लंदन. भारत में कराये गये एक अध्ययन में कहा गया है कि जिन लोगों पर स्मार्टफोन से सेल्फी लेने का जुनून सवार होता है, वह उनकी एक तरह की बीमारी हो सकती है जिसका इलाज जरुरी है. ब्रिटेन के नॉटिंघम ट्रेंट विश्वविद्यालय और और तमिलनाडु के त्यागराज स्कूल ऑफ मैनेजमेंट ने वर्ष 2014 में यह खबर छपने के बाद इस परिघटना की जांच शुरु की कि अमेरिकन साइकिएट्रिक एसोसिएशन ने ऐसे लोगों (सेल्फीवादी) को वास्तविक मानसिक विकार की श्रेणी में रखा है.
अब उन्होंने इस रुग्णता की पुष्टि की है और उसकी गंभीरता के आकलन में उपयोग आने वाला सेल्फीवादी आचारण मापक तैयार किया. यह मापक 200 लोगों पर विभिन्न प्रकार का वर्ग बनाकर तैयार किया गया. उसे 400 लोगों पर परखा गया. यह अध्ययन भारत में लोगों पर किया गया क्योंकि भारत में फेसबुक उपयोगकर्ताओं की बहुत बड़ी संख्या है.
बता दें कि भारत में खतरनाक स्थलों पर सेल्फी लेते हुए सबसे अधिक मौतें यहीं हुईं. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड एडिक्शन में प्रकाशित इस अध्ययन में इस विकार के ग्रस्त लोगों के तीन स्तर बताये गये हैं.
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