नई दिल्ली: जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राइफेड) और आयुष मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) के बीच एक सहमति पत्र पर आज हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य जनजातीय लोगों की आजीविका के विकास के लिए औषधीय और सुगन्धित पौधों की खेती को बढ़ावा देना है।
इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुआल ओराम ने कहा कि जनजातीय लोग औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं, लेकिन वे अब भी अपने उत्पादों की वास्तविक कीमत से अनजान हैं। इस समझौते से उन्हें अपने उत्पादों के महत्व के बारे में जानकारी मिलेगी और वे इनकी अच्छी कीमत हासिल कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कोशिशों के जरिए सरकार का पूरा ध्यान वन-धन पर केन्द्रित हो गया है और इस समझौते से प्रधानमंत्री के विज़न को और गति मिलेगी। उन्होंने बताया कि योग, जो सदियों से भारत में प्रचलन में रहा है, को आज उचित तरीके से मार्केटिंग करने के बाद ही महत्व हासिल हो सका, इसी तरह अब समय आ गया है कि औषधीय और सुगन्धित पौधों की मार्केटिंग बेहतर तरीके की जाएताकि जनजातीय लोगों के इन उत्पादों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सके। उन्होंने अनुमान लगाया कि सही कोशिशों के जरिए आने वाले समय में इस क्षेत्र में करोड़ों रुपये के निवेश आकर्षित हो सकते हैं और इन उत्पादों की पहुंच अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक संभव हो सकेगी।
आयुष राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि इस समझौते से रोजगार सृजन में मदद मिलेगी और जनजातीय लोगों का कौशल विकास होगा, जो उनके लिए लाभदायक साबित होगा। जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री सुदर्शन भगत ने कहा कि प्रधानमंत्री के किसानों की आय दोगुनी करने के विज़न की दिशा में यह समझौता एक अगला कदम है। आयुष मंत्रालय में सचिव श्री वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि यह समझौता इन उत्पादों के सप्लाई चेन प्रबंधन को मजबूत करने में मददगार साबित होगा और जनजातीय कार्य मंत्रलाय के अंतर्गत ट्राइफेड तथा आयुष मंत्रालय के अंतर्गत एनएमपीबी दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा। जनजातीय मंत्रालय में सचिव श्री दीपक खांडेकर ने कहा कि इस समझौते से जनजातीय लोगों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत हासिल करने मदद मिलेगी।
समझौते के तहत एनएमपीबी द्वारा समर्थित प्रस्तावित गतिविधयां :-
- जनजातीय इलाकों में संभावित औषधीय पौधों की प्रजाति की पहचान करना।
- अच्छी कृषि प्रथाओं (जीएपी) और अच्छी कृषि संग्रह प्रथाओं पर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम में सहयोग करना।
- कौशल उन्नयन और क्षमता निर्माण में मदद करना।
- वन-धन विकास केंद्र स्वयं सहायता समूहों के जरिए औषधीय और सुगन्धित पौधों के लिए पौधारोपण और नर्सरी विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- औषधीय और सुगन्धित पौधों के मानदंड मानकीकरण की सुविधा देना तथा अनुसंधान और परीक्षण केंद्र की स्थापना के लिए सहायता प्रदान करना।
समझौते के तहत ट्राइफेड द्वारा समर्थित प्रस्तावित गतिविधियां:-
- प्राथमिक प्रसंस्करण और प्राथमिक प्रसंस्करण सुविधा के लिए प्रशिक्षण सहित कौशल उन्नयन और क्षमता निर्माण तथा औषधीय पौधों एवं इसके उत्पादों के लिए ‘वन-धन विकास केंद्र’ की स्थापना।
- वन धन विकास केंद्र के तहत वन धन स्वयं सहायता समूहों का निर्माण।
- औषधीय एवं सुगन्धित पौधों के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण सुविधा, आधारभूत संरचना का निर्माण और मूल्यवर्धन सुविधा की स्थापना।
- छोटे वन उत्पादों (एमएफपी) के लिए आपूर्ति श्रृंखला।
- वित्तीय संस्थानों और अन्य संगठनों के साथ समझौता करके स्वयं सहायता समूहों के लिए पूंजी जुटाने का प्रावधान।
- वन धन विकास केंद्र में शामिल स्वयं सहायता समूहों के जरिए आम तौर पर उपलब्ध और अक्सर उपयोग किए जाने वाले औषधीय पौधों की उपयोगिता को विकसित करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के हर्बल उद्यान की स्थापना करना।
- एनएमपीबी और टीआरआई के परामर्श से औषधीय पौधों पर अनुसंधान और विकास अध्ययन को बढ़ावा देना।
औषधीय और सुगन्धित पौधों के संग्रहण और बिक्री में शामिल जनजातीय लोगों को सशक्त करते हुए उन्हें मुख्य धारा में शामिल करने में यह समझौता एक मील का पत्थर साबित होगा।