लखनऊ: जन मानस को आम की विभिन्न किस्मों से परिचित कराने तथा साथ ही साथ आम की विभिन्न किस्मों को प्रजातीय संरक्षण देने के उद्देश्य से दो दिवसीय आम विविधता प्रदर्शनी एवं सुरक्षित आम उत्पादन तथा पकाने हेतु सहभागिता संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 21 व 22 जून, 2015 को स्थानीय पर्यटन भवन, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया है। इस प्रदर्शनी का आयोजन केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ तथा आम विविधता अनुरक्षण समिति, मलिहाबाद एवं लखनऊ मैंगो फेस्टिवल के सहयोग से किया जा रहा है।
आम महोत्सव का उद्घाटन करते हुए प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण के मंत्री श्री पारस नाथ यादव ने कहाँ कि आम के वृक्ष द्वारा फल, लकड़ी एवं छाया के रूप में दिये जाने वाले प्रत्यक्ष लाभ के अतिरिक्त बड़ी मात्रा में प्राणवायु
(आक्सीजन) भी प्राप्त होती है। आम प्रदेश की जैव विविधता में भी प्रमुख स्थान रखता है तथा यह फल आम लोगों के दैनिक जीवन में धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व रखने के साथ-साथ पोषणीय आवश्यकता की पूर्ति में भी अग्रणी महत्व रखता है। उन्होंने कहाँ कि यहा पर प्रदर्शित किये गये आम की रंग-बिरंगी विभिन्न किस्मों को देखकर बरबस हीं लोगों के मन में इस बात की इच्छा अवश्य होगी कि यदि इन फलों को पेड़ के ऊपर लगे हुए देखा जाय, तो कदाचित और अधिक सुन्दर लगंेगे। लोगों की इस इच्छा और सोच को मूर्त रूप देने के लिए हार्टी टूरिज्म को विकसित किये जाने की आवश्यकता है। इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से पहल करके बागवानों को पे्ररित करके आम के बड़े बागों के बीच
छोटी हट के रूप में रहने का स्थान उपलब्ध करा दिया जाये तथा न्यूनतम सुविधायें भी उपलब्ध हो जाये, तो इसे लोगों के द्वारा अवश्य पसन्द किया जायेगा। इस प्रकार इस प्रदर्शनी के माध्यम से हार्टी टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। महोत्सव में कृषि उत्पादन आयुक्त, उ0प्र0 शासन श्री आनन्द मिश्रा ने सम्बोधित करते हुए कहाँ कि उत्तर प्रदेश के व्यावसायिक फलों में आम का स्थान सबसे ऊपर है और फलों के अन्तर्गत प्रदेश में सबसे अधिक क्षेत्रफल आम का हीं है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य भी है। प्रदेश में लगभग 2.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम के बाग हैं, जिनसे लगभग 40 से 43 लाख मैट्रिक टन आम का उत्पादन होता है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 23 प्रतिशत है।प्रदेश के प्रमुख सचिव, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री दीपक त्रिवेद्वी ने कहाँ कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है। वर्ष 2013-14 में देश में आम का कुल उत्पादन लगभग 184 लाख मिट्रिक टन था, जिसमें लगभग 23 प्रतिशत (43.00 लाख मैट्रिक टन) का योगदान उत्तर प्रदेश का था। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में आम की उत्पादकता (16.4 मैट्रिक टन प्रति हे0) थी, जो देश की औसम उत्पादकता (7.3 मैट्रिक टन प्रति हे0) से कहीं अधिक है। आन्ध्र प्रदेश देश के कुल आम उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत उत्पादन करके द्वितीय स्थान पर है। स्वागत करते हुए बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य संस्थान द्वारा विकसित नवीनतम प्रौद्योगिकियों का प्रयोग कर आम के सुरक्षित एवं गुणवत्तायुक्त उत्पादन, तुड़ाई उपरांत प्रबन्धन एवं आम को सुरक्षित ढंग से पकाकर घरेलू एवं विश्वबाजार में विपणन कर उससे अधिकाधिक लाभ कमाना है । उन्होंने यह भी बताया कि पूरे भारत वर्ष में आम की तकरीबन 1000 किस्में मौजूद हैं। जिसमें दशहरी, लंगड़ा, चैसा, बैंगनपल्ली, नीलम, तोतापरी आदि कुछ ही प्रमुख एवं मशहूर हैं। इनके तिरक्त काफी ऐसी किस्में भी हैं जिनके अच्छे स्वाद, रंग, सुवास आदि गुणों के कारण व्यवसायीकरण की सम्भावनाएं हैं । आम की विपणन समबन्धी समस्याओं की चर्चा करते हुए बताया कि किसानों द्वारा कीट एवं बीमारियों के प्रबन्धन हेतु रसायनों का अंधाधुंध प्रयोग करने से फलों मे जहरीले अवशेष की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए संस्थान द्वारा विकसित उत्पादन प्रौद्योगिकियों के साथ ही समुचित कीट एवं बीमारियों के प्रबन्धन, तुड़ाई उपरांत प्रबन्धन, फलों को इथरेल/इथिलीन का प्रयोग कर सुरक्षित विधियों द्वारा पकाना, फलों की तुड़ाईपूर्व थैलाबन्दी एवं फलों को उचित बाजार में विपणन हेतु भेजने का सुझाव दिया ।
निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उ0प्र0 श्री एस.पी. जोशी ने कहाँ कि प्रदेश सरकार के द्वारा आम का क्षेत्र विस्तार, अनुरक्षण, पुराने बागों के जीर्णाेद्धार, सुरक्षित रूप से पकाने हेतु रायपनिंग यूनिट की स्थापना, प्रसंस्करण हेतु प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना, सार्टिंग, ग्रेडिंग एवं पैकिंग हेतु पैक हाउस की स्थापना के लिये एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अन्तर्गत अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, देश का पहला राज्य है जहां पर आम के साथ साथ अमरूद एवं आंवला के संहत क्षेत्रों को चिन्हित इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा शैलेंद्र राजन ने अतिथियो का करके फल पट्टी के रूप में घोषित किया गया है तथा इसके संरक्षण के लिए ‘‘उत्तर प्रदेश फलदार वृक्षों का सम्बर्द्धन एवं संरक्षण (हानिप्रद अधिष्ठान और आवास योजना विनियमन) अधिनियम 1985’’ प्रभावी है। प्रदेश के 13 जनपदों में आम की 18 फल पट्टियां घोषित हैं। लखनऊ, सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद,
फैजाबाद, इलाहाबाद तथा वाराणसी मण्डलों में स्थित इन फल पट्टियांे में संहत रूप से आम का उत्पादन किया जा रहा हैं। आम के विपणन एवं निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिये मलिहाबाद-लखनऊ एवं सहारनपुर में बड़े पैक हाउस स्थापित किये गये हैं, जहां पर निर्यात योग्य आम के सार्टिंग, गे्रडिंग एवं पैकिंग के साथ-साथ वेपर हीट ट्रीटमेंट की सुविधा भी उपलब्ध है। विगत तीन वर्षों में उ0प्र0 से अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर आदि देशों में आम का निर्यात किया गया। मण्डी परिषद की प्राप्त सूचना के अनुसार वर्ष 2012 में 58.87 मि.ट., 2013 मंे 37.54 मि.ट. , 2014 में 170.67 मि.ट. तथा 2015 में अब तक 150 मि.ट. निर्यात किया जा चुका है। आम महोत्सव में औद्यानिकी से जुड़े हुए केन्द्र व प्रदेश के संस्थानों के वैज्ञानिकों के अलावा प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर के आम
उत्पादकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया तथा महोत्सव स्थल पर केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, प्रदेश के उद्यान विभाग, आम विविधता अनुरक्षण समिति से जुड़े किसानों के द्वारा आम की विभिन्न लगभग 1130 प्रजातियों/किस्मों
को प्रदर्शित किया गया, जो कि महोत्सव में आकर्षण का केन्द्र बने। इस कार्यक्रम में माल एवं मलिहाबाद के आम उत्पादक क्षेत्र के लगभग 200 किसान एवं 500 अन्य सहभागी/आगन्तुक इस अवसर पर सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संचालन संस्थान की प्रधान वैज्ञानिक, डा अंजू बाजपेई एवं धन्यवाद ज्ञापन फसल सुरक्षा प्रभाग के अध्यक्ष डा ए. के. मिश्र ने किया ।