लखनऊ: आर0टी0आई0 आवेदकों को निर्धारित अवधि 30 दिन में सूचना देना अनिवार्य है। ऐसी व्यवस्था सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 में की गयी है। आवेदकों को सूचना न देने, उन्हंे डराने धमकाने अथवा परेशान करने वाले जन सूचना अधिकारियों पर कठोर दण्डात्मक कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
मामला सूचना आयोग के संज्ञान में आने पर ऐसे जन सूचना अधिकारियों के विरूद्ध अर्थदण्ड, विभागीय कार्रवाई तथा आवेदकों को उत्पीड़ित करने के कारण उनके विरूद्ध क्षतिपूर्ति अधिरोपित करने के आदेश भी आयोग द्वारा पारित किये जायेंगे।
यह जानकारी सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने दी। उन्होंने बताया कि आयोग के संज्ञान में ऐसे भी मामले आये हैं कि कतिपय आर0टी0आई0 आवेदकों द्वारा जन सूचना अधिकारियों को ब्लेकमेल किया जाता है। आर0टी0आई0 आवेदन को वापस लेने हेतु उनसे धन की उगाही किये जाने की शिकायते भी जनसूचना अधिकारियों द्वारा आयोग के संज्ञान में लायी गयी है। सूचना आयोग ने ऐसी शिकायतों को गंम्भीरता से लेते हुए सम्बंधित आर0टी0आई0 आवेदकों के विरूद्ध जांच करने और मामला सही पाये जाने पर उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई के निर्देश दिए हंै।
सूचना आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने कहा है कि आयोग किसी के प्रति अन्याय नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि आवेदकों को सर्वप्रथम एक्ट में निर्धारित प्रक्रिया के तहत 10 रूपये का पोस्टल आर्डर लगाकर सम्बंधित विभाग से सूचना माॅगने के लिए विभागीय जनसूचना अधिकारी के यहाॅ आवेदन करना अनिवार्य है। सूचना 30 दिन में न मिलने पर आवेदक प्रथम अपीलीय अधिकारी के यहाॅ आवेदन पत्र प्रस्तुत करेगा और 15 दिन में अपीलीय अधिकारी को आवेदक को सूचना देनी होगी। यदि वहाॅ से भी सूचना नहीं मिलती है तो प्रकरण आयोग में आने पर दोषी जन सूचना अधिकारियों को दंण्डित किया जायेगा और आवेदक को सूचना उपलब्ध करायी जायेगी। जिन आवेदन पत्रों में 10 रू0 का पोस्टल आर्डर संलग्न नहीं किया जायेगा उन्हें निरस्त कर दिया जायेगा। जन सूचना अधिकारी ऐसे मामलों की सूचना आयोग को भी भेज सकते है।