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भारतीय संस्कृति ‘वर्णमाला’ को दिव्य स्थान देती है: उपराष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारतीय संस्कृति ने वेदों में वर्णमाला को दिव्य स्थान दिया है। यह इस बात का द्योतक है कि हम पुस्तकों और साहित्य को अत्यधिक  महत्व देते हैं। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आज 29वां विजयवाड़ा पुस्तक उत्सव का उद्घाटन करने के पश्चात वे उपस्थित जन समुदाय को संबोधित कर रहे थे। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं और अच्छी किताबें हमारे जीवन स्तर को बेहतर बनाती हैं। जब हम संकट में होते हैं तो पुस्तकें हमें रास्ता दिखाती हैं। विद्वान लोगों को समाज में सम्मान मिलता है और एक पुस्तक खोलने का मतलब है एक नये संसार से रूबरू होना।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि वैदिक साहित्य में महिलाएं भी समान रूप से पुस्तकों की रचना करती थीं। गार्गी, मैत्रेयी तथा अन्य महिलाओं ने अनेक पुस्तकों की रचना की है। बुद्ध काल से लेकर तमिल संगम काल तक कई महिला लेखिकाएं हुई हैं। वैष्णव परंपरा में अलवरों में दलित तथा महिलाओं ने पुस्तकें लिखी हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सिनेमा हमलोगों को अत्यधिक प्रभावित करता है तथा सिनेमा, संगीत और कला के अन्य रूप शांति और सुकून को देते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे महान राष्ट्र के विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एकताबद्ध रहना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने तेलुगु भाषा को बढ़ावा देने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए कहा कि वे यह जानकर अत्यधिक प्रसन्न हैं कि सरकार ने वर्ष 2018 को तेलुगु भाषा सुरक्षा के लिए समर्पित किया है।

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