लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि सनातन हिन्दू धर्म में सर्वप्रथम गणपति की पूजा की परम्परा है। उन्होंने कहा कि गणेश जी को हम सभी विघ्नहर्ता के रूप में जानते हैं। वे हमारी प्रेरणा के स्रोत हैं। सभी प्रकार की पूजा में गणपति का विशिष्ट स्थान है। गणपति पूजन की शुरुआत महाराष्ट्र में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा की गई थी और अब इसे पूरे देश में मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां झूलेलाल पार्क में श्री गणेश प्राकट्य कमेटी द्वारा आयोजित श्री गणेश महोत्सव में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कमेटी द्वारा श्री गणेश महोत्सव की शुरुआत 12 वर्ष पूर्व की गई थी। पिछले कई वर्षाें से स्थान परिवर्तन के प्रयास किए जा रहे थे, परन्तु तत्कालीन सरकारों की उपेक्षा के कारण कमेटी को सफलता नहीं मिली थी। वर्तमान सरकार के आने के बाद यह आयोजन झूलेलाल वाटिका में सम्भव हो सका है। पर्व और त्योहार सिर्फ आस्था के प्रतीक नहीं होते, बल्कि वे समाज मंे फैली संकीर्णता को दूर करने का कारक भी होते हैं। वे राष्ट्रीय चेतना को भी जागृत करते हैं। जिस राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, उसे कोई शक्ति हिला नहीं सकती।
योगी जी ने कहा कि गणेश जी शिव परिवार के सदस्य हैं। गणेश जी के स्वरूप का गहरायी से अध्ययन करने पर हमें प्रकृति और मनुष्य के बीच सम्पूर्ण सामंजस्य का एक अनुपम प्रतीक मिलता है। गणेश जी के प्रति सम्मान का अर्थ है प्रकृति के सभी तत्वों और गुणों के प्रति आदर व्यक्त करना। हमारी संस्कृति में सम्भवतः इसीलिए उन्हंे प्रथम पूज्य कहा गया है, जिसकी व्याख्या ऐसे की जा सकती है कि प्रकृति पहले, दूसरे सभी तत्व बाद में।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रकृति के इतने निकट होने के कारण अनादिकाल से गणेश जी जन-जन के आराध्य रहे हैं। गणेश जी का मस्तक हाथी का है, मूषक अर्थात चूहा उनका वाहन है। भगवान शंकर तथा माता पार्वती के पुत्र होने के कारण बैल नन्दी उनका मित्र और अभिभावक है। मोर और सांप उनके परिवार के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि पर्वत उनका आवास तथा वन गणेश जी का क्रीड़ा स्थल है। उनके चार हाथों में जल का प्रतीक शंख, सौन्दर्य का प्रतीक कमल, संगीत का प्रतिनिधित्व करती वीणा तथा शक्ति का उदाहरण परशु मौजूद है।
योगी जी ने कहा कि महाराष्ट्र सहित देश के कई क्षेत्रों में गणेश चतुर्थी के अवसर पर उनकी प्रतिमा स्थापित किए जाने की परम्परा रही है। नौ दिन की पूजा-अर्चना के बाद दसवें दिन समारोह पूर्वक प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इस विधि से भगवान गणेश की उपासना प्राचीन काल से होती रही है।
योगी जी ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश सहित हमारे देश के लगभग सभी भागों में गणेश जी की सार्वजनिक वन्दना अत्यन्त लोकप्रिय हो गई है। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि गोमती नदी के समीप इस आयोजन स्थल पर भगवान गणेश की आराधना श्रद्धालुआंे को प्रकृति का संरक्षण करने प्रेरणा भी प्रदान करेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह आयोजन गोमती नदी के तट पर आयोजित किया गया है और नदियों को हमारी संस्कृति में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम गोमती नदी को स्वच्छ, निर्मल और अविरल बनाने की दिशा में इस प्रकार से काम करेंगे कि भविष्य में हम इसकी आरती करने के उपरान्त इसके जल से आचमन कर सकंे।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के उपरान्त गणेश जी की पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री जी का स्वागत पुष्प भेंट कर किया गया। उन्हें एक स्मृति चिन्ह् भी भेंट किया गया।
कार्यक्रम के दौरान उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, गणेश प्राकट्य कमेटी के पदाधिकारीगण तथा बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद थे।