देहरादून: रविवार को बीजापुर में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि दिल्ली में नीति आयोग के तहत मुख्यमंत्रियों के उपसमूह की बैठक में केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या को घटाने का निर्णय लेने से पहले सभी राज्यों की सहमति ली जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे में इतने वर्षों में देश के समावेशी विकास के लिए जो योजनाएं केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के तौर पर प्रारम्भ की गईं उन्हें समाप्त किया जाना आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों के लिए सही नहीं है। विकास की धारा में सभी राज्यों को साथ लेकर चलना होगा। केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के माध्यम से दी जा रही सहायता को बंद करने से उŸाराखण्ड जैसे राज्यों की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि उन्होंने रविवार को प्रदेश के प्रत्येक जनपद के 5-5 लोगों को रेंडम आधार पर फोन किया। कुल 65 लोगों से बात की गई है। बहुत से लोगों ने अपनी व्यक्तिगत तो बहुत से लोगों ने अपने क्षेत्र की समस्याओं के बारे में जानकारी दी। अनेक लोग राज्य सरकार की कार्यप्रणाली से संतुष्ट थे तो कई लोगों ने राज्य सरकार से अपनी अपेक्षाएं भी बताईं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपने मन की बात लोगों को बताने की बजाय प्रदेश के लोगों के मन की बात जानने को प्राथमिकता दी है।
वर्ष 2013 की आपदा से प्रभावित लोगों के ऋणों पर ब्याज की माफी के लिए केंद्रीय विŸा मंत्री को लिखे पत्र के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि आपद प्रभावितों की राज्य सरकार अपने संसाधनों से जितनी सहायता कर सकती थी, की गई है। अब केन्दीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि भारत सरकार उत्तराखण्ड के आपदाग्रस्त जिलों (जनपद रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर एवं पिथारौगढ़) के लोगों के पर्यटन व्यवसाय, भवन, होटल भवन, दुकान, कृषि भूमि/फसलों की व्यापक हानि से प्रभावित व्यक्तियों को इनके बैंक ऋण पर लग रहे ब्याज की अगले 3 वित्तीय वर्षों क्रमशः 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 हेतु माफी दिए जाने की स्वीकृति प्रदान करने का कष्ट करंे, ताकि आपदा प्रभावित लोग अपने कार्यो/व्यवसाय की पुनःस्थापना कर मूल ऋण को लौटाने में सक्षम हो सके।
स्मार्ट सिटी व अमृत शहर पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी के तौर पर देहरादून का चयन होना है। हमने अमृत शहर के तहत पर्वतीय क्षेत्रों के लिए मानकों में शिथिलीकरण का केंद्र सरकार से अनुरोध किया था, परंतु केंद्र ने सभी राज्यों लिए समान मानक रखे हैं। इससे उŸाराखण्ड जैसे राज्यों को अधिक लाभ नहीं होगा।
चारधाम यात्रा पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने यात्रा को नियमित किया है। कहीं भी यात्री फंसे नहीं हैं और न ही चारधाम यात्रा रूकी है। राज्य सरकार ने यात्रियों की सुविधाओं के लिए सारी पुख्ता व्यवस्थाएं कर रखी हैं। भारी बरसात के कारण सभी यात्रियों को आवश्यकतानुसार सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया। ऐसा कोई यात्री नहीं था जिससे प्रशासन के लोग सम्पर्क में नहीं थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सोनप्रयाग से आगे केदारनाथ की पैदल यात्रा को सावधानी के तौर पर 30 जून तक रोका गया है। परंतु केदारनाथ यात्रा के लिए आए बहुत से यात्रियों ने सोनप्रयाग से आगे बढ़ने की अनुमति न दिए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इससे जाहिर होता है कि चारधाम यात्रा पर आ रहे लोगों में सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं के प्रति किसी प्रकार की आशंका नहीं है। लोग अभी भी चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं।