लखनऊ: साल 2005 में अमल में आये सूचना के अधिकार कानून ने आम आदमी को इतनी ताकत तो दे ही दी कि यदि आम आदमी ने सही मंशा,संयम और हिम्मत के साथ आरटीआई का प्रयोग किया तो वह असंभव माने जाने वाले कार्यों को भी बहुत आसानी से करा सकता है l देश के आम नागरिकों ने आरटीआई यानि कि सूचना कानून का प्रयोग करके 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला, व्यापम घोटाला आदि जैसे बड़े-बड़े घोटालों को उजागर करने की नींव रख आरटीआई एक्ट की प्रभावकारिता को स्थापित भी किया है l इसी कड़ी में आरटीआई के प्रयोग से भारत सरकार के सबसे बड़े संस्थान यानि कि भारतीय रेल के महाप्रबंधक जैसे उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार करने के लिए बड़े पैमाने पर अवैध नियुक्तियां करके देश की नौजवान पीढ़ी के साथ विश्वासघात करने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है l
यूपी की राजधानी लखनऊ निवासी समाजसेवी और इंजीनियर संजय शर्मा ने बताया कि उन्होंने बीते साल मई माह में उत्तर रेलवे के प्रधान कार्यालय, बड़ौदा हाउस, नयी दिल्ली में एक आरटीआई दायर कर महाप्रबंधक कोटे के तहत की गई भर्तियों के सम्बन्ध में सूचना माँगी थी l उत्तर रेलवे के प्रधान कार्यालय बड़ौदा हाउस दिल्ली के रमन कुमार शर्मा ने संजय को लिखकर बताया कि भारतीय रेल ने साल 2010 में जारी हुए आदेश के आधार पर लगभग 2 वर्ष पूर्व साल 2008 में ही एक महाप्रबंधक विवेक सहाय ने अपने कोटे से 116 नियुक्तियां एवं एक अन्य महाप्रबंधक एस. के. बुडलाकोटी ने लगभग 06 माह पूर्व मार्च 2010 में अपने कोटे से 30 भर्तियाँ कर डालीं थीं l संजय कहते हैं कि बाद में जारी होने वाले आदेश के आधार पर पूर्व में ही होने वाली ये नियुक्तियां स्पष्टतया अवैध नियुक्तियां थीं और इसीलिये भारतीय रेल के महाप्रबंधक कोटे की इन अवैध नियुक्तियों की बात सामने आने पर उन्होंने बीते जनवरी माह में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं पदेन प्रमुख सचिव ए. के. मित्तल और डी.ओ.पी.टी. के निदेशक को पत्र लिखकर विभागीय और विधिक कार्यवाही की मांग की l डी.ओ.पी.टी. ने यह पत्र रेलवे बोर्ड के सचिव को भेज दिया था l संजय द्वारा अपने इन पत्रों पर कार्यवाही के सम्बन्ध में सूचना मांगे जाने पर रेलवे के प्रधान कार्यालय ने संजय को बताया है कि उनके द्वारा की गई शिकायत की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की जा रही है l
रेलवे के प्रधान कार्यालय की सीमा वी. वर्मा पर अवैध नियुक्तियों की सीबीआई जांच की प्रचलित प्रक्रिया में सही पक्ष न रखकर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर रखने का आरोप लगाते हुए संजय ने रेल मंत्री को पत्र लिखने के साथ-साथ सीबीआई के निदेशक को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि प्रचलित जांच में उनको पक्षकार बनाकर प्रकरण की जांच में रेलवे के सभी रिकॉर्ड को समाहित कर समग्र जाँच कर दोषियों को दण्डित किया जाए l
आरटीआई के प्रयोग से भ्रष्टाचार के इस मामले को देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई तक पंहुचाने को आम आदमी के औजार कहे जाने वाले आरटीआई एक्ट की जीत बताते हुए संजय ने बताया कि यदि आवश्यकता हुई तो वे इस मामले के दोषियों को दण्डित कराने के लिए उच्च न्यायालय जाने में कतई नहीं हिचकेंगे l