टिहरी: टिहरी बांध द्वारा अपने जलाशय में जल की अतिरिक्त मात्रा को समाहित करने से वहा जलाशय के आस-पास पर्यटन विकास और साहसिक खेलो को बढ़ावा देने की अपार संभावनाये पैदा हुयी है। उत्तराखंड सरकार द्वारा टिहरी के कोटी कॉलोनी में साहसिक खेल अकादमी की स्थापना इसका ज्वलत उदाहरण है।
टिहरी झील में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष पर्यटन व निवेशक सम्मलेन का आयोजन किया जाता है। इस महोत्सव में Paragliding, Cannoning, Kayaking, Boating जैसे खेलो को शामिल किया गया है जिसके कारण युवाओं में इसका बहुत आकर्षण है। वैसे तो यहाँ वर्ष भर ही साहसिक खेल चलते रहते है।
टीएचडीसी द्वारा निर्मित टिहरी बाध के कारण बनी झील का पर्यटन में उपयोग से स्थानीय निवासियों के लिए रोज़गार के नए अवसर पैदा होने की संभावनाये बढ़ी है। इस पहल के सफलता को देखते हुए साहसिक खेल अकादमी में आगामी वर्षों में पर्यटन से जुड़े कई व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की कई योजना विचाराधीन है।
यहाँ यह भी उलेख्ह्नीय है कि- टिहरी बांध के निर्माण के साथ, गैर मानसून महिनों यानी कि नवंबर से जून के दौरान गंगा में पानी की उपलब्धता में काफी वृद्धि हुई है जिससे कि इन महीनों में जलाशय से अतिरिक्त पानी की निकासी से गंगा में होने वाला जल प्रवाह का औसत 100 क्यूमेक्स से बढ़कर 200 क्यूमेक्स हो गया है।
इसके अतिरिक्त जून-2013 की बाढ़ के दौरान मैदानी क्षेत्रों में नुकसान कम करने में भी टिहरी बांध की महत्वपूर्ण भूमिका रही। बांध ने भागीरथी नदी की बाढ़ के लगभग 7000 क्यूमेक्स पानी की भारी मात्रा को अवशोषित किया जिससे कि ऋषिकेश और हरिद्वार को जलमग्न होने से बचाया जा सका।
टीएचडीसी की टिहरी बांध परियोजना मानूसून के दौरान उपलब्ध जल की अतिरिक्त मात्रा को अपने जलाशय में समाहित कर मैदानी क्षेत्रों की बाढ़ से रक्षा करती है एवं एकत्रित जल को मैदानी क्षेत्र के लोगों की पेयजल एवं सिंचाई की आवश्यकताओं को पूर्ण करते हुए विद्युत उत्पादन करती है।