प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फिक्की की 93वीं वार्षिक आम बैठक और वार्षिक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया। प्रधानमंत्री ने न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मजबूत ब्रांड भारत को स्थापित करने की भारतीय निजी क्षेत्र की क्षमता की सराहना की। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के प्रति प्रत्येक नागरिक की प्रतिबद्धता निजी क्षेत्र में देश की आस्था का एक उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक आश्वस्त व्यक्ति जीवन के साथ-साथ प्रशासन में दूसरों को स्थान देने में कभी नहीं हिचकिचाता है। बड़े जनादेश द्वारा समर्थित एक मजबूत सरकार उस किस्म के विश्वास और समर्पण का परिचय देती है। एक निर्णायक सरकार हमेशा दूसरों की बाधाओं को दूर करने और समाज एवं राष्ट्र के लिए योगदान करने का प्रयास करती है। ऐसी सरकार नियंत्रण और पहल को केवल अपने तक ही सीमित नहीं रखना चाहती है। उन्होंने सरकार के सभी क्षेत्रों में मौजूद होने के दौर को याद किया और इस दृष्टिकोण की वजह से अर्थव्यवस्था में हुई बर्बादी का जिक्र किया। दूसरी ओर, एक दूरदर्शी और निर्णायक सरकार सभी हितधारकों को अपनी क्षमता का एहसास करने के लिए प्रोत्साहित करती है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार पिछले छह वर्षों से सभी क्षेत्रों में हितधारकों को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा कि यह विनिर्माण से लेकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों तक; कृषि से लेकर बुनियादी ढांचे तक; तकनीक से जुड़े उद्योगों से लेकर कर-निर्धारण तक और रियल एस्टेट से लेकर विनियामक सरलता तक के क्षेत्रों में चौतरफा सुधारों में परिलक्षित होता है।
प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को बताया कि हमारे उद्योगों को दीवारों की नहीं, बल्कि पुलों की जरूरत है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को अलग करने वाली दीवारों को हटाने से सभी के लिए नए अवसर उपलब्ध होंगे, खासकर किसानों को नए विकल्प मिलेंगे। प्रौद्योगिकी, शीत भंडार गृह और कृषि क्षेत्र में निवेश से किसानों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने कृषि, सेवा, विनिर्माण और सामाजिक क्षेत्रों को एक दूसरे का पूरक बनाने के तरीके खोजने में ऊर्जा लगाने का आह्वान किया। फिक्की जैसे संगठन इस प्रयास में पुल और प्रेरणा दोनों बन सकते हैं। हमें स्थानीय मूल्य एवं आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका का विस्तार करने के लक्ष्य के साथ काम करना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “भारत के पास बाजार एवं जनशक्ति है और मिशन मोड में काम करने की क्षमता भी है।”
प्रधानमंत्री ने जे-ए-एम (जनधन, आधार और मोबाइल) की त्रिमूर्ति के माध्यम से वित्तीय समावेशन की सफलता का हवाला दिया, जोकि इस सरकार के तहत सुधार के योजनाबद्ध और एकीकृत दृष्टिकोण का सबसे अच्छा उदाहरण है। दुनिया के सबसे बड़े इस प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रणाली की उस समय बहुत प्रशंसा हुई, जब देश महामारी के दौरान बटन के एक क्लिक के जरिए करोड़ों खातों में धन हस्तांतरित कर सका।
प्रधानमंत्री ने किसानों और कृषि क्षेत्र की मदद के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से चर्चा की। श्री मोदी ने कहा, “सरकार नीति और नीयत के जरिए किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।” कृषि क्षेत्र में बढ़ती जीवंतता को रेखांकित करते हुए, श्री मोदी ने मंडियों के बाहर अपनी उपज बेचने, मंडियों के आधुनिकीकरण और इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर उपज बेचने के विकल्प समेत किसानों को उपलब्ध नए विकल्पों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि इन सब का लक्ष्य किसान को समृद्ध बनाना है क्योंकि समृद्ध किसान का मतलब समृद्ध राष्ट्र है।
श्री मोदी ने बताया कि कृषि में निजी क्षेत्र का निवेश संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला, शीत भंडार गृह और उर्वरक जैसे क्षेत्रों आदि में निजी क्षेत्र की रुचि और निवेश, दोनों, की जरूरत है। श्री मोदी ने कहा कि ग्रामीण कृषि आधारित उद्योगों में बहुत बड़ी संभावनाएं हैं और इसके लिए एक अनुकूल नीतिगत व्यवस्था मौजूद है।
ग्रामीण, अर्ध-ग्रामीण और श्रेणी-2 और श्रेणी-3 शहरों में हो रहे सकारात्मक बदलावों का मजबूती से पक्ष लेते हुए, प्रधानमंत्री ने व्यवसाय और उद्योग जगत के वरिष्ठ प्रमुखों को ऐसे क्षेत्रों में अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने जानकारी दी कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या शहरों से अधिक हो गयी है और भारत के आधे से ज्यादा स्टार्टअप श्रेणी-2 और श्रेणी-3 शहरों में हैं। सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट के लिए हाल ही में स्वीकृत पीएम-वाणी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उद्यमियों को ग्रामीण कनेक्टिविटी प्रयासों में भागीदार बनना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह निश्चित है कि 21 वीं सदी में, भारत का विकास गांवों और छोटे शहरों द्वारा संचालित होगा और आप जैसे उद्यमियों को गांवों और छोटे शहरों में निवेश करने का अवसर नहीं खोना चाहिए। आपका निवेश ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में हमारे भाइयों और बहनों के लिए नए दरवाजे खोलेगा।”
प्रधानमंत्री ने कोविड के सदमे से मजबूती से उबरने में उद्योगपतियों और उद्यमियों के योगदानों की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश ने महामारी के दौरान नागरिकों के जीवन को प्राथमिकता दी और इसके अच्छे परिणाम मिले। श्री मोदी ने कहा कि हालात उसी तेजी से सुधरे हैं, जैसे वे शुरू में बिगड़े थे।
स्वतंत्रता संग्राम में फिक्की की भूमिका और निकट भविष्य में उनकी आगामी शताब्दी वर्ष होने की याद दिलाते हुए, प्रधानमंत्री ने उनसे राष्ट्र-निर्माण में अपनी भूमिका का विस्तार करने के लिए कहा।
हम लोगों ने 20-20 के मैच में तेजी के साथ बहुत कुछ बदलते देखा है, लेकिन 20-20 के इस साल ने सभी को मात दे दी है। इतने उतार चढ़ाव से देश गुजरा है, पूरी दुनिया गुजरी है कि कुछ वर्षों बाद जब हम कोरोना काल को याद करेंगे, तो शायद यकीन ही नहीं आएगा। लेकिन इससे भी सबसे अच्छी बात रही है जितनी तेजी से हालात बिगड़े, उतनी ही तेजी के साथ सुधर भी रहे हैं। फरवरी-मार्च में जब pandemic का ये दौर शुरु हुआ था तो हम एक Unknown दुश्मन से लड़ रहे थे। बहुत सी अनिश्चितताएं थीं। Production हो, Logistics हो, Economy का revival हो, अनगिनत विषय थे, कब तक ऐसा चलेगा, हर एक के मन में यही सवाल था कैसे सब ठीक होगा, इन्हीं सवालों, चुनौतियों, चिंताओं उससे दुनिया का हर मानव उसी में फंसा पड़ा था। लेकिन आज, दिसंबर आते-आते स्थिति बहुत बदली हुई नजर आ रही है। हमारे पास जवाब भी है और रोडमैप भी है। आज जो Economy के indicators हैं वो उत्साह बढ़ाने वाले हैं, हौसला बढ़ाने वाले हैं। संकट के समय में देश ने जो सीखा है, उसने भविष्य के संकल्पों को और दृढ़ किया है। और निश्चित तौर पर इसका बहुत बड़ा श्रेय भारत के entrepreneurs को जाता है, भारत की युवा पीढ़ी को जाता है, भारत के किसानों को जाता है, आप सभी उद्यमियों को सभी देशवासियों को जाता है।
हमेशा से Global Pandemic के साथ एक इतिहास, एक सबक जुड़ा रहा है। जो देश ऐसी महामारी के समय अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को बचा ले जाता है, उस देश की बाकी सारी व्यवस्थाएँ, उतनी ही तेजी के साथ Rebound करने की ताकत रखती हैं। इस महामारी के समय, भारत ने अपने नागरिकों के जीवन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाया और आज इसका नतीजा देश भी देख रहा है, दुनिया भी देख रही है। भारत ने जिस तरह बीते कुछ महीनों में एकजुट होकर काम किया है, नीतियां बनाई हैं, निर्णय लिए हैं, स्थितियों को संभाला है, उसने पूरी दुनिया को चकित कर रख दिया है। बीते 6 वर्षों में दुनिया का जो विश्वास भारत पर बना था, वो बीते महीनों में और मजबूत हुआ है। FDI हो या FPI, विदेशी निवेशकों ने रिकॉर्ड इन्वेस्टमेंट भारत में किया है और निरंतर कर रहे हैं।
आज देश का प्रत्येक नागरिक, आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, लोकल के लिए वोकल होकर काम कर रहा है। ये एक जीवंत उदाहरण है कि देश को अपने प्राइवेट सेक्टर के सामर्थ्य पर कितना विश्वास है। भारत का प्राइवेट सेक्टर न सिर्फ हमारी domestic needs को पूरा कर सकता है, लेकिन globally भी अपनी पहचान उसको और मजबूती से स्थापित कर सकता है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान, भारत में Quality products बनाने और भारतीय इंडस्ट्री को और ज्यादा Competitive बनाने का भी माध्यम है और 2014 में पहली बार, जब लाल किले से बोलने का मुझे मौका मिला था तब मैंने एक बात कही थी कि हमारा लक्ष्य रहना चाहिये जीरो डिफैक्ट, जीरो इफैक्ट।
अनुभव रहा है कि पहले के समय की नीतियों ने कई क्षेत्रों में inefficiency को संरक्षण दिया है, नए प्रयोग करने से रोका है। जबकि आत्मनिर्भर भारत अभियान हर क्षेत्र में efficiency को बढ़ावा देता है। ऐसे सेक्टर्स जिसमें भारत के पास long term comparative advantage है, उनमें Sunrise और Technology based industries को नई ऊर्जा देने पर ज्यादा बल दिया जा रहा है। हम चाहते हैं कि हमारी ये infant industries भी भविष्य में और अधिक strong और independent बनें। इसलिए आपने देखा होगा, एक और अहम कदम उठाया गया है। देश में Production Linked Incentive scheme शुरू की गई है। ये स्कीम उन उद्योगों के लिए है जिनमें भारत Global Champion बनने की क्षमता रखता है। जो Perform करेगा, जो efficiency से काम करेगा, जो अपने सेक्टर में देश को आत्मनिर्भर बनाएगा, वो Incentive का भी हकदार होगा। साथियों जीवन हो या गवर्नेंस, हम एक पैराडॉक्स अक्सर देखते हैं। जो confident होता है वो दूसरों को जगह देने में हिचकिचाता नहीं है। लेकिन जो दुर्बल मन का होता है, insecure होता है, वो अपने आसपास के लोगों को भी अवसर देने से डरता है। अक्सर सरकारों को लेकर भी ऐसा ही होता है। जनता जनार्दन के भारी समर्थन और विश्वास से बनी सरकार का अपना ही Confidence होता है और उतना ही Dedication भी होता है और तभी तो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास इस मंत्र को चरितार्थ करने के लिए जी जान से सरकार जुटी रहती है। सरकार जितनी निर्णायक होती है वो दूसरों के लिए अड़चनों को उतना ही कम करती है। एक निर्णायक सरकार की हमेशा कोशिश होती है कि वो समाज के लिए, राष्ट्र के लिए ज्यादा से ज्यादा कंट्रीब्यूट करे। एक निर्णायक और आत्मविश्वास से भरी सरकार, ये भी नहीं चाहती कि सारा कंट्रोल अपने पास रखे, दूसरों को कुछ करने ही न दे। पहले के दौर में सरकारों की इस सोच के आप सभी साक्षी भी हैं और देश उसका शिकार भी रहा है। सोच क्या थी, सब कुछ सरकार करेगी। घड़ी बनानी हो- तो सरकार बनाती थी। स्कूटर बनाना हो- सरकार बनाती थी, टीवी बनाना हो- तो सरकार बनाती थी। यहां तक की ब्रेड और केक भी सरकार ही बनाती थी। हमने देखा है इस अप्रोच ने कितनी दुर्दशा की है। इससे अलग, एक दूरदर्शी और निर्णायक सरकार हर स्टेकहोल्डर को प्रोत्साहित करती है ताकि वो अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग कर सकें।
पिछले 6 वर्षों में भारत ने भी ऐसी ही सरकार देखी है जो सिर्फ और सिर्फ 130 करोड़ देशवासियों के सपनों को समर्पित है जो हर स्तर पर देशवासियों को आगे लाने के लिए काम कर रही है। भारत में आज हर क्षेत्र में, हर स्टेकहोल्डर की भागीदारी बढ़ाने के लिए काम हो रहा है। इसी सोच के साथ Manufacturing से MSMEs तक, Agriculture से लेकर Infrastructure तक, tech industry से taxation तक, real estate से regulatory easing तक चौतरफा रिफॉर्म्स किए गए हैं। आज भारत में Corporate Tax दुनिया में सबसे Competitive है। आज भारत दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल है जहां Faceless Assessment और फेसलेस अपील की सुविधा है। इंस्पेक्टर राज और टैक्स टेरेरिज्म के दौर को पीछे छोड़कर भारत, अपने देश के उद्यमियों के सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ रहा है। माइनिंग हो, डिफेंस हो, स्पेस हो, ज्यादातर सेक्टर को इन्वेस्टमेंट के लिए, भारतीय टैलेंट के लिए, कंपटीशन के लिए आज अवसरों की, एक प्रकार से अनगिनत अवसरों की एक परंपरा खड़ी कर दी है। देश में Logistics को Competitive बनाने के लिए Multimodal Connectivity पर फोकस किया जा रहा है।
एक vibrant economy में जब एक sector grow करता है तो उसका सीधा प्रभाव दूसरे सेक्टरों पर भी होता है। लेकिन आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर एक इंडस्ट्री से दूसरी के बीच में बेवजह की दीवार खड़ी कर दी जाए, तो क्या होगा। तब कोई इंडस्ट्री उतनी तेजी से Grow नहीं कर पाएगी, जितनी की उसमें ताकत है, जितना उसको करना चाहिए। एक इंडस्ट्री किसी तरह Grow भी करेगी तो उसका प्रभाव दूसरे सेक्टर पर भी कभी नहीं पड़ेगा। अलग-अलग सेक्टर्स में इस दीवार ने देश की अर्थव्यवस्था का बहुत नुकसान किया है, सामान्य मानवीय का नुकसान किया है। अब देश में जो Reform हो रहे हैं, वो इन दीवारों को हटाने का काम कर रहे हैं। अभी हाल ही में जो Agriculture Reforms हुए हैं, वो इसी की एक कड़ी हैं। Agriculture सेक्टर और उससे जुड़े अन्य क्षेत्रों चाहे वो Agriculture infrastructure हो, food processing हो, Storage हो, Cold chains हों, इनके बीच पहले हमने भी ऐसी ही दीवारें देखी हैं। अब ये सभी दीवारें हटाई जा रही हैं, सभी अड़चनें हटाई जा रही हैं। इन दीवारों के हटने के बाद, इन Reforms के बाद किसानों को नए बाजार मिलेंगे, नए विकल्प मिलेंगे, उन्हें टेक्नोलॉजी का ज्यादा लाभ मिलेगा, देश का cold storage infrastructure आधुनिक होगा, इन सबसे कृषि क्षेत्र में ज्यादा निवेश होगा, और इन सबका सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी को होने वाला है तो वो मेरे देश के किसान को होने वाला है, जो छोटे-छोटे जमीन के टुकड़ों पर जिंदगी पालता है, उस किसान का भला होने वाला है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था को अलग-अलग सेक्टर्स में दीवारें नहीं, ज्यादा से ज्यादा bridges चाहिए ताकि वो एक दूसरे का सपोर्ट कर सकें।
बीते वर्षों में इन दीवारों को तोड़ने के लिए, कैसे एक Planned और Integrated अप्रोच के साथ रिफॉर्म किए गए हैं इसका एक बेहतरीन उदाहरण है- देश के करोड़ों लोगों का Financial inclusion, अब हम Banking Exclusion से Most inclusive देशों में शामिल हो गए हैं। आपभी इस बात के गवाह रहे हैं कि तमाम अवरोधों को दूर करते हुए भारत में किस तरह आधार को संवैधानिक संरक्षण दिया गया। हमने Unbanked को बैंकों से जोड़ा। सस्ता मोबाइल डेटा, सस्ते फोन उपलब्ध कराकार गरीब से गरीब को कनेक्ट किया। तब जाकर जनधन खाते, आधार और मोबाइल- JAM की Trinity देश को मिली।
आज दुनिया का सबसे बड़ा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर सिस्टम देश में काम कर रहा है, DBT देश में काम कर रहा है। अभी आपने भी एक इंटरनेशनल जर्नल की वो रिपोर्ट पढ़ी होगी जिसमें भारत में बनाई गई इस व्यवस्था की भूरी-भूरी प्रशंसा की गई है। कोरोना के समय में जब अनेक देशों के अपने नागरिकों तक सीधे पैसे भेजने में दिक्कत आ रही थी, वो Cheque और डाक विभाग पर निर्भर थे, भारत सिर्फ एक क्लिक से हजारों करोड़ रुपए कोटि-कोटि नागरिकों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर रहा था, पल भर में वो भी तब जब बैंक बंद थे, देश में लॉकडाउन था। अंतरराष्ट्रीय जगत के बड़े-बड़े जानकार, अब ये कह रहे हैं कि भारत के इस मॉडल से दूसरे देशों को भी सीखना चाहिए। ये पढ़कर, ये सुनकर, किसे गर्व नहीं होगा।
एक समय था जब कुछ लोग ये सवाल उठाते थे कि अशिक्षा और गरीबी भरे माहौल में भारत कैसे टेक्नोलॉजी को अपने सामान्य नागरिकों तक पहुंचा पाएगा। लेकिन भारत ने ये करके दिखाया है और बहुत सफलता के साथ करके दिखाया है, दिखाता रहेगा। आज अकेले UPI प्लेटफॉर्म पर ही हर महीने करीब-करीब चार लाख करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन हो रहा है, चार लाख करोड़ रूपए का ट्रांजेक्शन और हर महीने नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। आज गांव-देहात में भी, छोटे-छोटे रेहड़ी-ठेलों पर भी आज डिजिटल पेमेंट संभव हो रहा है। भारत के उद्योग जगत को देश की इस ताकत को समझते हुए आगे बढ़ना है।
हम जैसा गांव और छोटे शहरों का माहौल टीवी या फिल्मों में देखते हुए बड़े हुए हैं, उससे इनके बारे में एक अलग धारणा बनना स्वभाविक है। शहरों और गांवों के बीच Physical दूरी कभी उतनी नहीं रही जितनी दूरी Perspective को लेकर रही है। कुछ लोगों के लिए गांव का मतलब ऐसी जगह रहा है, जहां आना-जाना मुश्किल हो, जहां बहुत कम सुविधाएं हों, बहुत कम विकास हुआ हो, पिछड़ापन ही पिछड़ापन पड़ा हुआ है। लेकिन अगर आप आज rural या semi-rural इलाकों में जाएंगे तो आपको एकदम अलग दृश्य मिलेगा, एक नई आशा, नया विश्वास आपको नजर आएगा। आज का ग्रामीण भारत बहुत बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। क्या आप जानते हैं कि rural India में active internet users की संख्या शहरों से ज्यादा हो चुकी है? क्या आप जानते हैं कि भारत के आधे से ज्यादा start-ups हमारे Tier-2, Tier-3 शहरों में हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से देश की लगभग 98 प्रतिशत बस्तियां सड़कों से जुड़ चुकी हैं। कहने का मतलब ये कि गांव के लोग अब बाज़ार, स्कूल, अस्पताल और दूसरी सुविधाओं से तेजी से जुड़ रहे हैं। गांव में रहने वालों की आकांक्षा बढ़ रही है, वो socio-economic mobility चाहते हैं। सरकार अपनी तरफ से इन्हीं आकांक्षाओं की पूर्ति करने में जुटी है। अब जैसे हाल में लॉन्च की गई PM-WANI योजना, उस PM-WANI योजना को ही ले लीजिए। इस योजना के तहत देशभर में सार्वजनिक Wi-Fi hotspots का नेटवर्क तैयार किया जाएगा। इससे गांव-गांव में कनेक्टिविटी का व्यापक विस्तार होगा। मेरा तमाम उद्यमियों से आग्रह रहेगा कि इस अवसर का उपयोग करते हुए rural और semi-rural क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी के प्रयासों में भागीदार बनें। ये निश्चित है कि 21वीं सदी के भारत की ग्रोथ को गांव और छोटे शहर ही सपोर्ट करने वाले हैं। इसलिए, आप जैसे entrepreneurs को गांवों और छोटे शहरों में investment का मौका बिल्कुल नहीं गंवाना चाहिए। आपके द्वारा किया गया Investment, हमारे गांवो में रहने वाले भाई-बहनों के लिए, हमारे एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलेगा।
देश के एग्रीकल्चर सेक्टर को मजबूत करने के लिए बीते वर्षों में भारत में तेजी से काम किए गए हैं। आज भारत का Agricultural सेक्टर, पहले से कहीं अधिक Vibrant हुआ है। आज भारत के किसानों के पास अपनी फसल मंडियों के साथ ही बाहर भी बेचने का विकल्प है। आज भारत में मंडियों का आधुनिकीकरण तो हो ही रहा है, किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फसल खरीदने-बेचने का भी विकल्प दिया है। इन सारे प्रयासों का लक्ष्य यही है कि किसानों की आय बढ़े, देश का किसान समृद्ध हो। जब देश का किसान समृद्ध होगा, तो देश भी समृद्ध होगा। आपको मैं एक और उदाहरण देता हूं कि कृषि क्षेत्र को पहले कैसे हैंडल किया जा रहा था।
हमारे देश में पहले इथेनॉल तक को प्राथमिकता देकर Import किया जाता था। जबकि खेतों में गन्ना किसान परेशान रहता था कि उसका गन्ना बिक नहीं रहा या उसके गन्ना किसानों का हजारों करोड़ रुपए का बकाया भी समय पर मिलता नहीं था। हमने इस स्थिति को बदला। हमने देश में ही इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा दिया। पहले चीनी बनती थी, गुड़ बनता था, कभी चीनी के दाम गिर जाते थे, तो किसान को पैसे नहीं मिलते थे, कभी चीनी के दाम बढ़ जाते थे तो consumer को तकलीफ होती थी यानि कोई व्यवस्था ऐसे चल ही नहीं सकती थी और दूसरी तरफ हम हमारे कार-स्कूटर चलाने के लिए विदेशों से पेट्रोल लाते थे, अब ये काम इथेनॉल भी कर सकता था। अब देश में, पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथेनॉल की ब्लेंडिंग करने की तरफ बढ़ रहा है। सोचिए, इससे कितना बड़ा बदलाव आने वाला है। इससे गन्ना किसानों की आमंदनी तो बढ़ेगी ही, रोजगार के भी नए अवसर मिलेंगे।
आज जब मैं उद्योग जगत के वरिष्ठ लोगों के बीच हूं तो इस बात को भी खुलकर कहूंगा कि जितना हमारे देश में एग्रीकल्चर पर प्राइवेट सेक्टर द्वारा निवेश किया जाना चाहिए था, दुर्भाग्य से उतना नहीं हुआ। इस सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर द्वारा उतना Explore ही नहीं किया गया। हमारे यहां कोल्ड स्टोरेज की समस्याएं रहीं हैं, बिना प्राइवेट सेक्टर के सपोर्ट के सप्लाई चेन बहुत सीमित दायरे में काम करती रही है। फर्टिलाइजर की किल्लत होती है, आपने भी देखी है, इसका कितना Import भारत करता है, आप भी जानते हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर की ऐसी कितनी ही चुनौतियों के समाधान के लिए केंद्र सरकार निरंतर काम कर रही है। लेकिन इसमें आपके Interest और आपके Investment, दोनों की आवश्यकता है। मैं मानता हूं कि एग्रीकल्चर से जुड़ी कई कंपनियां अच्छा काम कर रही हैं लेकिन सिर्फ उतना ही काफी नहीं है। फसलें उगाने वाले किसानों को, फल-सब्जियां उगाने वाले किसानों को जितना आधुनिक technology का, आधुनिक व्यापार और उद्योग के तौर-तरीके का जितना सपोर्ट मिलेगा, उनकी जरूरतों को देखते हुए जितना हम Invest करेंगे, उतना ही हमारे देश के किसानों का, फसलों का नुकसान कम होगा, उतनी ही उनकी आय बढ़ेगी। आज ग्रामीण क्षेत्र में agro based industry के लिए बहुत बड़ा स्कोप है पहले की नीतियां जो भी रहीं हों, लेकिन आज की Policies ग्रामीण कृषि आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने के लिए बहुत अनुकूल हैं। नीति से और नीयत से, सरकार पूरी तरह किसानों का हित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एग्रीकल्चर के साथ ही सर्विस सेक्टर हो, मैन्यूफैक्चरिंग हो, सोशल सेक्टर हो, इसमें हम एक दूसरे को Complement कैसे करें, इस पर हमें पूरी energy लगानी है। FICCI जैसे संगठनों को इसमें bridge भी बनना है और inspiration भी बनना है। MSMEs को सरकार ने ताकत दी है, आप इस ताकत को multiply कर सकते हैं। लोकल वैल्यू और सप्लाई चेन को कैसे सशक्त करें, ग्लोबल सप्लाई चेन में कैसे भारत की भूमिका व्यापक हो, इस स्पष्ट लक्ष्य के साथ हम सबको मिलकर काम करना है। भारत के पास Market भी है, Manpower भी है और Mission Mode पर काम करने की Capability भी है। Pandemic के इस दौर में भी हमने देखा है कि आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ता भारत का हर कदम कैसे पूरी दुनिया को लाभ देता है। हमारे Pharma सेक्टर ने मुश्किल समय में भी ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित नहीं होने दिया। अब जब भारत वेक्सीन मैन्युफेक्चरिंग के मामले में आगे बढ़ रहा है तो इससे भारत के करोड़ों जीवन को तो सुरक्षा कवच मिलेगा ही, दुनिया के अनेक देशों में भी नई उम्मीद जागी है।
हम लोग एक मंत्र से सभी परिचित हैं और वो हमारे जीवन के लिए आवश्यक भी है, हमारे यहाँ कहा गया है- तन्मे मन: शिवसंकल्प मस्तु यानि मेरा मन उत्तम संकल्पों वाला हो, इसी भाव से हमें आगे बढ़ना है। देश के लक्ष्य, देश के संकल्प, देश की नीतियां स्पष्ट हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर हो या पॉलिसी, रिफॉर्म्स को लेकर भारत के इरादे पक्के हैं। महामारी के रूप में जो भी स्पीडब्रेकर आया था, अब हम उससे आगे निकल रहे हैं। अब नए विश्वास के साथ हम सभी को पहले से अधिक मेहनत करनी है। विश्वास और आत्मविश्वास भरे इस माहौल के साथ ही हमें अब नए दशक में आगे चलना है। वर्ष 2022 में देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा। आजादी के आंदोलन से लेकर आज तक फिक्की की भी देश की विकास यात्रा में बड़ी भूमिका रही है। फिक्की के भी 100 वर्ष बहुत दूर नहीं हैं। इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर आपको राष्ट्र निर्माण की अपनी भूमिका को और विस्तार देना है, और व्यापक बनाना है। आपके प्रयास आत्मनिर्भर भारत के अभियान को और गति देंगे। आपके प्रयास लोकल के लिए वोकल के मंत्र को पूरी दुनिया तक पहुंचाएंगे। आखिर में, मैं डॉक्टर संगीता रेड्डी जी को President के रूप में एक बेहतरीन कार्यकाल के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। साथ ही, भाई उदय शंकर जी को भविष्य के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। आप सबके बीच आने का मौका मिला, मैं आप सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ।