नई दिल्ली: विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मामलों के केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) को भारत को समर्थ भारत-सशक्त भारत में परिवर्तित करने की दिशा में एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना चाहिए। डा. हर्षवर्धन ने आज शाम सीएसआईआर-आईपीपी, देहरादून में संपन्न सीएसआईआर निदेशकों के दो दिवसीय सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में कहा कि आने वाले समय में प्रत्येक प्रयोगशाला को अपने संसाधनों का इस्तेमाल विशिष्ट खोजों पर ध्यान देने के लिए करना होगा जो नरेन्द्र मोदी सरकार के सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करने में योगदान देंगी।
उन्होंने कहा कि एक स्पष्ट निवेश निर्गम लागत विश्लेषण के आधार पर व्यापारिक दृष्टिकोण से एक आमदनी मॉडल को विकसित किया जाना है और वैश्विक मानकों को हासिल करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि समाज में सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं की प्रासंगिकता के बारे में भरोसा पैदा किया जा सके और साथ ही साथ इनका सामाजिक फायदा भी उठाया जा सके।
डा. हर्षवर्धन ने कहा कि ये प्रयोगशालाएं लघु, मध्यम और बड़ी औद्योगिक इकाइयों में उद्यमियता को विकसित करने की दिशा में प्रयत्न करेगी। सीएसआईआर को आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए तकनीकों को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।
आज समाप्त हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन में ”देहरादून घोषणापत्र” को अंगीकार किया गया है। सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के निदेशकों ने संकल्प लिया कि राष्ट्रीय मिशनों जैसे- स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, स्किल इंडिया, स्मार्ट सिटी, डिजिटल इंडिया, नमामि गंगा आदि के लिए तकनीकें विकसित की जाएंगी। इसमें यह भी निर्णय लिया गया कि सीएसआईआर की प्रयोगशालाएं उद्योगोन्मुखी तकनीकों को विकसित करने के तौर-तरीकों पर काम करेगीं। प्रत्येक प्रयोगशाला भारत के लिए सामरिक क्षेत्र में कम से कम एक तकनीक को विकसित करेगी।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा ”मुझे अपने वैज्ञानिकों पर पूरा भरोसा है उपयुक्त प्रोत्साहन और केन्द्रित दृष्टिकोण के चलते मुझे पूरा विश्वास है कि भारत आने वाले समय में विश्व का सबसे बड़ा वैज्ञानिक पावर हाउस का दर्जा हासिल करेगा।”