नई दिल्ली: केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने असम प्रशासनिक स्टॉफ कॉलेज गुवाहाटी में आयोजित बैठक में पूर्वोत्तर राज्यों की स्वास्थ्य क्षेत्र की समीक्षा की। आठ पूर्वोत्तर राज्यों-अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और सिक्किम के स्वास्थ्य मंत्रियों और सचिवों ने इस समीक्षा बैठक में भाग लिया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों से अनुरोध किया कि वह केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे संसाधनों का अधिकतम उपयोग करें। स्वास्थ्य मंत्रियों ने राज्यों के स्वास्थ्य परिदृश्य में इच्छित परिवर्तन लाने के लिए प्राथमिकता के आधार पर निपटाए जाने वाले मुद्दे पेश किए। श्री नड्डा ने मातृ स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, वेक्टर जनित बीमारियों और गैर-संचारित बीमारियों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान दिया और राज्यों से अनुरोध किया कि डेंगू, मलेरिया और वेक्टर जनित बीमारियों से निपटने के लिए वे अग्रिम रूप से तैयारियां करने के कार्य को प्राथमिकता दें ताकि इन बीमारियों को रोका जा सके और मानसून के आगमन पर इनसे प्रभावी रूप से निपटा जा सके। उन्होंने स्वास्थ्य सूचकों- आईएमआर, एमएमआर और टीएफआर में इच्छित परिवर्तन लाने के बारे में लिए गए दो महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में जानकारी दी। एक- कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिए राज्यों में क्षमता निर्माण के लिए क्षेत्रीय संसाधन केन्द्र पूर्वोत्तर विकसित किया जाएगा, जनस्वास्थ्य कार्यक्रम, सूचना, शिक्षा और संचार को समुदाय भागीदारी के माध्यम से मज़बूती प्रदान की जाएगी तथा गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित किया जाएगा। दूसरे स्वास्थ्य और परिवार मंत्रालय का संयुक्त सचिव कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को देखने और परेशानियों को दूर करने के लिए महीने में एक बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा करेगा।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों के दूर-दराज और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों और अपर्याप्त संचार सुविधाओं वाले क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सुरक्षा सेवाओँ को उपलब्ध कराने में आ रही दिक्कतों के बारे में सहानुभूति जताई। उन्होंने सुझाव दिया कि प्राकृतिक अंतर दूर करने और अपनी मजबूत प्रणाली स्थापित करने के लिए नवाचार प्रयासों को शामिल किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि जिला अस्पतालों और उपखंड सिविल अस्पतालों ने डॉक्टर और अर्ध-चिकित्सा कर्मचारी पर्याप्त मात्रा में तैनात किए जाएं। उन्होंने अर्ध-चिकित्सा कर्मियों को गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण देकर जन स्वास्थ्य योजनाओँ को विकसित करने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य रक्षा सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए धन की कोई कमी नहीं है और राज्यों में धन के प्रवाह को युक्ति संगत बनाने के लिए समय पर उपयोग संबंधी जानकारी प्रस्तुत करनी चाहिए तथा खरीदारी में पारदर्शिता होनी चाहिए तथा नियमित आपूर्ति और क्वालिटी सुनिश्चित की जानी चाहिए। श्री नड्डा ने सभी राज्यों की अभी तक दर्शायी गई उनकी उपलब्धियों की प्रशांसा की और उनसे स्वास्थ्य सुरक्षा सेवाओं की बेहतरी के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बीएससी (समुदाय स्वास्थ्य) की शुरुआत करने के लिए असम द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विज्ञान संस्थान (एनईआईजीआरआईएचएमएस) शिलोंग का भी दौरा किया और गवर्निंग काउंसिल की बैठक को संबोधित किया।