष्ठ है। भारत में पिछले वर्षों की तुलना में विज्ञान की सुविधाएं विकसित हुई हैं। विज्ञान की नीवं को मजबूत करना होगा। दूसरे देशों से मुकाबले में आगे निकलने के लिए हमें कठिन परिश्रम की आदत विकसित करनी होगी। जापान में जब श्रमिक नाराज होते हैं तो उत्पादन बढ़ा देते हैं। हमें बौद्धिकता को भी प्रोत्साहित करना होगा। अच्छे आईडियाज की तलाश करते रहें और नई चीजों के प्रति उत्सुकता की प्रवृत्ति रखें।
प्रोफेसर राव ने माईकल फेराडे, सीवी रमन, जेसी बोस सहित अनेक जाने माने वैज्ञानिकों के उदाहरण देते हुए कहा कि असफलता से ही सफलता का रास्ता निकलता है। इसलिए असफल होने के भय को छोड़ दें। जीवन में सादगी बनाए रखें और कभी भी निराश न हों। हमेशा प्रयत्न करते रहें। उन्होंने कहा कि टेक्नोलोजी आवश्यक है परंतु मोबाईल जैसी चीजों को आदत न बनाएं। आलोचनाओं से भयभीत न हों।
प्रोफेसर राव ने कहा कि युवाओं को प्रोत्साहित करना होगा। अध्यापक अपने छात्रों को फ्रीहैंड दें, उन्हें आगे बढ़ने का हर मौका दें। अध्यापन क्लासरूम तक ही सीमित न रहे। अध्यापक अपने छात्रों के लिए रोल माॅडल बनें। लोगों को क्वालिटी एजुकेशन व क्वालिटी साईंस की मांग करनी चाहिए। छात्र स्वार्थ से परे हटकर देश व समाज के लिए कुछ करने का ऊंचा लक्ष्य रखें। भगवान भी उन्हीं की सहायता करता है जो कि समाज की सेवा करते हैं। प्रोफेसर राव ने कहा कि अपने देश के लिए करें और अपने ही देश में करें। पिछले कुछ वर्षों में बहुत सी प्रतिभाएं बाहर से देश में आई हैं।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने टाॅपर्स कान्क्लेव की परम्परा प्रारम्भ करने के लिए राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि छोटी-छोटी बातों से बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। जल संचय, वृक्षारोपण व बेटी बचाओ अभियान में सभी को योगदान करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिस्टर्न में एक लीटर की बोतल को रखने से करोड़ों लीटर पानी बचाया जा सकता है। हर व्यक्ति एक पेड़ लगाए तो प्रदेश में एक करोड़ से अधिक पेड़ लगाए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 31 विश्व विद्यालय हैं परंतु प्रदेश के विकास में सहायक रिसर्च कम ही देखने को मिलती है।
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार, उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कई काम करने जा रही है। 877 काॅलेज प्रवक्ताओं की भर्ती की विज्ञप्ति निकाली जा चुकी है। उत्तराखण्ड मे सुपर 30 से आईआईटी में 21 छात्र निकले हैं। टापर्स को लेपटाॅप प्रदान किया जाएगा।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में प्रोफेसर राव ने बहुत से छात्र-छात्राओं के प्रश्नों के जवाब भी दिए। टापर्स कान्क्लेव के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का शुभकामना संदेश प्राप्त हुआ है। इस संदेश को राज्यपाल ने पढ़कर सुनाया। पांच दिवसीय कान्क्लेव में 9 विश्वविद्यालयों के 2-2 टापर्स प्रतिभाग कर रहे हैं। इनमें जीबी पंत विवि, पंतनगर की अंजलि जोशी व गौरीशंकर गिरी, एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विवि, देहरादून के डाॅ. सोनाली थाॅमस व निशा जोशी, उत्तराखण्ड ओपन विवि के अमित चैधरी व उमेश चंद्र जोशी, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि के सर्वेश कुमार व पूनम बमोला, उत्तराखण्ड संस्कृत विवि के मृणालिनी कौशिक व सुषमा, भरसार विवि के जीएस चरण व प्रिया प्रधान, दून विवि के वैभव बहुगुणा व नेहा राणा, उत्तराखण्ड तकनीकी विवि के समीक्षा बिष्ट व दिशा मारवाहा, श्रीदेव सुमन विवि के दीपिका व नवीन सुयाल शामिल हैं। कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न विश्व विद्यालयों के कुलपति भी उपस्थित थे।