25 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक करते हुएः दिनेश अग्रवाल

उत्तराखंड
देहरादून: प्रदेश के वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने विधान भवन स्थित अपने कक्ष में चीड़ की पत्तियों से हो रहे नुकसान, नीलगाय एवं जंगली सुअर से खेती को हो रहे नुकसान व नदियों के तल में जमा हो रही सिल्ट से सम्भावित बाढ़ पर नियंत्रण के लिए वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की।

श्री अग्रवाल ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड हरीश रावत के निर्देश पर उपरोक्त तीनों प्रकरणों पर केन्द्र सरकार को ठोस प्रस्ताव भेजे जाने हैं, जिसके बाद मा0 मुख्यमंत्री के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रालय से स्वीकृति हेतु प्रभावी पहल की जायेगी। श्री अग्रवाल ने बताया कि विगत 2 जुलाई को केन्द्रीय जल संसाधन नदी, विकास, केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड की पहले दौर की वार्ता हो चुकी है।
बैठक में वन मंत्री ने चीड़ की पत्तियों से क्षेत्र में हो रहे नुकसान का संज्ञान लेते हुए प्रमुख वन संरक्षक कार्य योजना ए.आर.सिंह की अध्यक्षता में केन्द्र को भेजने हेतु प्रस्ताव 15 दिन में तैयार करने के निर्देश दिये। इस प्रस्ताव को तैयार करने के लिए गठित कमेटी में मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल, गम्भीर सिंह, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊ राजेन्द्र सिंह विष्ट तथा अपर सचिव वन एवं पर्यावरण मीनाक्षी जोशी तथा वन संरक्षक(भूमि सर्वेक्षण) मनोज चन्द्रन को सदस्य नामित किया गया। यह समिति आरक्षित वन तथा सिविल वनों के लिए अलग-अलग दो प्रस्ताव तैयार करेगी। ज्ञातव्य है कि चीड़ के कारण वनाग्नि होने से प्रायः वन सम्पदा का नुकसान भी होता है।
वन मंत्री ने जंगली सुअरों से पर्वतीय खेती को हो रहे नुकसान तथा नीलगाय से मैदानी खेती को हो रहे नुकसान  किसानों से निजात दिलाने के लिए ये जानवर वरमिन घोषित कराने के लिए ठोस प्रस्ताव 15 दिन में तैयार करने के निर्देश दिये। सम्बन्धित मुख्य वन्य जन्तु प्रतिपालक की अध्यक्षता में गठित कमेटी 20 दिन में केन्द्र को भेजने के लिए ठोस प्रस्ताव तैयार करेगी।
नदियों मे जमा हो रही सिल्ट से आबादी को बाढ़ से हो रहे नुकसान से निजात दिलाने के लिए खनन के लम्बित 21 प्रस्तावों पर भी विवरण 20 दिन में उपलब्ध कराने के निर्देश वन अधिकारियों को दिये। उन्होंने इन 21 लम्बित प्रस्तावों के वन, पर्यावरण तथा वन्य जन्तु क्लियरेंस स्थिति को सन्दर्भित करते हुए विवरण तैयार करने के निर्देश दिये ताकि उसकी केन्द्र स्तर पर प्रभावी पैरवी की जा सके। उनका कहना था कि नदियों को वैज्ञानिक तरीके से खनन  होने से जहाॅं बाढ में नियंत्रण होगा वहीं अवैध खनन पर भी रोक लगाने मे मदद मिलेगी ।
बैठक में प्रमुख वन संरक्षक श्रीकान्त चन्दोला, प्रमुख वन संरक्षक. जय राज, मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल गम्भीर सिंह, अपर प्रमुख वन संरक्षक ए.आर.सिंह, मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव धनंजय मोहन, अपर सचिव वन एवं पर्यावरण मीनाक्षी जोशी, वन संरक्षक (भूमि सर्वेक्षण) मनोज चन्द्रन, वन संरक्षक यमुना वृन्त आर.के.मिश्र आदि मौजूद थे।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More