नई दिल्लीः केंद्रीय गृह सचिव ने देश के आठ मेट्रोपोलिटन नगरों – दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, बंगलुरू, लखनऊ एवं हैदराबाद में महिलाओं के लिए व्यापक सुरक्षित नगर योजनाओं के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।
नगरपालिका आयुक्तों, पुलिस आयुक्तों, राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों एवं सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में गृह मंत्रालय द्वारा गठित संचालन समिति की बैठक में भाग लिया जिसे 31 अक्टूबर, 2017 को अधिसूचित किया गया था।
बैठक के दौरान गृह सचिव ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर इन आठ मेट्रोपोलिटन नगरों में अब तक की गई प्रगति एवं पुलिस एवं नागरिक प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों की व्यापक समीक्षा की गई। जिन विभिन्न मुद्दों की समीक्षा की गई, उनमें पुलिस में महिलाओं को 33% आरक्षण, सीसीटीवी कैमरे लगाने, पुलिस थानों में महिलाओं की नियुक्ति, आपातकालीन अनुक्रिया प्रणाली, पुलिस सत्यापित सार्वजनिक परिवहन, साइबर अपराधों की रोकथाम, अवसंरचना मुद्दे, अंधेरे स्थानों एवं अपराध संवेदनशील क्षेत्रों का मानचित्रण एवं शैक्षणिक संस्थानों का जुड़ाव आदि शामिल हैं। इन शहरों द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इन पहलों में हिम्मत ऐप, केवल महिलाओं द्वारा संचालित गश्ती वाहन, दिल्ली पुलिस के लिए शिष्टाचार कार्यक्रम, शी (एसएचई) टीम, हैदराबाद पुलिस का हॉक मोबाइल ऐप एवं भरोसा कार्यक्रम, बंगलुरू पुलिस का सुरक्षा ऐप एवं यूपी पुलिस का पावर ऐंजल्स शामिल हैं। अन्य मेट्रो शहरों द्वारा उठाए गए कदमों में महिलाओं की शिकायतों को सुनने के लिए मोबाइल परामर्श वैन, उप-नगरीय रेलवे स्टेशन क्षेत्रों में प्रकाश की व्यवस्था, महाविद्यालयों में शिकायत बॉक्स, महिलाओं के लिए समर्पित हेल्पलाइन, पुलिस द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम, महिलाओं के लिए आश्रय गृहों की स्थापना तथा गलियों में रोशनी के प्रावधान शामिल हैं।
बैठक के दौरान, यह ध्यान में लाया गया कि पुलिस के प्रतिनिधि पुलिस में महिलाओं के 33% आरक्षण के लक्ष्य को कार्यान्वित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं और धीरे-धीरे निर्धारित लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहे हैं। यह भी जानकारी दी गई कि एक लाख से अधिक महिलाएं हिम्मत ऐप का उपयोग कर रही हैं जिसे दिल्ली पुलिस द्वारा द्विभाषी बनाया गया है। बैठक के दौरान महिलाओं की सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म के उपयोग पर भी जोर दिया गया। प्रतिनिधियों ने उन विभिन्न कदमों पर चर्चा की जो अनुक्रिया समय में कमी ला सकते है और इस प्रकार बेहतर परिणाम सुनिश्चित कर सकते हैं। सीसीटीवी कैमरों के लिए प्रकाश के मानकीकरण के लिए नियम बनाने पर भी प्रतिभागियों द्वारा चर्चा की गई।
गृह सचिव ने कहा कि महिलाओं द्वारा जमीनी स्तर पर उनके सुरक्षा मुद्दों की अवधारणा के आकलन के लिए स्वतंत्र विश्लेषण एवं प्रतिसूचना प्रणाली को संस्थागत बनाया जाना चाहिए। विभिन्न मुद्दों पर उनकी प्रतिसूचना एवं सुझावों को स्वतंत्र सर्वेक्षण के बाद शामिल किया जा सकता है तथा इस प्रकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर हमारे दृष्टिकोण में सुधार लाया जा सकता है।
श्री राजीव गौबा ने पुलिस एवं नागरिक शासन द्वारा ‘लक्षित युक्ति’ पर जोर दिया जिसका महिलाओं की सुरक्षा पर अहम प्रभाव पड़ेगा। श्री गौबा ने समेकित कमान एवं नियंत्रण केंद्रों तथा पुलिस एवं निजी रूप से लगाए गए सीसीटीवी कैमरों द्वारा सहयोगात्मक तरीकों से निगरानी पर बल दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह समेकन समयबद्ध तथा चरणबद्ध तरीके से होना चाहिए।
फैसला किया गया कि इन आठ नगरों की पुलिस एवं नगर निगम एक कार्ययोजना का निर्माण करेगी। इस योजना को राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संबंधित राज्य स्तरीय समिति को अग्रेषित किया जाए। इन नगरों द्वारा एक महीने के भीतर प्रस्तुत कार्ययोजना का केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में संचालन समिति द्वारा आकलन किया जाएगा, जो उपयुक्त अनुशंसाएं देगी।
गृह मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के प्रतिनिधि भी बैठक के दौरान उपस्थित रहे।