New Delhi: The President of India, Shri Ram Nath Kovind laid the foundation stone of ‘Saurashtra Narmada Avataran Irrigation Yojana’ (SAUNI) Phase-II Link-4 in Rajkot, Gujarat today (September 4, 2017).
Following is the full text of President’s address on the occasion:
“राष्ट्रपति का कार्यभार सँभालने के बाद यह मेरी पहली गुजरात यात्रा है। लेकिन गुजरात से मेरा सम्बन्ध लगभग पैंतालीस वर्ष पुराना है। मैं कई बार यहाँ आ चुका हूँ। और मैंने यहाँ की उस विशेष ऊर्जा का अनुभव किया है जो गुजरात के किसानो, उद्यमियों और सभी नागरिको में देखने को मिलती है। इसी विशेष ऊर्जा के कारण गुजरात विकास के अनेक पैमानों पर देश में अपना विशेष स्थान रखता है। कृषि, उद्योग, शिक्षा, कला, साहित्य, राजनीति आदि अनेक क्षेत्रों में गुजरात ने देश का गौरव बढ़ाया है।
स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, जमशेदजी टाटा और मोरारजी देसाई जैसे गुजरात में जन्मे भारतवासियों ने नैतिकता और राष्ट्र-प्रेम के महान आदर्श प्रस्तुत किए हैं।
दक्षिण गुजरात के वलसाड जिले की धरती ने मोरारजी देसाई जैसी विलक्षण प्रतिभा को जन्म दिया, जो प्रधानमंत्री बने। मुझे अपनी युवावस्था के दौरान स्वर्गीय मोरारजी देसाई के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। मोरारजी देसाई अनुशासन और नैतिकता पर अडिग रहने वाले आदर्शवादी राजनेता थे।
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी उत्तर गुजरात के मेहसाणा जिले से आते हैं। वे इस राज्य से दूसरे प्रधानमंत्री हैं। जिस निष्ठा से उन्होंने गुजरात को देश में अग्रणी राज्य बनाया था उसी कर्मठता के साथ वे विश्व में भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाने के कार्य में तत्पर हैं।
सामाजिक और आर्थिक विकास के अनेक पैमानों पर गुजरात सारे देश में एक अग्रणी राज्य माना जाता है। गुजरात में कृषि विकास के लिए जो सफल प्रयोग किये गए थे, उन्हें राष्ट्रव्यापी स्तर पर उपयोग में लाया जा रहा है। ‘हर खेत को पानी’ तथा ‘पर ड्राप मोर क्रॉप’ के उद्देश्य को पूरा करने के लिए ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ के तहत काम चल रहा है। ‘साइल हेल्थ कार्ड’ कार्यक्रम के जरिये खेतों की उत्पादकता बढाई जा रही है।
गुजरात के तीन-चौथाई हिस्से में बारिश कम होने के कारण पानी की कमी रहती है। दक्षिण गुजरात में पर्याप्त वर्षा होती है और आवश्यकता से अधिक जल उपलब्ध होने की स्थितियां भी बनती हैं।
अधिक जल वाले इलाकों से कम जल वाले इलाकों में पानी ले जाने के लिए राज्य में नहरों और पाइपलाइनों का जाल बिछाया गया है। गुजरात ने रेगिस्तानी क्षेत्र में 144 किलोमीटर लंबी कच्छ ब्रांच कैनाल को बनाने का विशाल कार्य पूरा कर लिया है।
पानी को बह जाने से रोकने के लिए बड़े-छोटे, हर तरह के बांध बनाए गए हैं। सरदार सरोवर परियोजना के बांध में 30 दरवाजे हैं जिन्हें बंद करके पानी को समुद्र में बह जाने से रोका जा सकता है।
जल संसाधन के प्रभावी और किफायती उपयोग के लिए गुजरात में माइक्रो इरिगेशन को प्रोत्साहन दिया गया है।
जल के समुचित उपयोग से खेत और चरागाह हरे-भरे होते हैं। फसलों की पैदावार बढती है। मवेशियों को चारा मिलता है जिससे दूध और डेरी उद्योग को लाभ होता है। इन सुधारों से किसान की आमदनी बढती है, उनका जीवन स्तर सुधरता है।
गुजरात में जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए किसानो और ग्राम सभाओ की भागीदारी को मजबूत बनाया गया है। वास्मो (वाटर एंड सैनिटेशन मैनेजमेंट आर्गेनाइजेशन – WASMO) के तहत पीने के पानी की व्यवस्था में ग्राम-सभाओं की भागीदारी होती है। ‘पानी समितियां’ इसके लिए काम करती हैं।
गुजरात में जल संसाधन के समग्र और समुचित उपयोग के लिए किये जा रहे अनेक प्रयासों में सौराष्ट्र-नर्मदा-अवतरण-इरिगेशन-योजना (सौनी योजना) का अपना महत्व है। इस योजना के दूसरे चरण के शिलान्यास के अवसर पर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है।
सौनी योजना की परिकल्पना के मूल में इस कार्य को करने का दृढ निश्चय था कि गुजरात में जिन स्थानों में अधिक जल उपलब्ध है, वहाँ से कमी वाले स्थानों तक पानी ले जाना है। मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है कि गुजरात के लोगों को जो आश्वासन दिया गया था उसे ठोस रूप दे दिया गया है।
यह कार्य जब तक पूरे देश में नहीं कर लिया जाएगा तब तक देश के विभिन्न हिस्से, कहीं सूखे – तो कहीं बाढ़ की विभीषिका से जूझते रहेंगे।
गुजरात के अनुभव से लाभ लेते हुए देश की सवा सौ करोड़ आबादी के लिए पर्याप्त खाद्यान्न पैदा करने के लिए जल संसाधन समेत सभी संसाधनों का समुचित उपयोग करना है।
आज से सौनी योजना के दूसरे चरण का कार्य शुरू होने जा रहा है और यह दो वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा। नदियों के थालों के बीच परस्पर पानी पहुंचाने की इस उल्लेखनीय योजना के लिए मैं राज्य सरकार को, गुजरात की जनता को और खासकर सौराष्ट्र के लोगो को बधाई देता हूँ।