नई दिल्ली: सौ स्मार्ट शहर विकसित करने की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट शहर मिशन के अंतर्गत दो चरणों की प्रतिस्पर्धा के जरिये केवल सक्षम शहरों को चुना जाएगा। यह संकेत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्मार्ट शहर मिशन के लिए आज जारी संचालन दिशा निर्देशों में दिया गया है। प्रतिस्पर्धा के दोनों चरणों में चयन के मानदंड इस्तेमाल किए जाएंगे।
शहर चुनौती प्रतिस्पर्धा के चरण-1 में, प्रत्येक राज्य और संघ शासित प्रदेश कुछ मानदंडों के आधार पर अपने सभी शहरों का स्कोर लेंगे और प्रतिस्पर्धा के चरण-2 में भाग लेने के लिए संभावित स्मार्ट शहरों की दी गई संख्या के अनुसार सबसे ज्यादा स्कोर करने वाले को मनोनीत करेंगे। राज्य/संघ शासित प्रदेश के अंतर्गत चरण-1 के लिए मूल्यांकन मानदंड नीचे दिए गए हैं:
- वर्तमान सेवा स्तर (25 अंक) : इसमें 2011 की जनगणना के सेवा स्तरों में वृद्धि, एक संचालनात्मक ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली, कम से कम पहले मासिक ई-सूचनापत्र का प्रकाशन और पिछले दो वित्तीय वर्षों के लिए वेबसाइट पर नगर निगम के बजट खर्च के ब्योरे का प्रकाशन शामिल है।
- संस्थागत प्रणाली और क्षमता (15 अंक) : इसमें सेवाएं देने में देरी के लिए जुर्माना लागू करना और पिछले तीन वर्षों में आंतरिक संसाधन जुटाने के लिए किए गए सुधार शामिल हैं।
- स्व–वित्त (30 अंक): शहरी स्थानीय निकायों द्वारा आखिरी महीने तक वेतन का भुगतान, वित्त वर्ष 2012-13 तक खातों का लेखा परीक्षण, 2014-15 के बजट में आंतरिक आय का योगदान और 2014-15 के दौरान प्रतिष्ठान का प्रतिशत और उपयोगकर्ता शुल्क के जरिए पूरा होने वाली जल आपूर्ति के रखरखाव लागत में यह प्रतिबिंबित होगा।
- पिछला कार्य-निष्पादन रिकॉर्ड (30 अंक): जेएनएनयूआरएम की जिन परियोजनाओं को 2012 तक मंजूर किया गया उनके पूरा होने का प्रतिशत, जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत हासिल शहरी स्तर के सुधारों का प्रतिशत और आंतरिक संसाधनों से पूरे किए गए पूंजीगत खर्च की सीमा।
सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों द्वारा मनोनीत 100 संभावित स्मार्ट शहर चरण-। मानदंड के आधार पर स्मार्ट शहर योजनाओं को तैयार करेंगे जिनका वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए शहरों की प्राथमिकता के लिए प्रतिस्पर्धा के चरण–2 में सख्ती के साथ मूल्यांकन किया जाएगा। इस चरण के पहले दौर में सबसे ज्यादा स्कोर करने वाले 20 शीर्ष शहरों का चयन इस वित्त वर्ष के दौरान वित्तीय सहायता के लिए किया जाएगा। शेष से कहा जाएगा कि वे प्रतिस्पर्धा के अगले दो दौरों में भाग लेने के लिए शहरी विकास मंत्रालय की शीर्ष समिति द्वारा पहचानी गई कमियों को दूर करें। प्रतिस्पर्धा के अगले दौर के दौरान वित्तीय सहायता के लिए 40 शहरों का चयन किया जाएगा।
स्मार्ट शहर योजना के मूल्यांकन के लिए चरण – 2 के मानदंड नीचे दिए गए है:-
शहरी स्तर मूल्यांकन (30 अंक)
- कार्यान्वयन की विश्वसनीयता : इसमें पिछले तीन वर्षों में संचलनात्मक कार्यक्षमता में सुधार शामिल है जैसे कि इमारत की योजना को मंजूरी देने के लिए औसत समय, संपत्ति कर आकलन और संग्रह में बढ़ोतरी, पानी के लिए उपयोगकर्ता शुल्क का संग्रह, बिजली आपूर्ति में सुधार, यातायात की भीड़भाड़ को कम करना, सूचना प्रौद्योगिकी को अपनाकर उसके जरिए वैधानिक दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच में प्रतिबिंबित होता है।
- शहरी दूरदर्शिता और रणनीति : निवासियों की जरूरतों और आकांक्षाओं के साथ पारस्परिक संबंध स्थापित करने की सीमा, सार्वजनिक सेवाएं देने में सुधार के लिए आईसीटी के इस्तेमाल, प्रमुख आर्थिक गतिविधि पर प्रभाव और समग्रता में प्रतिबिंबित होता है।
प्रस्ताव स्तर मूल्यांकन (70 अंक)
- प्रस्ताव का प्रभाव: गरीबों और सुविधाहीन लोगों को लाभ देने, रोजगार सृजित करने, नागरिकों के साथ विचार-विमर्श के आधार पर मात्रा निर्धारित करने की अभिव्यक्ति, पर्यावरण पर प्रभाव आदि में यह प्रस्ताव किस हद तक समग्र है।
- किफायती स्मार्ट शहर योजनाः कम संसाधनों से अधिक कार्य करने के लिए स्मार्ट समाधान लागू करना प्रस्तावों में खर्च की गई धनराशि से अधिक सेवाएं प्राप्त करने के बारे में सोचे गए विकल्प, संचालन और रखरखाव लागत के लिए प्रावधान, सार्वजिनिक सेवा देने में सुधार के लिए आईटी का हस्तक्षेप।
- नवोत्पाद और मापनीयताः नागरिकों के साथ विचार-विमर्श में सर्वश्रेष्ठ तरीका अपनाने, पूरे शहर में परियोजना को लागू करना, स्मार्ट समाधान अपनाना और संपूर्ण शहर का विकास किस हद तक किया जाता है।
- अपनाई गई प्रक्रियाः समाज के संवेदनशील तबकों जैसे विशेष रूप से सक्षम लोगों, बच्चों, बुजुर्गों आदि, वार्ड समितियों और क्षेत्र सभाओं तथा महत्वपूर्ण नागरिकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श, सोशल मीडिया के इस्तेमाल और नागरिकों के साथ विचार-विमर्श के दौरान मोबाइल संचालन तथा रणनीति और योजना बनाने में विरोध के स्वरों को शामिल करना।