नई दिल्लीः महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना का उद्देश्य सतत विकास के लिए उत्पादक और टिकाऊ परिसम्पत्ति का सृजन करके ग्रामीण आजीविका संसाधन आधार को मजबूत बनाना है। यह सुनिश्चित करने के लिए पिछले तीन वर्षों में समय पर कार्य सम्पन्न करने तथा कार्य की गुणवत्ता सुधारने पर काफी बल दिया गया है। कार्यक्रम को गुणवत्ता सम्पन्न तरीके से सुधारने के लिए समर्पित मनरेगा कर्मियों तथा सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों के कौशल को उन्नत करने पर समान बल दिया गया है।
मनरेगा के अंतर्गत अधूरे कार्य को पूरा करना सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय है। इसलिए मंत्रालय कार्यक्रम प्रारंभ होने के बाद से कुल 4.54 करोड़ कार्यों में से 61.39 लाख अधूरे कार्यों को पूरा करने पर बल दे रहा है।
कड़ी निगरानी और राज्यों के साथ सक्रिय सहयोग के साथ मंत्रालय वित्त वर्ष 2016-17 तथा चालू वित्त वर्ष में 1.02 करोड़ कार्य की पूर्णता सुनिश्चित करने में सफल रहा है। कारगर निगरानी के जरिये कार्य पूरा होने में हमें सुधार की आशा है।
कार्य के अलग-अलग स्वभाव और आकार तथा शामिल हितधारकों की अलग-अलग क्षमताओं को देखते हुए लक्षित समूह की आवश्यकताओं के अनुकूल अलग ट्रेनिंग मोड्यूल डोमेन विशेष शीर्ष संगठनों के समर्थन से विकसित किये गये है। ये प्रशिक्षण मोड्यूल सक्षम बैनर के अंतर्गत तकनीकी कर्मियों को प्रशिक्षित करने के आधार पर बनाये गये है। यह कार्यक्रम 19 जून, 2017 को माननीय ग्रामीण विकास मंत्री ने लांच किया था और 65,000 तकनीकी कर्मियों को कवर करते हुए 15 मार्च, 2018 को पूरा किया जाएगा। लगभग 57,000 – (राज्य 521), (जिला 6669) तथा (ब्लॉक स्तर पर 48,934 तकनीकी) कर्मियों को जलसंभर, भूजल विज्ञान, पौधरोपण तथा एकीकृत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन जैसे विषयों के साथ परियोजना नियोजन तथा निगरानी के लिए दूरसंवेदी और जीआईएस उपायों के इस्तेमाल के बारे में क्षमता सम्पन्न बनाया गया है। इस व्यापक कार्य में राष्ट्रीय दूरसंवेदी केन्द्र हैदराबाद तथा केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ सहयोग किया।
मनरेगा श्रमिकों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना महत्वपूर्ण क्षेत्र है। कार्य नियोजन तथा कार्य की समय से निगरानी और ग्राम पंचायत स्तर पर तकनीकी संसाधनों की उपलब्धता की खाई को पाटकर परिसम्पत्ति की गुणवत्ता और टिकाऊ अवधि सुधार के लिए 6,367 अकुशल कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। यह स्थानीय युवा (10वीं पास) हैं और मनरेगा श्रमिक परिवार से आते है। सुपरवाइजरों की भी पहचान की गई है और उन्हें 90 दिन का आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, उनका मूल्यांकन किया गया है और 150 रुपये दैनिक वजीफे सहित 62,040 रुपये प्रति व्यक्ति की लागत से प्रशिक्षित करने के बाद उन्हें प्रमाणित किया गया ।
मंत्रालय ने लागत में एकरूपता लाने, चोरी रोकने और कार्य की गुणवत्ता सुधारने के लिए रोजगार के लिए ग्रामीण दरों का उपयोग करते हुए अनुमान गणना के लिए सॉफ्टवेयर (सिक्योर) अपनाकर तकनीकी विशेषता कार्य और कार्य प्रवाह की बारीकियों के माध्यम से अनुमानों को मानक रूप देने के लिए कदम उठाये हैं। मंत्रालय ने सिक्योर पर राज्य जिला तथा ब्लॉक स्तर पर संसाधन व्यक्तियों पर प्रशिक्षण प्रारंभ कर दिया है। 01 अप्रैल, 2018 से मनरेगा के अंतर्गत सभी अनुमान कार्यक्रम प्रबंधन सूचना प्रणाली से सिक्योर सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करके लगाया जाएगा।
प्रशासकीय और वित्तीय रूप से स्वतंत्र सामाजिक लेखा इकाइयों की स्थापना और समर्पित संसाधन व्यक्तियों के प्रशिक्षण के जरिये अधिसूचित लेखा मानकों के अनुरूप सामाजिक लेखा के लिए संस्थागत व्यवस्था को मजबूत बनाना सुनिश्चित किया गया। राज्य, जिला तथा ब्लॉक स्तर पर इन स्वतंत्र सामाजिक लेखा इकाइयों के 3760 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है, उनका मूल्यांकन किया गया है और सामाजिक लेखा पर 30 दिन का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा करने पर टाटा समाज विज्ञान संस्थान द्वारा प्रमाणित किया गया है।
सामाजिक लेखा कार्य के लिए ग्रामीण संसाधन व्यक्ति के रूप में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाये गये हैं। अब तक ग्राम पंचायत स्तर पर सामाजिक लेखा कार्य करने के लिए चार दिनों के प्रशिक्षण मोड्यूल के अंतर्गत 4700 महिला स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया है। पारदर्शिता लाने और कार्यक्रम की व्यापकता बनाने के लिए मंत्रालय मनरेगा सम्पत्ति संबंधी आंकड़ों को देखने, उनका विश्लेषण करने तथा उनकी संभावनाओं के लिए जीआईएस आधारित जियो मनरेगा समाधान लागू कर रहा है। पूरे देश में अभी तक 2.34 करोड़ सम्पत्तियों को जियोटैग किया गया है। मंत्रालय अब 01 नवम्बर, 2017 से 31 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में जियोमनरेगा चरण-3 प्रारंभ किया है। जियोमनरेगा चरण-2 के अंतर्गत तीन चरणों पर जियोटैगिग का कार्य किया जा रहा है। ये चरण हैं – (1) कार्य प्रारंभ होने से पहले, (2) कार्य के दौरान, (3) कार्य पूरा होने पर। 21-22 अगस्त, 2017 को राज्य संसाधन व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय ओरिएंटेशन कार्यशाला तथा प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इसके बाद अब तक राज्य, जिला, ब्लॉक तथा ग्राम पंचायत के 2,69,075 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है।
मनरेगा के अंतर्गत राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन कार्यों के प्रभाव का जायजा लेने के लिए नई दिल्ली के आर्थिक विकास संस्थान द्वारा किये गये अध्ययन में प्रभाव दिखने लगे हैं। 21 राज्यों के 30 जिलों से प्राप्त प्राथमिक और द्वितीयक डाटा बताते है कि मनरेगा के अंतर्गत फसल में तेजी और विविधता से ग्रामीण परिवार की आय बढ़ी है। 76 प्रतिशत परिवारों का कहना है कि मनरेगा के अंतर्गत बनाई गई सम्पत्तियां बहुत अच्छी/अच्छी हैं। केवल 0.5 प्रतिशत लाभार्थियों ने माना कि सम्पत्तियों की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है।
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