नई दिल्ली/देहरादून : नई दिल्ली स्थित श्रम शक्ति भवन में उत्तराखण्ड के पेयजल एवं शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा पुनरूद्वार मंत्री उमा भारती से भेट की।
श्री नैथानी ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री से राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों तथा आपदा के समय हुये जन धन के नुकसान का उल्लेख करते हुये बताया कि राज्य सरकार के स्तर से गंगा कार्यकारी योजनाओं के पुनर्निर्माण तथा नई योजनाओं के निर्माण आदि से संबन्धित प्रस्ताव भारत सरकार को स्वीकृति हेतु प्रेषित की गयी है। जिस पर भारत सरकार के स्तर से केन्दांश के रूप में धनराशि अवमुक्त की जाय। राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में पूर्व में भी जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय को पत्र भेजा गया था। उन्होंनें कहा कि उत्तराखण्ड के गंगोत्री, उत्तरकाशी एवं देवप्रयाग नगरों में गंगा कार्य योजना के अन्तर्गत निर्मित क्षतिग्रस्त सीवरेज योजनाओं के प्रस्ताव जिनकी लागत 980.28 लाख रुपये है, मउचवूमतमक ेजममतपदह बवउउपजजमम ;म्ैब्द्ध द्वारा माह अक्टूबर, 2014 में अनुमोदित की गयी है, जिस पर स्वीकृति एवं धनांवटन किया जाना है। उन्होंने उक्त धनराशि शीघ्र ही राज्य को अवमुक्त करने का अनुरोध किया।
श्री नैथानी ने बताया कि इसी प्रकार गोपेश्वर, जोशीमठ एवं श्रीनगर नगरों में जलोत्सारण योजनाओं के प्राक्कलन लागत रूपये 210.53 करोड़ नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्र्तगत स्वीकृति हेतु भारत सरकार को पे्रषित किये गये थे। 05 मई, 2015 को आयोजित म्ैब् की बैठक में इन योजनाओं पर आपत्ति लगायी गयी है, कि योजनाओं में सीवर लाईने शामिल नहीं की जानी हैं। केवल बह रहे नालों को ही टेप करके योजना पुनर्गठित करने के निर्देश दिये गये है। इस समन्बन्ध मंे उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड मे अधिकतर नगर ऐसे है, जिनकी जनसंख्या एक लाख से कम है। गोपेश्वर, जोशीमठ एवं श्रीनगर भी इसी श्रेणी में आते है। इन नगरों में सीवरेज योजना हेतु शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार की कोई योजना प्रस्तावित नहीं है। नगरों में सीवरेज प्रणाली नहीं होने के कारण घरों से किचन, बाथरूम का गन्दा पानी नालियों में बहकर गंगा नदी में जाता है। यदि नगर में सीवर लाइनंे बिछा दी जाय, तो गन्दा पानी नालियों/नालों में नही बहेगा तथा गंगा नदी में प्रदूषण नहीं होगा। अतः उक्त नगरों की सीवरेज योजनाओं को स्वीकृत किया जाना आवश्यक है, जिससे गंगा नदी में प्रदूषण रोका जा सके।
श्री नैथानी ने केन्द्रीय मंत्री को अवगत कराया कि भारत सरकार द्वारा 20 सितम्बर, 2013 को 95.60 करोड़ रुपये लागत की मुनिकीरेती-ढ़ालवाला जलोत्सारण योजना की स्वीकृति विश्व बैंक द्वारा पोषित कार्यक्रम में प्रदान की गयी थी। 05 मई, 2015 को आयोजित म्ैब् में इस योजना में भी आपत्ति लगायी गयी, कि योजना में सम्मिलित सीवर नेटवर्क को हटाकर योजना पुनर्गठित की जाय। मुनिकीरेती एवं ढ़ालवाला की जनसंख्या भी एक लाख से कम है। इस नगर हेतु भी शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार की कोई योजना प्रस्तावित नहीं है। अतः इस नगर की स्वीकृत योजना को यथावत रखा जाना आवश्यक है। उन्होनें केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती से मांग की कि उत्तराखण्ड में गंगा पुनरूद्वार कार्यो हेतु पूर्व में राज्य सरकार द्वारा प्रेषित योजनाओं में अपेक्षित स्वीकृति प्रदान की जाय, ताकि उत्तराखण्ड में गंगा पुनरूद्वार के कार्य में तेजी आ सके।
श्री नैथानी ने केन्द्रीय मंत्री का आभार व्यक्त किया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तराखण्ड की दो परियोजनाएं स्वीकृत की गई है, जिनमें 55.65 करोड़ लागत की चण्डी घाट विकास एवं हरिद्वार के लिये 71.40 करोड़ लागत की 40 एम.एल.डी सीवरेज ट्रीटमंेट प्लान शामिल है। श्री नैथानी ने कहा कि गंगा को प्रदुषण मुक्त करने की दिशा में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को भेजे गये प्रस्ताव पर शीघ्र स्वीकृति प्रदान की जायेगी।
केन्द्रीय जल संसाधन एवं नदी विकास पुनरूद्वार मंत्री उमा भारती ने आश्वस्त किया कि राज्यहित और गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य द्वारा जो प्रस्ताव भेजे गये है, उन पर शीघ्र ही निर्णय लिया जायेगा।