केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच से प्रेरित मिशन अंत्योदय सर्वेक्षण अंततः गरीबी मुक्त भारत के सपने को साकार करने में सफल होगा।
आज नई दिल्ली में एक समारोह में मिशन अंत्योदय सर्वेक्षण (एमएएस) 2022-23 लॉन्च करते हुए श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि यह मिशन विभिन्न सरकारी योजनाओं के समन्वय से संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सम्पूर्ण सरकार वाले दृष्टिकोण के दर्शन को रेखांकित करने के लिए किया गया है।
इस समारोह में ग्रामीण विकास और इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, ग्रामीण विकास और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति तथा पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटील उपस्थित थे। इस समारोह में वर्चुअल तरीके से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि इस योजना के अन्य उद्देश्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में विकास प्रक्रिया में प्रगति की निगरानी के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर वार्षिक सर्वेक्षण करना, ग्राम पंचायत स्तर पर सर्वेक्षण के जरिए एकत्र आंकड़ों के आधार पर पंचायतवार रैंकिंग करना और गैप रिपोर्ट बनाना है। उन्होंने कहा कि गैप रिपोर्ट ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में काम करती है।
श्री गिरिराज सिंह ने बताया कि सर्वेक्षण सभी 2,69,253 ग्राम पंचायतों तथा समकक्ष निकायों में कराया जाएगा, जिनके प्रोफाइल ई-ग्राम स्वराज पर बनाए गए हैं। लेकिन चुनाव के कारण अभी त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड कवर नहीं किये गये हैं।
सर्वेक्षण 2022 प्रश्नावली में 21 क्षेत्रों को कवर करते हुए 183 संकेतक और 216 डेटाबिंदु हैं। एमए सर्वेक्षण में शामिल किये जा रहे 21 क्षेत्रों में (i) गुड गवर्नेंस (ii) कृषि तथा भूमि विकास, ईंधन और चारा (iii) पशुपालन (iv) मछली पालन (v) ग्रामीण आवास (vi) जल और पर्यावरणीय सुरक्षा (vii) सड़क तथा संचार (viii) पारम्परिक और गैर पारम्परिक ऊर्जा (ix) वित्तीय और संचार अवसंरचना (x) बाजार और मेले (xi) सार्वजनिक वितरण प्रणाली (xii) पुस्तकालय (xiii) मनोरंजन और खेल (xiv) शिक्षा/व्यवसायिक शिक्षा (xv) स्वास्थ्य, पोषण, मातृ और बाल विकास तथा परिवार कल्याण (xvi) कमजोर वर्गों का कल्याण (xvii) गरीबी उपशमन कार्यक्रम (xvii) खादी, ग्राम तथा कॉटेज उद्योग (xix) सामाजिक वानिकी (xx) लघु उद्योग हैं।
ग्रामीण विकास विभाग विभिन्न योजनाओं के मिलन से मापने योग्य परिणामों पर लोगों के जीवन, आजीविका में बदलाव के उद्देश्य से 2017-18 से देश की सभी ग्राम पंचायतों में मिशन अंत्योदय सर्वेक्षण कर रहा है।
देश भर की ग्राम पंचायतों में वार्षिक सर्वेक्षण मिशन अंत्योदय ढांचे का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
ग्रामीण विकास सचिव श्री शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि सर्वेक्षण का उद्देश्य पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) के लिए भागीदारी योजना की प्रक्रिया को समर्थन देना है, जो सेवा वितरण में सुधार करेगा, नागरिकता बढ़ाएगा, लोगों के संस्थानों और समूहों के गठबंधन के लिए गति प्रदान करेगा और स्थानीय स्तर पर शासन में सुधार करेगा।
जीपीडीपी की तैयारी एक व्यापक अभ्यास है जो किसी भी जीपी के लिए अंतिम योजना दस्तावेज तैयार करने में प्राथमिक और द्वितीय दोनों डेटा का उपयोग करता है। एमए सर्वेक्षण अंतराल विश्लेषण करने के लिए द्वितीयक डेटा प्रस्तुत करता है और डेटा ब्लॉक तथा जिला योजनाओं की तैयारी में महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में भी काम करेगा।
सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) को शामिल करते हुए एक महीने में गांव-वार सर्वेक्षण किये जाने की आशा है। सर्वेक्षण प्रश्नों को पांच स्तरों में वर्गीकृत किया गया है-(i) पंचायत अवसंरचना (ii) पंचायत सेवाएं (iii) ग्राम अवसंरचना (iv) ग्राम सेवाएं तथा (v) ग्राम व्यवहार।
प्रश्नावली को अंतिम रूप देने के लिए केंद्र सरकार के कुल 26 मंत्रालयों/विभागों से संपर्क किया गया है। प्रश्नावली का तेरह क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। मंत्रालय ने एनआईसी-डीआरडी के परामर्श से गांव में 36 परिसम्पत्तियों के लिए जियोटैग सुविधाओं के साथ एंड्रॉयड मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किया है। मंत्रालय ने प्रश्नावली और मोबाइल एप्लीकेशन से संबंधित प्रश्नों के सुचारु समाधान के लिए इन हाउस हेल्प डेस्क भी बनाया है।
श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सतत विकास एजेंडे 2030 के लिए हस्ताक्षर किए है, जिसके अंतर्गत 17 सतत विकास लक्ष्य अपनाये गये हैं। एसडीजी एक अंतर्राष्ट्रीय दायित्व ही नहीं, बल्कि सभी हस्ताक्षर करने वाले देशों की घरेलू व्यय प्राथमिकताओं को नया रूप देने का माध्यम है।
तथ्य यह है कि लक्ष्यों पर प्रगति मापने के लिए गुणवत्ता, विश्वसनीयता और अलग-अलग डेटा की आवश्यकता होगी। इसे सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने भी रेखांकित किया है कि “कोई भी पीछे न छूटे”।