नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम.वैंकेया नायडू ने कहा है कि गांधी जी के सपनों को समझने और ‘राम राज्य’ के लिए, जहां सभी बराबर है और किसी भी प्रकार का भेदभाव नही है, हमे साथ मिलकर प्रयत्न करना चाहिए। श्री नायडू आज महात्मा गांधी की 148 वीं जयतीं के अवसर पर उनकी प्रतिमा का अनावरण करने के बाद दयानंद विद्यालय के बच्चों के साथ बातचीत कर रहे थे। 1.8 मीटर लंबी यह कांस्य प्रतिमा राजघाट परिसर में स्थापित प्रथम प्रतिमा है। इस अवसर पर आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हरदीप सिंह पुरी और अन्य मान्यगण व्यक्ति भी उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी के विचार अमर हैं, उनकी राम राज्य इच्छा को उचित रूप से समझना चाहिए और सरकार तथा लोगों को उस दिशा में अवश्य काम करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि राम राज्य का आदर्श शासन है, जहां कोई डर नहीं है, जहां कोई भूखा नहीं है, जहां कोई भ्रष्टाचार नहीं है, जहां कोई शोषण नहीं है, जहां कोई भेदभाव नहीं है।
उन्होंने कहा विभिन्न स्तरों पर यह हमारा कर्तव्य है कि हम सभी महात्मा गांधी की अपेक्षाओं के अनुरूप रामराज्य के आदर्शों के लिए मिलजुल कर अवश्य कार्य करें।
उपराष्ट्रपति ने परिसर के पार्किग क्षेत्र में व्याख्या केन्द्र का उद्धाटन किया। यह केन्द्र एलईडी स्क्रीन पर डिजिटल डिसप्ले द्वारा महात्मा के जीवन और कार्यो के बारे में संवादमूलक व्याख्या सीखने की सुविधा प्रदान करता है। यहां आने वाले आगंतुक चित्रपट, जीवन वृत्तांत देख सकते हैं, गांधीजी के भाषणों को सुन सकते हैं, प्रश्नोत्तरी में भाग लेने के अलावा कान फोन का प्रयोग बिना बाधा के बातचीत के लिए कर सकते है।
उपराष्ट्रपति ने राजघाट समाधि समिति के आगंतुक कक्ष, प्रकाशन इकाई, स्टाफ कक्ष, पेयजल सुविधा से सुसज्जित नये प्रशासनिक खण्ड का भी उद्धाटन किया।