18.1 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

यू0पी0सी0पी0एम0टी0 परीक्षा रद्द कर दुबारा कराने की मांग

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: यूपीसीपीएमटी परीक्षा में इस वर्ष हुई धांधली के विरोध में स्वराज आन्दोलन ट्रस्ट द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध करते हुए परीक्षा निरस्त कर दुबारा कराये जाने की मांग की गई है। स्वराज आन्दोलन ट्रस्ट द्वारा इस संबंध में जन जागरूकता विकसित करते हुए छात्रों के हित में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन एवं जन आन्दोलन चलाये जाने का निर्णय लिया गया है। प्रबन्ध ट्रस्टी श्री घनश्याम श्रीवास्तव ने इस पुनीत कार्य में सहयोग के लिए समाज के सभी संवेदनशील लोगों को आगे की अपील भी की है।स्वराज-आन्दोलन ट्रस्ट के गोमतीनगर स्थित कार्यालय पर इस संबध में प्रबन्ध ट्रस्टी घनश्याम श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित बैठक मे बताया गया कि इस वर्ष 25 मई को सम्पन्न यूपीसीपीएमटी परीक्षा-2015 में प्रश्नपत्र लीक होने, उसका लाभ पेड अभ्यार्थियों तक पहुंचाने व अनेक अनियमितताओं के कारण छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है तथा अभिभावको की गाढ़ी कमाई मिट्टी मे मिल गई है इसलिए स्वराज-आन्दोलन ट्रस्ट नें छात्रों के हित मे संघर्ष करने का निर्णय लिया है।
प्रबन्ध ट्रस्टी घनश्याम श्रीवास्तव ने बताया कि आल इण्डिया प्री मेडिकल टेस्ट, सी0पी0एम0टी0 इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार पेपर लीक होने व धांधली के मूल कारण व उसके समाधान के विषय में स्वराज-आन्दोलन ट्रस्ट की ओर से यू0पी0 प्रेस क्लब लखनऊ में कल एक प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन भी किया गया था। उन्होने बताया कि 25 मई को सम्पन्न सी0पी0एम0टी 2015 की परीक्षा के बारें में अभ्यर्थी दिलीप कुमार गुप्ता, नवनीत त्रिपाठी, रितेश भारती इत्यादि ने बताया कि पेपर लीक होने व उसका लाभ लाभार्थियों तक पहुंचने की स्पष्ट सूचना एस0टी0एफ0 ने प्राथमिक सूचना तथ्य मंे गौतमपल्ली थाना हजरतगंज, लखनऊ में दर्ज करायी थी। एस0टी0एफ0 की प्राथमिक सूचना तथ्य की 35वीं से 37वीं लाईन निम्नलिखित है:-
’’यह स्पष्ट हो गया कि यह प्रश्नपत्र परीक्षा से पूर्व लीक कराकर यहां पहंचाया गया और यहां से विभिन्न साल्वरों द्वारा इसे साल्व करके पूर्व से निश्चित किये गये परीक्षार्थियों के पास मोबाइल फोन एवं रिसीवर के माध्यम से तथा भौतिक रूप से छायाप्रति के माध्यम से परीक्षा केन्द्रों पर भेजने का कार्य किया जा रहा है और इसके एवज में परीक्षार्थियों से 15 से 20 लाख रूपये का अवैध आर्थिक लाभ प्राप्त किया गया है।’’
साल्वरों को रंगे हाथ पकड़ने के बाद एस0टी0एफ0 ने लगातार कार्यवाही जारी रखी, जिसकी सूचनाएं लगातार मीडिया में आ रही हैं। इतना सबकुछ सार्वजनिक होने के बाद भी सी0पी0एम0टी0 2015 की आयोजक संस्था गोरखपुर विश्वविद्यालय ने परीक्षा में हुई धांधली व अनियमितता को सिरे से नकारते हुए जो परीक्षा परिणाम 15 जून को आना निर्धारित था। उसे 07 जून 2015 की रात्रि को ही घोषित कर दिया, जबकि पेपर लीक होने से सी0पी0एम0टी0 2015 की शुचिता पूरी तरह से समाप्त हो गयी थी। पिछले वर्ष सी0पी0एम0टी0 की परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक होने के खबर होने के आधार पर परीक्षा की शुचिता को बनाये रखने के लिए पुनः परीक्षा करायी गयी थी, जबकि पिछले वर्ष पेपर लीक गिरोह को रंगे हाथ गिरफ्तार कर कोई एफ0आई0आर0 दर्ज नहीं हुई थी। इस वर्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय की तो पूरी कार्य प्रणाली ही सन्देह के घेरे में है। अभ्यर्थी दिलीप कुमार गुप्ता ने यह भी बताया कि प्रवेश पत्र पर उनका परीक्षा केन्द्र कैरियर कान्वेन्ट कालेज था, जब वह निर्धारित परीक्षा केन्द्र पर पहुंचे तब वहां पर उन्हें यह बताया गया कि यहां निर्माण कार्य चल रहा है। आप परीक्षा देने के लिए कैरियर कान्वेन्ट गल्र्स डिग्री कालेज जाइए जो कि वहां से लगभग 700 मीटर की दूरी पर था। उन्होंने यह भी बताया कि हमें प्रश्न पत्र सुबह 09ः00 बजे के स्थान पर 09ः20 पर दिया गया। हमें 20 मिनट का समय कम मिला। वर्ष 2014 में हमें एम0बी0बी0एस0 केवल 01 नम्बर से नहीं मिल पाया था। इस वर्ष भी हम बिल्कुल सेलेक्शन के किनारे पर हैं। अगर यह अनियमितता व धांधली न हुई होती तो हमारा चयन निश्चित रूप से हो जाता। ए0आई0पी0एम0टी0 के पेपर लीक की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर एक भी छात्र का दाखिला गलत होता है तो यह होनहार छात्र का बलिदान है।
अभ्यर्थियों ने यह भी बताया कि प्रश्न पत्र की छपाई व कागज की गुणवत्ता पहले की परीक्षाओं की तुलना में काफी घटिया थी। अभ्यर्थी दिलीप कुमार गुप्ता ने बताया कि भौतिक विज्ञान के लाॅजिकगेट के प्रश्न का कोई सही विकल्प था ही नहीं, ऊष्मागतिकी से पूछा गया प्रश्न अधूरा था। अभ्यर्थी नवनीत त्रिपाठी ने बताया कि रसायन विज्ञान के एक प्रश्न आयडोफार्म टेस्ट के उत्तर में दो विकल्प सही थे। दूसरे प्रश्न एन्जाइम के उत्तर में कोई सही विकल्प नहीं था, तीसरा प्रश्न आयरन व अमोनियम हाइड्राक्साइड से सम्बन्धित था, उसका भी कोई सही विकल्प नहीं था। बायोलाॅजी का एक प्रश्न जो नाइट्रोमोनास से सम्बन्धित था, उसके दो विकल्प सही थे। बायोलाॅजी के दूसरे प्रश्न बायोडायवर्सिटी डे का कोई भी सही विकल्प नहीं था। अभ्यर्थियों ने बताया कि इस तरह से पूरे प्रश्न पत्र में 20 प्रतिशत से ज्यादा त्रुटियां थी व कई प्रश्न सेलेबस के बाहर से थे। परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों से प्रश्न पुस्तिका वापस ले ली गयी थी। ऐसा केवल परीक्षा आयोजक ने अनियमितता को छिपाने के लिए किया था। इस वर्ष सी0पी0एम0टी0 में परीक्षा का विस्तृत पाठ्यक्रम विवरण पुस्तिका में नहीं दिया था।
इस अवसर पर स्वराज आन्दोलन ट्रस्ट के प्रबन्ध ट्रस्टी श्री घनश्याम श्रीवास्तव ने बताया कि रोग से पीडि़त मरीज जब किसी से अच्छे डाक्टर का नाम पूछता है तब उसे बताया जाता है कि फलाँ डाक्टर अच्छे हैं। वह डाक्टर इसलिए अच्छे हैं क्योंकि जब उन्होंने मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी थी, उस समय परीक्षा आयोजक तन्त्र ईमानदार था, इस वर्ष मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में पेपर लीक व धांधली को देखकर यह सिद्ध होता है कि तीन चैथाई सीटें पहले से बिक चुकी थी, अब आने वाली पीढि़यों को भविष्य में अपने इलाज के लिए अच्छे डाक्टर नहीं मिलेगें। यह कोई साधारण नहीं असाधारण समस्या है। इस समस्या के मूल कारण व समाधान पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि प्राइवेट मेडिकल कालेजों में एम0बी0बी0एस0 प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए 35-40 लाख रूपये तक डोनेशन की बात सुनाई देती है। सरकारी मेडिकल कालेज की गरिमा व गुणवत्ता इन प्राइवेट मेडिकल कालेजों से कई गुना ज्यादा है। इसलिए कुछ अभिभावक अपने पुत्र/पुत्री को गलत तरीके से सरकारी मेडिकल कालेज में प्रवेष करवाने के लिए पेपर लीक कराने वाले व साल्वर गिरोह से सम्पर्क करते हैं। यहीं से समस्या की शुरूआत होती है। दूसरी समस्या परीक्षा केन्द्रों को लेकर है। पिछले 10-15 वर्षों में तमाम नये शिक्षण संस्थान खुले हैं, जिनमें अधिकतर संस्थानों के प्रबन्धक शिक्षण संस्थान खोलने से पहले अन्य व्यवसाय (प्रापर्टी डीलिंग, मौरंग, गिट्टी सप्लायर इत्यादि) में थे। इनकी सोंच एकेडमिक नहीं है। ये लोग पेपर लीक से समाज को होने वाली हानि की गम्भीरता को नहीं समझते हैं। ज्यादातर पेपर लीक की घटनाएं यहीं से होती हैं। इसका एक उदाहरण रामेश्वरम् इंस्टीट्यूट से सी0पी0एम0टी0 2015 का पेपर लीक होना है जिसका प्रबन्धक सुरेन्द्र शुक्ला अपनी पुत्री को गलत तरीके से डाक्टर बनवाना चाहता था, इन सभी समस्याओं को कम करने के लिए स्वराज आन्दोलन ट्रस्ट की ओर से निम्नलिखित सुझाव हैं –
1. 25 मई 2015 को आयोजित की गयी सी0पी0एम0टी0 की परीक्षा की शुचिता समाप्त हो गयी है, अतः इसे रद्द कर     परीक्षा दोबारा कराई जाय।
2. प्रदेश के सभी मण्डलों में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नये बिल्डिगों का निर्माण कराया जाय, जहां पर सुरक्षा के          मानक (जैमर, आॅनलाइन सी0सी0टी0वी0 कैमरे) व बुनियादी सुविधाएं (पेय जल, स्टेशनरी, दीवाल घड़ी इत्यादि)      उपलब्ध हों। लोक सेवा आयोग, संघ लोक सेवा आयोग, बैंकिंग इत्यादि सभी की परीक्षाएं यहीं पर हों।
3. प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक कराने वाले व अनियमितता करने वालों के लिए सख्त कानून बने जैसे कम से कम    06 माह तक जमानत न हों, दोषियों के सम्पत्तियों को नीलाम करके उसी पैसे से पुनः परीक्षा आयोजित करायी          जाय। दो वर्ष के अन्दर केस फाइनल हो दोषी को उम्रकैद हो।
4. लाभार्थी अभ्यर्थियों के साथ-साथ उनके माता-पिता पर भी मुकदमा चले क्योंकि पेपर लीक कराने में व साल्वर को       खरीदने में धन का निवेश यही लोग करते हैं।
5. परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों से प्रश्न पुस्तिका वापस न ली जाय।
प्रबन्ध ट्रस्टी श्री घनश्याम श्रीवास्तव ने बताया कि इन सुधारों के लिए समाज के सभी संवेदनशील लोगों को आगे आना होगा।

Related posts

3 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More