लखनऊ: राज्य सरकार ने प्रदेश के ऐसे पिछड़े राजस्व ग्रामों-मजरे, पुरवे, टोले-बसावट में सम्पर्क मार्ग, सड़क, विद्युतीकरण, पेयजल, गांव के अन्दर खड़ंजा, नाली निर्माण, पेंशन, स्वास्थ्य, राशन कार्ड, शिक्षा, आवास, स्वच्छता, कौशल विकास-आजीविका एवं कृषि योजनाएं आदि का क्रियान्वयन कर सर्वांगीण विकास करने के लिए मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना लागू की जायेगी। इसका शुभारम्भ 24 जनवरी, को यू.पी. दिवस के अवसर पर किया गया था।
ग्राम्य विकास के प्रमुख सचिव श्री अनुराग श्रीवास्तव द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र, अन्तर्राष्ट्रीय/अन्तर्राज्यीय पर स्थित हैं, आजादी के बाद से इन गांवों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाया है। बनटांगिया, मुसहर एवं थारू जनजाति आदि वर्गों के बाहुल्य वाले ग्रामों में अवस्थापना एवं लाभार्थी परक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पूरी तरह नहीं मिल पाया है। इन गांवों को विकास परक योजनाओं से आच्छादित करते हुए स्थायी विकास की आवश्यकता है।
योजना के तहत चिन्हित पिछड़े राजस्व ग्रामों में 17 कार्यदायी विभागों द्वारा 24 विकास कार्यक्रम संचालित किये जायेंगे। इन गांवों मगें सम्पर्क मार्ग निर्माण, ग्रामीण विद्युतीकरण, आंतरिक पक्की गलियों एवं नालियों का निर्माण, स्वच्छ भारत मिशन, स्वच्छ पेयजल, आवासहीन को आवास, प्राथमिक-उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापना/निर्माण, आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थापना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, निराश्रित महिलाओं को पेंशन, वृद्धावस्था/किशान पेंशन, कौशल विकास तथा दिव्यांग पेंशन कार्यक्रम संचालित किये जायेंगे।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, वृक्षारोपण खाद्य सुरक्षा मिशन, वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था, सोलर स्ट्रीट लाइट के माध्यम से, राष्ट्रीय सक्षरता मिशन, मनरेगा, तालाबों का जीर्णोद्धार, डेयरी प्रसंस्करण, आई.सी.डी.एस., किसान क्रेडिट कार्ड, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, मृदा स्वास्थ्य सुदृढ़ीकरण, कृषि यांत्रिकीकरण, प्रमाणित बीज वितरण, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन तथा शहीद सैनिक के ग्रामों में तोरण द्वार एवं शहीद सैनिक के मूर्ति की स्थापना करायी जायेगी।
योजना के अन्तर्गत गांवों के चयन का आधार भी निर्धारित किया गया है। योजना के अन्तर्गत बुनियादी सुविधाओं से वंचित पिछड़े राजस्व ग्रामों के साथ-साथ उनके मजरे/पुरवे/टोले/बसावटों एवं प्रदेश के अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्राज्यीय सीमावर्ती क्षेत्र जहां समाज के वंचित वर्ग के लोग अधिकांश संख्या में निवास करते हैं का चयन किया जायेगा। प्राथमिकता के आधार पर सीमावर्ती अन्तर्राष्ट्रीय/अन्तर्राज्यीय पिछड़े ग्राम, आदिवासी-जनजाति बाहुल्य वाले ग्राम खासतौर से बनटांगिया, मुसहर एवं थारू वर्गों के ग्राम, ऐसे अत्यधिक पिछड़े ग्राम-बस्तियां जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, देश की रक्षा में शहीद हुए सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों के सैनिकों के ग्राम, तथा विषम परिस्थित से घिरे हुए अति पिछड़े गांव। योजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी जनपद स्तर पर जिलाधिकारी एवं मण्डल स्तर पर मण्डलायुक्त की होगी।