दिल्ली के फिरोज़शाह कोटला मैदान पर भारत और न्यूज़ीलैंड बीच खेले गए मैच को शायद ही कोई भारतीय फैन भूलना चाहेगा। और भूलेगा भी कैसे? ये भारत के दिग्गज तेज़ गेंदबाज़ आशीष नेहरा का आखिरी मैच जो था। 18 बरस तक क्रिकेट के मैदान में अपनी धाक जमाने के बाद अब ‘नेहरा जी’ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह चुके हैं। उनके संन्यास के बाद सोशल मीडिया पर नेहरा नाम का मानो सैलाब आ गया। हर कोई उनकी तारीफों के कसीदे पढ़ने में लगा। इनमें उनके फैन के साथ-साथ भारतीय क्रिकेटर्स भी शामिल थे। युवराज सिंह भी इस फेहरिस्त का हिस्सा बने लेकिन एक अलग अंदाज़ में।
अपने फेसबुक पेज पर युवराज ने नेहरा जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातों पर पर्दा उठाया है। दरअसल, इस पोस्ट में युवराज ने नेहरा के बारे में वो रोचक बातें बताई हैं जो अब तक शायद किसी को भी नहीं पता थी। इस पोस्ट में युवराज ने लिखा है, ‘सबसे पहली बात मैं जो अपने दोस्त आशु (आशीष नेहरा) के बारे में कहना चाहता हूं, वो ये कि वो बेहद ईमानदार है…वो दिल का बहुत साफ़ आदमी है। शायद पवित्र पुस्तक ही उनसे ज़्यादा ईमानदार होगी. मैं जानता हूं इसे पढ़ने के बाद इस बात पर कई लोगों को हैरानी हो सकती है।’
नेहरा और युवी की पहली मुलाकात
‘कई बार हम लोग जीवन को लेकर जजमेंटल हो जाते हैं। सार्वजनिक लोगों के लिए ये बात और लागू होती है जिन्हें कई पैमानों पर आंका जाता है। इस मामले में आशु भी कुछ लोगों से सीधी-सपाट बात करते थे और उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ा।’
‘मेरी उनसे पहली मुलाक़ात अंडर 19 के दिनों में हुई थी और उन्हें भारतीय टीम के लिए चुना गया था। वो हरभजन सिंह के साथ रूम शेयर कर रहे थे। मैं भज्जी से मिलने गया तो इस लंबे कद के शख़्स को देखा जो आराम से नहीं बैठ सकता था। वो एक पल बैठा होता और दूसरे पल स्ट्रेच करने लगता या चेहरा बनाने लगता या फिर आंखें घुमाने लगता। मुझे ये बड़ा मज़ेदार लगा और लगा कि उनकी पतलून में किसी ने कुछ डाल दिया है।’
किसने दिया नेहरा को ‘पोपट नाम?
‘सौरव गांगुली ने आशु को नाम दिया पोपट क्योंकि वो बहुत ज़्यादा बोला करते थे। वो पानी के अंदर भी बोल सकते थे. और वो मज़ाकिया भी खूब थे. मेरे लिए उन्हें कुछ बोलने की ज़रूरत नहीं थी, उनकी शारीरिक भाव-भंगिमाएं ही हंसाने के लिए काफ़ी थी। अगर आप आशीष नेहरा के साथ हैं तो आपका दिन ख़राब नहीं जा सकता…वो बंदा आपकों हंसा-हंसा करके गिरा देगा।’
नेहरा से प्रेरित होते हैं युवराज
अपनी फेसबुक पोस्ट में युवराज ने आगे लिखा ‘मैंने उन्हें कभी बताया नहीं, लेकिन मैं उनसे प्रेरणा लेता रहा हूं। मैं हमेशा सोचता था कि अगर कोई शख़्स 38 साल की उम्र में तमाम चोट और सर्जरी के बाद तेज़ गेंदबाज़ी कर सकता है तो मैं 36 साल की उम्र में बल्लेबाज़ी क्यों नहीं कर सकता।’
‘उनकी 11 सर्जरी हुई जिनमें कोहनी, कूल्हा, टखना, उंगली और दोनों घुटने शामिल हैं. लेकिन कड़ी मेहनत और लगन ने उन्हें आगे बढ़ाना जारी रखा। मुझे याद है, साल 2003 के विश्व कप में उनका पैर मुड़ गया था और चोट लगी. इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अगला मैच खेलने की कोई संभावना नहीं थी लेकिन वो सभी से कहते रहे कि वो खेलना चाहते हैं। अगले 72 घंटे में उन्होंने 30-40 बार बर्फ़ से सिकाई की, टैपिंग कराई, दवा खाई और चमत्कारिक रूप से खेलने के लिए तैयार हो गए. बाहर की दुनिया को लगा कि उन्हें फ़र्क नहीं पड़ता, लेकिन हमें पता था कि उनके लिए इसके क्या मायने थे। 23 रन देकर छह विकेट और भारत जीत गया।’
2011 विश्व कप फाइनल न खेलते हुए भी नेहरा ने निभाया था अहम रोल
नेहरा की तारीफ़ करते हुए युवराज ने लिखा ‘आशीष नेहरा टीम मैन हैं. साल 2011 वर्ल्ड कप सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उन्होंने शानदार गेंदबाज़ी की, लेकिन बदक़िस्मती से चोट लगने की वजह से वो फ़ाइनल नहीं खेल पाए। मैं कई खिलाड़ियों को जानता हूं जो ख़ुद को कोसने में लग जाते हैं लेकिन वो ऐसे नहीं हैं। वो हंसता रहता था और सभी की मदद के लिए तैयार रहता था। श्रीलंका के ख़िलाफ़ फ़ाइनल में वो मुंबई में हमारे साथ थे और ड्रिंक, टावल मुहैया करा रहे थे। बाहर वाले लोगों के लिए ये गैरज़रूरी इनपुट हैं, लेकिन जब आप टीम स्पोर्ट खेलते हैं और टीम का कोई सीनियर खिलाड़ी ख़ुद को बड़ी आसानी से बैकग्राउंड में ले जाता है तो ये देखकर काफ़ी खुशी है।’
युवराज ने आगे लिखा, ‘मैं उस वक़्त बेतहाशा हंसता हूं जब आशीष अपनी शानदार बल्लेबाज़ी का ज़िक्र करते हैं। यही नहीं, उन्होंने कई बार ये दावा किया था कि अगर वो बल्लेबाज़ होते तो 45 साल की उम्र तक खेलते। ‘