लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गरीब मत्स्य पालकों, मछुआ समुदाय के व्यक्तियों, सीमान्त एवं लघु सीमान्त कृषकों अथवा गरीब कृषक जो मत्स्य पालन करने के इच्छुक हो उन्हें बढ़ावा देने हेतु योजना चलायी जा रही है। योजना में मत्स्य पालक 30 हजार रुपया लगा कर मछली पालन एवं मछलियों की बिक्री करके प्रति वर्ष 55 से 75 हजार रुपये आय अर्जित कर सकते हैं।
यह जानकारी प्रदेश के मत्स्य विकास मंत्री श्री इकबाल महमूद ने दी। उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन के विषय में जनपद स्थित मत्स्य विकास अभिकरण कार्यालय से इच्छुक व्यक्ति जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि मत्स्य पालन के लिए प्रति हेक्टेयर वार्षिक आय-व्यय विवरण निन्नवत है- तालाब पर किराया या पट्टे का लागन पर 10 हजार रुपये, पानी की व्यवस्था पर 5000 रुपये, जलीय पौधों व अवांछनीय मछलियों की सफाई 1500 रुपये, चूने का प्रयोग (250 किग्रा0) 1000 रुपये, गोबर की खाद (10 टन) 2000 रुपये, मत्स्य बीज व यातायात पर व्यय 1200 रुपये, एन0पी0के0 खाद का प्रयोग (200 किग्रा0) 2000 रुपये, पूरक आहार पर व्यय (10 कुन्टल सरसों की खली 12000 रुपये व 10 कुन्टल चावल का कना 3000 रुपये, मछलियों की देखभाल पर 1300 रुपये, अन्य विविध व्यय 30000 रुपये खर्च होंगे।
मत्स्य विकास मंत्री ने बताया कि मत्स्य उत्पादन व प्रत्याशित आय 3000 किग्रा0 मत्स्य उत्पादन के 35 रुपये प्रति किग्रा0 की दर से विक्रय स्वरूप वार्षिक आय 2550 किग्रा0 हे0/वर्ष है परन्तु कई स्थानो ंपर मत्स्य पालकों द्वारा 4000 किग्रा0/हे0/वर्ष से भी अधिक मछली का ूउत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन के फलस्वरूप 3000 किग्रा0/हे0/वर्ष उत्पादन सुगमता से संभव है।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के पुराने तालाब में सुधारोपरान्त आवश्यक व्यवस्थायें अपनाते हुए मछली पालन करने से खर्चों तथा बैंक ऋण की किश्त कि भुगतान को निकाल कर एक वर्ष 55,000 से 75,000 रुपये की शुद्ध धनराशि प्राप्त की जा सकती है जो कि जीविकोपार्जन में काफी सहायक सिद्ध हो सकती है। मछली पालन निश्चित ही रोजी रोटी का सरल साधन है। इसमें लागत कम और आय अधिक है।
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