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चेकिंग अभियान के दौरान 50,33,14,332 रूपए का शमन शुल्क वसूल किया गया: अवनीश कुमार अवस्थी

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने आज यहां लोक भवन में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि प्रदेश सरकार राज्य की 23 करोड़ जनता को प्रभावी चिकित्सा सुविधाएं देने का कार्य कर रही है। कोविड-19 के दृष्टिगत प्रदेश में एल-1, एल-2 तथा एल-3 श्रेणी के कोविड अस्पताल स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से कोरोना संक्रमित लोगों के उपचार की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कोविड चिकित्सालयों की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने निर्देश दिए है कि संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से स्थापित किए गए कन्टेनमेंट जोन में विभिन्न गतिविधियों को प्रतिबन्धित रखे जाने के प्राविधानों का सख्ती से पालन कराया जाए। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कन्टेनमेंट जोन में लोगों को आवश्यक सामग्री की उपलब्धता में कोई असुविधा न हो। उन्होंने विभिन्न कार्यालयों तथा संस्थानों आदि में स्थापित कोविड हेल्प डेस्क के सुचारु संचालन पर भी बल दिया। उन्होंने कहा है कि कोविड हेल्प डेस्क में पल्स आॅक्सीमीटर, इन्फ्रारेड थर्मामीटर तथा सैनिटाइजर की उपलब्धता रहे।
श्री अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा को निर्देशित किया है कि वे जनपद कानपुर नगर में कोविड-19 के उपचार के लिए की गई व्यवस्थाओं की मौके पर समीक्षा करें तथा इन्हें और प्रभावी बनाने के लिए रणनीति तय करें। उन्होंने कहा है कि नाॅन कोविड अस्पतालों में मरीजों की पल्स आॅक्सीमीटर के माध्यम से नियमित जांच की जाए। उन्होंने जिला स्तर पर चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने के लिए समस्त जिलाधिकारियों तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अपने-अपने जनपद में इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों तथा नर्सिंग होम संचालकों के साथ बैठक कर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए है। उन्हांेने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि कोरोना के प्रसार को रोकने में काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए यह कार्य अत्यन्त सावधानी व धैर्य के साथ सुव्यवस्थित ढंग से किया जाए। इस कार्य में शिक्षकों के साथ-सथ चिकित्सकों की भी सेवाएं ली जायेंगी। अधिक से अधिक टेस्ट किए जाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि रैपिड एन्टीजन टेस्ट की संख्या में वृद्धि की जाए तथा अतिरिक्त ट्रूनेट मशीने मंगाने के भी निर्देश दिये है। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 के गम्भीर रोगियों के उपचार में प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग किया जाए। उन्होंने कोविड-19 से बचाव के सम्बन्ध में लोगों को जागरूक किए जाने के कार्य को जारी रखने के निर्देश देते हुए कहा है कि जागरूकता सृजन के लिए टी0वी0, रेडियो, समाचार पत्रों, पोस्टर-बैनर, होर्डिंग तथा पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग किया जाए।
श्री अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दवा के अभाव में किसी भी रोगी का उपचार प्रभावित नहीं होना चाहिए। इसके दृष्टिगत सभी अस्पतालों में अतिरिक्त मात्रा में औषधियों की व्यवस्था की जाए। एल-2 तथा एल-3 कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या को बढ़ाया जाए। कोविड चिकित्सालयों में समस्त वेंटीलेटरों को क्रियाशील रखा जाए। उन्होंने टेलीमेडिसिन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के निर्देश देते हुए कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार की आॅनलाइन ओ0पी0डी0 सेवा ‘ई-संजीवनी’ का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग इस सुविधा का लाभ प्राप्त कर सकें। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि प्रदेश में कोविड-19 से संक्रमित हुए नवजात शिशु से लेकर वृद्धजन का सफल इलाज किया गया है। सफलतापूर्वक उपचारित किए गए ऐसे रोगियों की केस हिस्ट्री का अध्ययन करते हुए यह देखा जाना चाहिए कि इनका सफल उपचार किस प्रकार और किन स्थितियों में हुआ। इस सम्बन्ध मंे उच्च स्तरीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञों से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के द्वारा संवाद बनाकर उन्हें भी इन अध्ययनों से अवगत कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 एक नई बीमारी है, जिसकी कोई कारगर दवा अथवा टीका अभी तक नहीं आया है। इसके दृष्टिगत इस प्रकार के अध्ययन कोविड-19 के रोगियों की रिकवरी दर को बढ़ाने में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
श्री अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आज ‘भूजल सप्ताह’ के समापन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जल शक्ति विभाग ने ‘भूजल सप्ताह’ का आयोजन करके जल संरक्षण के प्रति जागरूकता का जो व्यापक और अभिनव कार्य किया है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि भूजल के संरक्षण हेतु आमजन की सहभागिता अत्यन्त आवश्यक है। यह भी आवश्यक है कि जनसामान्य को भूजल के महत्व के प्रति जागरूक किया जाए। मुख्यमंत्री जी ने लोगों से अपील की है कि लोग अपने भवन में रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग का प्रबन्ध करें, जिससे पूरे प्रदेश में भूजल समस्या का दीर्घकालीन समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भूजल प्रबन्धन एवं संरक्षण हेतु पूर्णतया प्रतिबद्ध है। इसलिए भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण एवं नियमन हेतु उत्तर प्रदेश ग्राउण्ड वाॅटर मैनेजमेंट एण्ड रेगुलेशन अधिनियम-2019 सरकार ने प्रख्यापित किया है।
श्री अवस्थी ने बताया कि गृह विभाग की धारा 188 के तहत 1,35,442 एफआईआर दर्ज करते हुये 2,98,977 लोगों को नामजद किया गया है। प्रदेश में अब तक 1,01,55,381 वाहनांे की सघन चेकिंग में 64,445 वाहन सीज किये गये। चेकिंग अभियान के दौरान 50,33,14,332 रूपए का शमन शुल्क वसूल किया गया। उन्होंने बताया कि फेक न्यूज के तहत अब तक 1,915 मामलों को संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही की गई है। 22 जुलाई को कुल 11 मामले, जिनमें ट्विटर के 11 मामले को संज्ञान में लिया गया हंै तथा साइबर सेल को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 5,532 हाॅट स्पाॅट के 971 थानान्तर्गत 10,61,388 मकानों के 62,89,437 लोगों को चिन्हित किया गया है। इन हाॅट स्पाॅट क्षेत्रों में कोरोना पाॅजीटिव लोगों की संख्या 18,798 है। इंस्टीट्यूशनल क्वारेंटाइन किये गये लोगों की संख्या 13,559 है।
श्री अवस्थी ने बताया कि संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग प्रत्येक दशा में की जाए। उन्होंने बताया कि जनपद लखनऊ में शिक्षकों, डाॅक्टरों तथा प्रशासनिक अधिकारियों की टीम कान्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए लगायी गयी है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने जांच कराने हेतु आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का सम्पूर्ण विवरण एवं आई0डी0 कार्ड की फोटोकापी प्राप्त करने के निर्देश दिये हैं। जिससे किसी भी व्यक्ति के कोरोना पाजिटिव आने पर उससे तत्काल सम्पर्क कर उसका उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में टेस्टिंग का कार्य तेजी से किया जा रहा है। प्रदेश में कल एक दिन में 45,650 सैम्पल की जांच की गयी। इस प्रकार कोविड-19 की जांच में 15 लाख का आकड़ा पार करते हुए प्रदेश में अब तक लगभग 16 लाख सैम्पल की जांच की गयी है। प्रदेश में विगत 24 घंटंे में कोरोना के 2308 नये मामले आये है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 20,825 कोरोना के मामले एक्टिव हैं। अब तक 33,500 मरीज पूरी तरह से उपचारित हो चुके हैं।
श्री प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में सर्विलांस की कार्यवाही के अन्तर्गत 1,79,475 सर्विलांस टीम द्वारा 1,29,66,597 घरों के 6,60,23,971 लोगों का सर्वेक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि आरोग्य सेतु ऐप से अलर्ट जनरेट आने पर कन्ट्रोल रूम द्वारा निरन्तर फोन किया जा रहा है। अलर्ट जनरेट होने पर अब तक 3,50,437 लोगों को कंट्रोल रूम द्वारा फोन कर जानकारी प्राप्त की गयी। उन्हांेने बताया कि प्रदेश में एल-1, एल-2, एल-3 स्तर के कोविड अस्पतालों में कुल 1.51 लाख बेड उपलब्ध है।
श्री प्रसाद ने बताया कि कोविड-19 रोगियों को कुछ शर्तों के साथ होम आइसोलेशन की सुविधा प्रदान की जा रही है। इससे कोरोना के मरीजों के डिस्चार्ज की भी नई व्यवस्था लागू की गयी है। होम आइसोलेशन में रखे गये व्यक्ति में होम आइसोलेशन प्रारम्भ होने के उपरांत 10 दिनों की अवधि में किसी प्रकार का कोई लक्षण परिलक्षित होता है तो ऐसे व्यक्ति की आयु, लक्षण तथा को-माॅर्बिडिटीज की स्थिति के अनुसार कोविड उपचार इकाई में भर्ती कराया जायेगा। होम आइसोलेशन प्रारम्भ होने के उपरांत 10 दिनों तक किसी प्रकार का कोई लक्षण प्रदर्शित न होने की स्थिति में रोगी को रिकवर माना जायेगा। इसी प्रकार कोविड फैसिलिटी में भर्ती लक्षणविहीन व्यक्तियों को प्रारम्भिक जांच के 10वें दिन या भर्ती होने के सातवें दिन पर बिना किसी जांच के डिस्चार्ज किया जायेगा, ऐसे व्यक्तियों को डिस्चार्ज होने के उपरांत घर पर अनिवार्य होम आइसोलेशन में रहना होगा। उन्होंने बताया कि होम आइसोलेशन में रहने वाले व्यक्तियों के लिए 18001805146 टोल फ्री नम्बर जारी किया गया है। जिसमें वो अपने स्वास्थ्य संबंधी अपडेट दे सकते है। होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों के लिए थर्मामीटर एवं पल्स आॅक्सीमीटर अपने पास रखना अनिवार्य है। होम आइसोलेशन में रहने वाले व्यक्तियों को दिन में दो बार अपने तापमान एवं आॅक्सीजन लेवल की जांच कर कंट्रोल रूम को सूचित करना होगा।
श्री प्रसाद ने बताया कि टेली मेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के ई-संजीवनी पोर्टल का भी व्यापक स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ई-संजीवनी पोर्टल के माध्यम से लोग घर बैठे पोर्टल पर उपलब्ध डाॅक्टरों से टेलीमेडिसिन के माध्यम से चिकित्सीय सलाह ले सकते है। इस पोर्टल पर फोन नम्बर के माध्यम से पंजीकरण कराया जा सकता है। उन्हांेने बताया कि ई-संजीवनी के पर्चे पर सरकारी चिकित्सालयों से भी दवाईयां मिल सकती है।

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