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पेंशनरों को जीवित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए सरलीकृत नई व्यवस्था 01 जून से लागू

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने पेंशनरों को बड़ी राहत देते हुए पेंशनरों को अपने जीवित होने के प्रमाण पत्र को प्रस्तुत करने के सम्बंध में 01 जून, 2015 से नयी सरलीकृत व्यवस्था लागू की है। सरलीकृत व्यवस्था प्रदेश के समस्त कोषागारों में 01 जून से लागू कर दी गयी है। इस सम्बंध में प्रमुख सचिव, वित्त विभाग द्वारा 13 मई 2015 को शासनादेश जारी किया जा चुका है।

अभी तक पेंशनरों के लिए लागू पेंशन भुगतान योजना में यह व्यवस्था रही है कि पेंशनर द्वारा निर्धारित प्रारूप पर प्रत्येक वर्ष में एक बार दिनांक 01 नवम्बर से 20 दिसम्बर तक की अवधि में कोषागार में उपस्थित होकर अथवा सक्षम अधिकारी से प्रतिहस्ताक्षरित कराकर जीवित प्रमाण-पत्र कोषागार में प्रस्तुत करना पड़ता है। शासन के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया है कि दिनांक 01 नवम्बर से 20 दिसम्बर तक जीवित प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने की बाध्यता होने के कारण बहुत से पेंशनर जो राज्य में न रहने के फलस्वरूप अपने पुत्र-पुत्रियों के पास अथवा अन्य राज्यों में अस्थायी रूप से रहते है, उन्हे सिर्फ जीवित प्रमाण पत्र देने हेतु आना पड़ता है और अधिकांश पेंशनरों के न आने के कारण उनकी पेंशन रूक जाती है। अनेक पेंशनर अस्वस्थता के कारण भी कोषागार में उपस्थित नहीं हो पाते है। पेंशन अवरूद्ध हो जाने की स्थिति में उन्हें आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। कोषागारों में भी 01 नवम्बर से 20 दिसम्बर की अवधि में जीवित प्रमाण पत्र दिए जाने की तिथि निश्चित होने के कारण उक्त अवधि में समस्त पेंशनरों के कोषागार में उपस्थित होने के कारण कोषागारों में भी अधिक भीड़ होती है जिससे अन्य कार्य भी प्रभावित होते है।
राज्य सरकार ने पेंशनरों की समस्याओं के निराकरण हेतु जीवित प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जाने की वर्तमान व्यवस्था को सरलीकृत करते हुए निम्नलिखित संशोधित व्यवस्था 01 जून से लागू कर दी है। पेंशनर को सेवानिवृत्ति के उपरान्त प्रथम पेंशन भुगतान की तिथि के 01 वर्ष पश्चात् ‘‘जीवित प्रमाण-पत्र‘‘ देने की आवश्यकता होगी। पेंशनर यदि सेवानिवृत्ति के 01 वर्ष पश्चात् अपना ‘‘जीवित प्रमाण-पत्र‘‘ किसी कारणवश देने में असमर्थ है, तो वह अपनी सुविधानुसार 01 वर्ष पूर्ण होने के पूर्व ही अपना जीवित प्रमाण-पत्र कोषागार में जमा कर सकता है और ऐसी स्थिति में उन्हें अपना अगला जीवित प्रमाण-पत्र जिस माह में प्रमाण-पत्र दिया जा रहा है, के 01 वर्ष के अन्दर जमा करना होगा। इस व्यवस्था से पेंशनर को किसी निश्चित अवधि में जीवित प्रमाण-पत्र जमा करने की बाध्यता के स्थान पर वर्ष में कभी भी जीवित प्रमाण-पत्र दिये जाने की सुविधा प्राप्त हो जायेगी।
उत्तर प्रदेश शासन ने स्थायी रूप से विकलांग एवं मानसिक रूप से विक्षिप्त पेंशनर्स, जिन्हें कोषागार में उपस्थित होने में कठिनाई होती है, उनके घर जाकर जीवित प्रमाण-पत्र दिये जाने की व्यवस्था पहले से ही शासनादेश दिनांक 07 फरवरी, 2012 में की है। गम्भीर बीमारियों से ग्रसित पेंशनर जो चलने फिरने में अस्मर्थ है उन पर भी इस व्यवस्था को लागू किया जाता है। पेंशनरों को जीवित प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए उत्तर प्रदेश में स्थित उस बैंक शाखा के प्रबन्धक जिसमें पेंशनर का खाता है, को भी शासनादेश दिनांक 21 नवम्बर, 2003 द्वारा अधिकृत किया गया है।
शासन द्वारा इसी क्रम में यह व्यवस्था भी की गयी है कि जो पेंशनर प्रदेश के बाहर निवास कर रहें है, वे अपना जीवित प्रमाण-पत्र अपने रहने के स्थान पर स्थित उस बैंक जिसमें उनका पेंशन खाता खुला है, की किसी भी शाखा के शाखा प्रबन्धक से प्रमाणित कराकर मूल बैंक जहाॅ उनकी पेंशन आहरित कर कोषागार द्वारा भेजी जाती है, के माध्यम से कोषागार को उपलब्ध करा सकते हैं। भारत के बाहर निवास करने वाले पेंशनर्स के सम्बन्ध में पूर्व से शासनादेश 16 दिसम्बर, 2010 द्वारा लागू व्यवस्था यथावत् रहेगी।

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